Ekadashi Vrat Significance: एकादशी व्रत को क्यों कहा जाता है व्रतों का राजा, जानें इसका महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। तभी तो इसे व्रतों का राजा कहा जाता है। एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। जानिए एकादशी व्रत का महत्व क्या है।

Ekadashi Vrat Significance (एकादशी व्रत का महत्व)

व्रत तो बहुत होते हैं लेकिन एकादशी व्रतों का राजा होता है। यह व्रत यदि पूर्ण नियम से रखा जाय तो कई जन्मों के पापों का नाश होता है। हिन्दी तिथि से यह एकादशी के दिन रखा जाता है। प्रत्येक महीने में दो एकादशी पड़ते हैं। एक शुक्ल और एक कृष्ण पक्ष में पड़ता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। यह व्रत पापों को समाप्त करता है। संतान की उन्नति के लिये, पापों के नाश के लिए व जीवन में भक्ति मार्ग पर चलने के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। एकादशी धर्म के मार्ग में आने वाली समस्त बाधाओं को समाप्त करता है। इस दिन श्री विष्णुसहस्रनाम के पाठ का बहुत महत्व है। घर में हरि नाम संकीर्तन करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
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एकादशी व्रत का महत्व और विधि (Ekadashi Vrat Significance And Vidhi)

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  • ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करके पूजा पे बैठना चाहिए।
  • पूजन स्थल को साफ करें और वहां रंगोली बनाएं।
  • उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके या जिधर आपके घर का वास्तु अनुरूप मंदिर है उसकी तरफ मुख करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें और साथ में श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
  • रोग मुक्ति के लिए किसी मंदिर में सत्यनारायन भगवान की कथा सुनें इससे रोगों से मुक्ति मिलेगी।
  • पूरा दिन उपवास या फलाहार का व्रत रखें और प्रातःकाल विष्णु मंदिर अवश्य जाएं।
  • इस दिन अन्न और वस्त्र का दान करें। गरीबों में अन्न बाटें।
  • अस्पतालों में गरीब मरीजों को फ़ल वितरण करें।
  • इस दिन एक बेल या पीपल का वृक्ष लगाने से कई जन्मों के पापों का नाश होकर अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।
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