Explained: आखिर क्यों पंच तत्वों का प्रतीक है मिट्टी का दीया? पूजा में क्यों जलाते हैं दीप, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत और क्या है महत्व
Importance and Significance Of Clay Lamp (मिट्टी के दीये का इतिहास और महत्व): हिंदू धर्म में मिट्टी के दीये को बहुत ही शुभ माना जाता है। पूजा पाठ से लेकर जन्म मरण तक के सारे विधि- विधान में मिट्टी का दीपक ही जलाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं दीये जलाने की परंपरा कब से शुरू हुई है। आइए आज हम आपको बताते हैं मिट्टी के दीपक का महत्व और क्यों हैं ये पूजा के लिए खास।
Mitti ka Diya
Mitti Ke Diye Ka Itihas, Aur Puja Me Mahtav (पूजा के लिए मिट्टी का दीपक क्यों है जरूरी): धार्मिक ग्रंथों में मिट्टी के दीपक को पंच तत्वों का प्रतीक माना गया है। दीपक जलाए बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। मिट्टी का दीया जलाने से घर में सकारात्मकता आती है। इसके साथ ही अगर आप किसी भी देवी - देवता के सामने दीपक जलाते हैं तो आपको हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है। पंडित सुजीत जी महाराज के अनुसार दीपक में देवी देवताओं का तेज होता है। इस कारण पूजा में इसे जलाना शुभ होता है। दीपक ना केवल देवी- देवताओं की पूजा के लिए जलाया जाता है, बल्कि पितरों की पूजा में भी दीपक जलाने का अधिक महत्व है।
कैसे शुरू हुई मिट्टी की दीप जलाने की परंपरा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मिट्टी का दीपक जलाने की परंपरा ऋग्वेदिक काल में ही आरंभ हो गई थी। ऋग्वेद में इस बात का जिक्र है कि दीपक में देवी- देवताओं की ऊर्जा का वास होता है। ऋग्वेद काल में यज्ञ के लिए अग्नि प्रज्वलित की जाती थी। उसके बाद से अलग- अलग रूप में अग्नि जलाने की परंपरा पूजा-पाठ और तीज त्योहारों के साथ जुड़ती चली गई। त्रेतायुग में राम के अयोध्या लौटने पर अयोध्या वासियों ने दीपक जलाए थे। द्वापर युग में कृष्ण के नरकासुर राक्षस वध के बाद वहां के वासियों ने दीपक जलाकर जीत की खुशी को प्रकट किया था। उसके बाद आज के समय में कलयुग में दीवाली से लेकर हर व्रत, त्योहार और रोज की पूजा में दीपक जलाए जाते हैं। वेदों और उपनिषदों में गाय के घी से दीपक जलाने के विधान को बताया गया है।पंचतत्व का प्रतीक क्यों है मिट्टी का दीया
मिट्टी के दीपक को पंच तत्व का प्रतीक माना जाता है। इसे मिट्टी को पानी में गलाकार बनाया जाता है। जो भूमि और जल तत्व का प्रतीक होता है। जब ये बन जाता है तो इसके धूप और हवा में रखकर सूखाया जाता है। जो आकाश और वायु का प्रतीक है। फिर इसके आग में तापाकर बनाया जाता है। जो अग्नि का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा के समय मिट्टी का दीपक जलाने से साधक को साहस और पराक्रम की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही घर में सुख, समृद्धि आती है।किस देवता को जलाएं कौन सा दीपक
सरसों तेल का दीपकसरसों के तेल का दीपक ज्यादातर पूजा में प्रयोग किया जाता है। सरसों के तेल का दीपक खासतौर पर हनुमान जी और शनिदेव के लिए जलाना चाहिए। इसका दीपक जलाकर इनकी पूजा करने से ये देवता प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
तिल के तेल का दीपक
धन की देवी माता लक्ष्मी के सामने तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। माता लक्ष्मी ऐसा करने से बहुत प्रसन्न होती हैं और साधक को धन, धान्य से भर देती हैं।
घी का दीपक
घी का दीपक भी मुख्य रूप से तुलसी के पौधे में जलाना चाहिए। तुलसी में घी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और सुख, समृ्द्धि आती है।
दीपक जलाने के नियम
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दीपक हमेशा विषम संख्या में जलाया जाता है। घी का दीपक सुख, समृ्द्धि के लिए जलाना शुभ माना जाता है। वहीं तांत्रिक विद्या की पूजा के समय तेल का दीपक जलाया जाता है। भूलकर भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मकता आती है। सुबह और शाम के समय में खासतौर पर दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।मुख्य द्वार पर क्यों जलाया जाता है दीपक
पंडित सुजीत महाराज के अनुसार संध्या काल में घर के मुख्य द्वारा पर दीपक जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में प्रवेश करती हैं।इसके साथ ही हर रोज शाम के समय दीपक जलाने से कुंडली में उपस्थित राहु ग्रह से छुटकारा मिलता है और घर से नकारात्मकता दूर हो जाती है। शाम के समय में दीपक जलाने से दरिद्रता, रोग, शोक दूर होते हैं।
दीपक को किस दिशा में जलाना चाहिए
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घी का दीपक हमेशा अपने बाएं हाथ की ओर जलाएं और तेल का दीपक दाएं हाथे के ओर जलाना चाहिए। देवी देवता के समक्ष दीपक ठीक उनकी प्रतिमा के सामने जलाना चाहिए। दीपक में हमेशा भरकर तेल और लंबी बात्ती दें। जिससे वो लंबे समय तक जलता रहे। मुख्य द्वार पर दीपक हमेशा दाईं तरफ ही जलाएं।तेल का दीपक कब जलाना चाहिए
- शनि की साढ़ें साती और ढैय्या से छुटकारा पाने के लिए आप तेल का दीपक जला सकते हैं।
- इसके साथ ही हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए तेल का दीपक जलाना शुभ होता है। बजरंगबली को तीन कोनो वाला दीपक जलाएं
- काल भैरव और कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत करने के लिए सूर्यदेव को तेल का दीपक दिखाएं। राहुकेतु को कुंडली में शांत रखने के लिए भी तेल का दीपक जलाना लाभकारी होता है।
दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिवाली की पूजा के समय 5,7,9,11,21,51 ऐसे विषम संख्या में अपनी क्षमतानुसार दीपक जला सकते हैं। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी का आगमन होता है।दीपक के उपाय
पंडित सुजीत जी महाराज के अनुसार दीपक जलाकर आप अपने जीवन के कई तरह की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए माता लक्ष्मी के सामने हर रोज अलसी के तेल का 7 दीपक जलाएं और माता लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही सूर्य देव की कृपा प्राप्ति के लिए हर रोज सूर्य देव को जल चढ़ाकर तेल का दीपक दिखाएं। बुधवार के दिन गणेश जी के सामने तीन बात्ती वाला घी का जीपक जलाएं। ऐसा करने से आपके सारे काम बन जाएंगे और आपके परिवार में बरकत आएगी।मिट्टी के दीप का महत्व
पंडित सुजीत जी महाराज के अनुसार दीपक जलाने के बहुत आवश्यक माना गया है। इसके बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। प्रसन्नता, उमंग,प्रेम व भक्ति अग्नि को प्रत्यक्ष देव मानते हुए दीपक में निवास करते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से दीपक व मिट्टी मङ्गल व भू तत्व का प्रतीक माना जाता है। घी समृद्धि व शुक्र का प्रतीक है। तिल का तेल शनि का प्रतीक है। यह परंपरा वैदिक काल से अनवरत चलते हुए आज भी लोक परम्परा में प्रचलित है। जब हम पूजा घर मे दीप जलाते हैं तो उसके अग्र भाग में समस्त देवताओं का वास होता है। दीपक आत्मा का परमात्मा से मिलना का मार्ग खोलता है। ईश्वर का ध्यान करके जब दीप जलाया जाता है। तब उसे दीप की रौशनी से पूरे संसार में सकारात्मकता फैलती है। देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
TNN अध्यात्म डेस्क author
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