Eid ul-Adha 2024 Date, Moon Sighting Today: भारत में आज दिख सकता है ईद उल अजहा का चांद, जानिए 17 य 18 जून कब मनाई जाएगी बकरीद
Eid ul-Adha 2024 Date, Moon Sighting, Moonrise Time Today in India LIVE, Bakrid Kab Ki Hai India Mein, Aaj Chand Nikalne Ka Samay: इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद उल अजहा यानि बकरीद का त्योहार 12वें महीने जु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। जानिए भारत में ईद का चांद कब दिखेगा।
Eid ul-Adha 2024 Date, Moon Sighting Today
Eid ul-Adha 2024 Date, Moon Sighting, Moonrise Time Today in India LIVE: इस्लामी महीने जुल हिज्जा की शुरुआत अर्धचंद्र या नए चांद देखने के साथ होती है। ये चंद्र कैलेंडर का बारहवां और आखिरी महीना होता है और इस महीने के दसवें दिन ईद उल-अज़हा यानि बकरीद का त्योहार मनाया जाता है। ईद-उल-अज़हा पर्व की डेट चांद के दिखने पर निर्भर करती है। यही वजह है कि हर वर्ष ईद-उल-अज़हा की तारीख अलग-अलग होती है। इस साल सऊदी अरब में ईद का चांद 6 जून को दिख गया है ऐसे में यहां ये पावन त्योहार 16 जून को मनाया जाएगा। चलिए जानते हैं भारत में ईद का चांद कब दिखेगा।
Eid ul-Adha 2024 Date, Moon Sighting In India (भारत में ईद का चांद कब दिखेगा)
जानकारी अनुसार भारत में ईद का चांद आज यानि 7 जून को देखा जाएगा। अगर ऐसा होता है तो यहां बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तब यहां बकरीद 18 जून को होगी। बता दें सऊदी अरब में ईद का चांद 6 जून को देखा जा चुका है ऐसे में वहां 16 जून को इद उल अजहा मनाई जा रही है।
Eid ul-Adha 2024 Date In Saudi Arabia And Other Countries (सऊद अरब में बकरीद कब है 2024)
इस साल सऊदी अरब में 16 जून को बकरीद मनाई जाएगी। इसके साथ ही यूके, यूएस और कनाडा के मुसलमान भी इसी दिन ईद मनाएंगे। तो वहीं ओमान में 17 जून को ईद मनाई जा सकती है क्योंकि यहां 7 जून को चांद देखा जाएगा।
Why Eid Ul Adha Is Celebrated (बकरीद क्यों मनाते हैं?)
इस्लाम में ईद उल अजहा यानी बकरीद का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस त्योहार को मनाने की कहानी पैगंबर इब्राहिम से जुड़ी है। कहते हैं एक बार अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम की परीक्षा लेनी चाहिए। जिससे लिए अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम के पुत्र इस्माइल को कुर्बान करने के लिए कहा। पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे लेकिन वे अल्लाह को भी निराश नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनकी अल्लाह में गहरी आस्था थी। जिस वजह से उन्होंने अल्लाह की राह में बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया और जब वे अपने बेटे को कुर्बान करने जा रहे थे उसी समय अल्लाह ने उनके बेटे को बचा लिया और उसकी जगह पर एक पशु की कुर्बानी दी गई। कहते हैं इसी घटना को याद करते हुए हर साल जिलहिज्ज मास के दसवें दिन ईद उल अजहा का त्योहार मनाया जाता है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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