Eid Ul Adha Namaz Ka Tarika: बकरा ईद की नमाज पढ़ने का सुन्नत तरीका क्या है, जानिए स्टेप बाय स्टेप पूरी जानकारी
Eid Ul Adha (Bakrid) Namaz Ka Tarika: ईद उल अजहा इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार जुल हिज्जाह महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। जो इस बार 17 जून को पड़ी है। इस ईद को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। ईद उल अजहा की नमाज सामान्य नमाज से थोड़ी अलग होती है। चलिए जानते हैं बकरीद की नमाज पढ़ने का सही तरीका क्या है।
Eid Ul Adha Namaz Ka Tarika
Eid Ul Adha (Bakrid) Ki Namaz Ka Tarika (बकरीद की नमाज का तरीका): सबसे पहले तो ईद उल अजहा की आप सभी को मुबारकबाद (Eid Ul Adha Ki Mubarakbad)। चलिए अब जानते हैं कि ईद उल अजहा की नमाज पढ़ने का सही तरीका क्या है। तो बता दें कि ईद उल अजहा की नमाज में 2 रकात होती है। नमाज पढ़ने से पहले नियत बांधी जाती है। इस नमाज में 6 तकबीर “अल्लाहू अकबर” कहना होता है। आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि ईद उल अजहा की नमाज में नियत के बाद अल्लाहू अकबर कहने पर हांथ बांध कर सना पढ़ना है। इस चीज को बिल्कुल भी भूले नहीं। चलिए अब जान लेते हैं ईद उल अजहा की नमाज पढ़ने का सही तरीका क्या है।
ईद उल अदहा नमाज की नियत कैसे करें (Eid Ul Adha Namaz Ki Niyat)
वैसे तो जब लोग नमाज अदा करते है, तो इमाम साहब पहले इसकी नियत को दोहरा कर सबको बता देते है। लेकिन जिसे ये नियत याद नहीं होती वो एक बार में इसे नहीं समझ पाते तो उनके लिए हम नाम की नियत बताने जा रहे हैं। सबसे पहले “आउजू बिल्लाही मिनश शयी तानिर रजीम बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम” पढ़ें। फिर पढ़ें कि मैं नीयत करता हूं दो रकात नमाज़ ईद-उल-अजहा की, छः ज़ायेद तकबीरों के साथ, वास्ते अल्लाह ताला के, पीछे इस ईमाम के, रुख मेरा काबा शरीफ़ के तरफ अल्लाहु अकबर।
बकरीद नमाज का तरीका (Eid Ul Adha Ki Namaz Ka Tarika)
ईद उल अजहा नमाज की पहली रकात
- नमाज से पहले नियत करेंगे।
- इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर अपने हांथो को बांधेंगे।
- अगर आपको नियत याद नहीं है तो ये कहे कि जो नीयत इमाम की वही मेरी है।
- इसके बाद सना यानी ‘सुब्हान कल्ला अल्लाहुम्मा’ पूरी जरूर पढ़ें। इसे पढ़ना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
- इसके बाद दो बार अल्लाहु अकबर कहने पर अपना हांथ उठा कर छोड़ देना है।
- तो वहीं तीसरी बार अल्लाहु अकबर कहते ही हाथों को बांध लेना है।
- अब यहां से इमाम साहब पढ़ेंगे। इस दौरान आपको खामोश रहकर उन्हें सिर्फ सुनना है।
- पहले इमाम अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ी जाएगी। फिर तस्मियह पढ़ेंगे।
- इसके बाद सूरह फातिहा पूरा पढ़ेंगे। इसके बाद आहिस्ते से सभी आमीन कहेंगे।
- इसके बाद कोई भी एक सूरह पढ़ी जाएगी। फिर अल्लाहु अकबर कहने पर रूकूअ में जाएंगे।
- अब रूकूअ में 3, 5 या 7 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ी जाएगी।
- फिर 'समिअल्लाहु लिमन हमिदह' कहते हुए रूकूअ से उठ जाएंगे।
- फिर रूकूअ से उठते हुए रब्बना लकल हम्द कहें।
- फिर अल्लाहु अकबर कहकर सजदे में जाएं।
- अब कम से कम तीन बार या अपनी इच्छानुसार इससे ज्यादा बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहने पर उठ कर बैठ जाएंगे।
- फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहने पर दूसरा सज्दा करेंगे और तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
- अब अल्लाहु अकबर कहने पर दूसरी रकात के लिए खड़े होंगे।
- अब सबसे पहले यहां पर तअव्वुज और तस्मियह पढ़ें।
- इमाम साहब द्वारा अउजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ी जाएगी।
- फिर सूरह फातिहा पढ़ेंगे। यहां पर कोई एक सूरह को पढ़ा जाएगा।
- अब यहां पर फिर से जाईद तकबीरें बोली जाएंगी जिससे आपको ध्यान से सुनना है।
- अब पहले की ही तरह एक बार अल्लाहु अकबर कहने पर हाथ उठा कर छोड़ना है।
- फिर दूसरी बार भी अल्लाहु अकबर कहने पर हांथ उठा कर छोड़ देना है।
- यहां तीसरी बार भी अल्लाहु अकबर कहने पर हांथ छोड़ना है।
- फिर चौथी बार अल्लाहु अकबर कहने पर बिना हांथ को उठाए बाध बांध लेना है।
- आप अब रूकुअ में जाएंगे हर बार की तरह ध्यान रहे।
- अब रूकूअ में कम से कम 3 बार या इससे ज्यादा बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकूअ से उठेंगे और आप साथ में रब्बना लकल हम्द कहेंगे।
- इसके बाद तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा में जाना है।
- यहां कम से कम 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ी जाएगी। फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे से उठ जाना है।
- फिर फ़ौरन अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी सजदा में जाना है।
- दुसरी सज्दा में 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें। फिर अब अल्लाहु अकबर कहते हुए उठ कर बैठ जाएंगे।
- इसके बाद तशह्हुद यानी अत्तहिय्यात पढ़ा जाती है।
- अत्तहिय्यात पढ़ते हुए कलिमे ला पर उंगली खड़ी करेंगे।
- फिर तुरंत ही इल्लल ला हु पर उंगली गिरा कर सीधी कर लेंगे।
- इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ी जाती है फिर रब्बना आतिना फिद्दुन्या पढ़ी जाएगी।
- अब अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए सलाम फेर लेना है।
- बकरीद की नमाज के समाप्त होने के बाद इमाम साहब खुत्बा पढेंगे जिसे ध्यान से सुनें।
- इसके बाद लोग सभी लोग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देंगे।
बकरीद क्यों मनाई जाती है (Bakrid Kyu Manai Jati Hai)
इस्लाम धर्म अनुसार एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहीम से उनकी सबसे ज्यादा प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी थी। हजरत इब्राहीम को सबसे ज्यादा प्यार अपने बेटे से था। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अल्लाह के प्रति अपने प्रेम को दिखते हुए अपने बेटे की कुर्बानी देने को निर्णय किया। कहते हैं जिस वक़्त हजरत इब्राहीम अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे उस समय अल्लाह ने उनके बेटे को एक दुम्बा से बदल दिया। यानि बेटे की जगह दुम्बा की कुर्बानी दे दी गई। कहते हैं इसके बाद से ही बकरीद मनाने की परंपरा शुरू हुई।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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