Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: कब रखा जाएगा एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत, यहां नोट करें सही तिथि और महत्व
Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित व्रत होता है। इस दिन भगवान गणपति की पूजा का विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं मई के महीने में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब रखा जाएगा।
Sankashti Chaturthi 2024
Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 Date:हर महीने की चतुर्थी तिथि विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है। कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन पूरे विधि- विधान के साथ बप्पा की पूजा की जाती है। एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से और भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सारे काम बिना किसी विघ्न बाधा के बन जाते हैं। आइए जानें कब रखा जाएगा ये व्रत और इसके महत्व के बारे में।
Ekdant Sankashti Chaturthi 2024 Date (एकदंत संकष्टी चतुर्थी डेट 2024)हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन एकंदत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस साल ये व्रत 26 मई 2024 को रविवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन शाम के समय में भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा की जाती है।
Sankashti Chaturthi 2024 Shubh Muhurat (संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2024)पंचांग के अनुसार इस साल ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 25 मई 2024 शाम के 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा। वहीं इसके साथ ही इस तिथि का समापन 26 मई 2024 शाम 06 बजकर 06 का समापन होगा। ऐसे में ये व्रत 26 मई 2024 को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह 7 बजे से लेकर 12 बजे तक रहेगा। इस दिन चंद्रदोय 9 बजकर 45 मिनट पर होगा।
Ekdant Sankashti Chaturthi Puja Vidhi (संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि)- इस दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
- उसके बाद घर के मंदिर में सफाई के बाद चौकी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
- फिर बप्पा को चंदन, तिलक, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें।
- उसके बाद कथा का पाठ करें और आरती करें।
- अंत में भगवान गणेश को 11 या 21 लड्डू का भोग लगाएं।
Ekdant Sankashti Chaturthi Importance (एकदंत संकष्टी चतुर्थी महत्व)हिंदू धर्म में एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान गणेश के एकदंत रूप की पूजा पूरे विधि- विधान से साथ की जाती है। इनकी पूजा करने से साधक के जीवन में मंगल ही मंगल होता है। इसके साथ ही सारे विघ्नों का नाश भी होता है। इस व्रत को करने से हर काम में सफलता प्राप्त होती है।
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