Ekdant Sankashti Chaturthi Vrat Katha: गणेश जी का ये व्रत करके हो जाएंगे एकदम सुखी, हिंदी में पढ़ें एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

Ekdant Sankashti Chaturthi 2023 Vrat katha: गणपति बप्पा का पूजन कर जीवन में आ जाएगी सुख, शांति और समृद्धि। यहां देखें सभी दुखों का निवारण करने वाली एकदंत संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा। जिसका विधिपूर्वक पाठ करने पर जातकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

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Ekdant Sankashti Chaturthi 2023 Vrat katha: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पावन बेला का उत्सव मनाया जाता है। इस साल एकदंत संकष्टी चतुर्थी 8 मई 2023 सोमवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी काम को करने से पहले अथवा किसी भी दुख या कष्ट का निवारण करने के लिए श्री गणेश की स्तुति अत्यंत महत्वपूर्ण है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी के साथ इस वर्ष शिव का भी बेहतरीन योग बन रहा है। यहां देखें एकदंत संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा, जिसका दिल से पाठ करने पर हर जातक के दुखों का निवारण होगा अथवा संतान प्राप्ति से लेकर सुख की प्राप्ति तक सब हो जाएगी।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2023 व्रत कथा, Ekdant Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Katha

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बहुत ही मधुर बेला में श्री विष्णु का विवाह माता लक्ष्मी के साथ तय हुआ था। और विवाह में अपना आशीर्वाद और बधाई देने के लिए सभी देवतागणों को लक्ष्मी पति द्वारा दिल से न्योता भेजा गया था। लेकिन न्योता भेजते वक्त विष्णु जी ने श्री गणेश को आमंत्रण नहीं भेजा। तैयारी के दिन गुज़र गए और फिर लक्ष्मी जी और विष्णु जी के विवाह का दिन आ गया। विवाह में वैकुंठ धाम के सभी देवी-देवता शामिल हुए लेकिन उन्होंने पाया कि शादी में गणपति जी तो आए ही नहीं हैं। सभी देवतागण ये सोच कर बहुत आश्चर्यचकित हो उठे कि, आखिर शादी के लिए गणेश जी को क्यों आमंत्रित नहीं किया गया। अपनी दुविधा दूर करने के लिए सभी देवतागण एकत्रित होकर विष्णु जी के समीप पहुंचे और पूछने लगे कि आखिर गणेश जी को शादी में क्यों नहीं बुलाया गया है। तो इस बात का उत्तर देते हुए विष्णु जी ने कहा कि, मैंने गणेश जी के पिता भोलेनाथ को न्योता दिया था। अब वे अपने पिता के साथ शादी में आना चाहते तो आ सकते थे, मुझे उन्हें अलग से न्योता देने की आवश्यकता नहीं लगी।

इसके आगे विष्णु भगवान ने कहा कि, न्योते के साथ साथ गणेश जी को दिन भर में सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन भी चाहिए होगा। इसलिए अगर वे शादी में न भी आए, तो इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि भला किसी और के घर जाकर इतना सारा खाना खाना भला अच्छा लगता है क्या? विष्णु जी की ये बातें सुनकर तभी किसी ने ये सुझाव दिया कि अगर गणेशजी शादी में आ भी जाएंगे तो, उनको हम द्वारपाल बनाकर बैठा देंगे। यह कहकर के जी आप यहां दरवाज़े पर बैठकर घर का ध्यान रखना। क्योंकि आप तो चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलोगे तो बारात से बहुत पीछे रह जाओगे। ये सुझाव सभी को पसंद आया और भगवान विष्णु ने भी इसे अमल करने के लिए समहती दे दी। गणेशजी आए और उन्हें समझाकर रखवाली के लिए बैठा दिया गया, बारात चली तब नारदजी ने देखा की गणेशजी दरवाजे पर ही बैठे हैं। तो वह गणेशजी के पास गए और रुकने का कारण पूछा, जिसपर गणेशजी ने कहा कि भगवान विष्णु ने उनका अपमान किया है। नारदजी ने तब गणेशजी को एक मज़ेदार सुझाव देते हुए कहा कि, आप एक काम करिए अपनी मूषक सेना को आगे भेज दीजिए और उनसे कहिए कि वे आगे का रास्ता खोद दें। इससे उनके वाहन धरती में धंस जाएंगे और फिर उन्हें आपको सम्मानपूर्वक बुलवाना ही पड़ेगा।

गणेशजी ने ऐसा ही किया और जब बारात धरती में जाने वाले रथ धरती में धंस गए तो लाख कोशिश के बाद भी पहिए ज़मीन से बाहर नहीं निकल पाए। इसके बाद सभी ने अपने अपने उपाय किये लेकिन किसी का उपाय कुछ काम नहीं आया, इसपर नारद जी ने कहा कि आप लोगों ने गणेशजी का अपमान करके अच्छा नहीं किया है। अगर उन्हें मनाकर लाया जाए तो कार्य सिद्ध हो जाएगा, जिसके बाद श्री विष्णु और सभी देवतागणों ने गणेशजी को आदर-सम्मान के साथ पूजन कर उन्हें शादी में आने का न्योता दिया। और तब जाकर रथ के पहिए निकल गए, अब रथ के पहिए निकले लेकिन टूट-फूट गए उनका सुधार कौन करेगा, तब किसी ने देखा कि पास के खेत में खाती काम कर रहा था। उसे बुलवाया गया और उस व्यक्ति ने पहिए सुधारने से पहले ‘श्री गणेशाय नम:’ बोला और गणेशजी की वंदना करने के बाद सभी पहिए ठीक हो गए।

जिसके बाद पहिए ठीक करने वाले व्यक्ति ने कहा कि, आप लोगों ने जरूर सर्वप्रथम गणेशजी की वंदना नहीं की होगी इसलिए ये संकट आया। हम तो मूरख अज्ञानी, फिर भी पहले गणेशजी को पूजते हैं उनका ध्यान करते हैं, आप लोग तो देवतागण हैं फिर भी गणेशजी को कैसे भूल गए। अब आप लोग बारात निकालने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें, सभी ने ऐसा किया और बारात सफलतापूर्वक अपनी जगह पर पहुंच गई। इसलिए कहा गया है कि कोई भी काम से पहले भगवान गणेश की वंदना जरूर करें। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन या किसी भी काम को करने से पहले गणेश जी पूजन किया जाता है। वहीं एकदंत संकष्टी चतुर्थी वाले दिन गणपति जी का पूजन करना बहुत ही ज्यादा लाभदायक माना जाता है। ये ऐसा दिन है, जब श्री गणेश जातकों की कोई भी बात अनसुनी नहीं करते हैं।

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अवनि बागरोला author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली लड़की, जिसे कविताएं लिखना, महिलाओं से ज...और देखें

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