Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi: एकादशी व्रत का उद्यापन कब और कैसे करें, जानिए व्रत पारण के लिए कौन सी एकादशी शुभ होती है
Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi In Hindi (एकादशी व्रत उद्यापन): सनातन हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पूरे वर्ष में कुल 24 बार एकादशी का व्रत आता है जिसमें भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन किया जाता है। ऐसे में इस व्रत का उद्यापन यानी समापन भी विशेष महत्व रखता है। आज हम आपको एकादशी व्रत उद्यापन से जुड़ी मान्यता, महत्व और विधि के बारे में बताएंगे।

Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi
Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi In Hindi (एकादशी व्रत उद्यापन): शास्त्रों के अनुसार एकादशी का पावन व्रत भगवान विष्णु से जुड़ा है। इस दिन का व्रत, पूजन और अर्चन श्री हरी को समर्पित होता है। भगवद्गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि – मैं व्रतों में एकादशी हूं। वैष्णव संस्कृति में ये व्रत अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इस व्रत की महत्ता हवन, यज्ञ और वैदिक कर्मकांडों से भी बढ़कर है। एकादशी व्रत करने का नियम बेहद ही कठोर होता है जिसमें एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक व्रत रखा जाता है। इस व्रत का उद्यापन विशेष विधान से किया जाना चाहिए। उद्यापन व्यक्ति द्वारा लिए गए संकल्प के अनुसार हो सकता है या सभी एकादशियों को करने के बाद किया जा सकता है। ऐसे में अगर उद्यापन सही तरीके से किया जाए तो व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद वरदान स्वरूप प्राप्त होता है ओर उसे अपने पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत का उद्यापन मार्गशीर्ष और माघ माह में करना अत्यंत ही फलदायी माना जाता है। ऐसे में चलिए एकादशी व्रत उद्यापन की विधि और महत्व को जानते हैं।
जया एकादशी पूजा विधि और मुहूर्त
Ekadashi Vrat Udyapan Vidhi (एकादशी व्रत उद्यापन विधि)
•अष्टदल कमल बनाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें और पूजन के दौरान तांबे के कलश में चावल भरकर रखें।
•पूजन के बाद मंत्रोंच्चार के साथ यज्ञ-हवन करवाएं और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
•कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष तिथि मिलाकर कुल 24 एकादशियां होती हैं जिसके अनुसार 24 ब्राहमणों को सात्विक भोजन करवाएं। व्यक्ति अपने संकल्प के अनुसार ब्राह्मणों की संख्या निर्धारित कर सकता है।
•अनुष्ठान के बाद ब्राह्मणों को वस्त्र और दक्षिणा अर्पण करें और उनके चरण स्पर्श कर क्षमा प्रार्थना करें। भोग लगे प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में बांटकर स्वयं भी ग्रहण करें।
Ekadashi Vrat Udyapan ka Mahatva (एकादशी व्रत उद्यापन का महत्व)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्रत-अनुष्ठान की पूर्णता तभी मानी जाती है जब विधि अनुसार उसका उद्यापन किया जाता है। उद्यापन करना इस नाते जरूरी होता है क्योंकि उद्यापन के दौरान किए जाने वाले पूजा और हवन से देवी-देवताओं आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसमें किए जाने वाले दान-दक्षिणा से व्रत की पूर्णता होती है और मनुष्य की सारी मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं।
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