उदया तिथि क्या होती है क्यों इसकी वजह से त्योहारों की डेट को लेकर होता है कन्फ्यूजन, जानें पूरी डिटेल

Explained What Is Udaya Tithi: जब भी किसी व्रत-त्योहार की डेट को लेकर कन्फ्यूजन होता है तब-तब उदया तिथि के बारे में सुनने को मिलता है। लेकिन क्या है ये उदया तिथि और क्यों तीज-त्योहार के समय इस

What Is Udaya Tithi

What Is Udaya Tithi In Hindi

What Is Udaya Tithi In Hindi (उदया तिथि क्या है): उदया तिथि का अर्थ है सूर्योदय के साथ शुरू होने वाली तिथि। हिंदू धर्म में ज्यादातर व्रत-त्योहार उदया तिथि के हिसाब से ही मनाए जाते हैं और अधिकतर ज्योतिष भी इसी के हिसाब से त्योहार मनाने की सलाह देते हैं। लेकिन कुछ ज्योतिष उदया तिथि का उतना महत्व नहीं मानते। यही वजह से है कि कुछ त्योहारों में इसे लेकर इतना ज्यादा कन्फ्यूजन हो जाता है कि वो व्रत-त्योहार फिर दो दिन मनाया जाता है। रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, तीज, जैसे कई त्योहारों में ये स्थिति अक्सर देखने को मिलती है। लेकिन उदया तिथि है क्या और क्यों व्रत-त्योहारों की डेट निर्धारित करने के लिए इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है इस बारे में जानते हैं।

उदया तिथि क्या है (What Is Udaya Tithi In Hindi)

पंडित सुजीत जी महाराज अनुसार उदया तिथि का मतलब है जो तिथि सूर्योदय के साथ शुरू होती है वो पूरे दिन मानी जाती है। चाहे उस व्रत-त्योहार की तिथि एक दिन पहले ही क्यों न शुरू हो गई हो लेकिन वह उसी दिन मानी जाएगी जिस दिन वो सूर्योदय के समय मौजूद रहेगी। बता दें पंचांग में कोई भी तिथि 19 से लेकर 24 घंटे तक रहती है। फिर ये तिथि चाहे कभी भी लगे लेकिन इसकी गणना सूर्योदय के आधार पर ही होती है। इसे इस तरह से समझते हैं कि मान लीजिए आज सूर्योदय के समय एकादशी तिथि है और वो आज सुबह ही 10.30 पर खत्म हो जाएगी इसके बाद द्वादशी लग जाएगी। तो भी यहां द्वादशी तिथि न मानकर एकादशी ही मानी जाएगी। क्योंकि एकादशी तिथि सूर्योदय के समय व्याप्त है।

उदया तिथि के हिसाब से नहीं होता हर व्रत

लेकिन यहां ये भी स्पष्ट कर दें कि हर तीज त्योहार में उदया तिथि को नहीं देखा जाता। कुछ त्योहारों में काल व्यापिनी तिथि को देखा जाता है। जैसे करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा जरूरी होती है इसलिए ये व्रत उसी दिन रखा जाता है जिस दिन चौथ तिथि में चंद्रमा का उदय हो रहा हो। यानी अगर चौथ तिथि सूर्योदय के समय न लगकर अगर शाम में भी लग रही हो तब भी व्रत उसी दिन माना जाएगा। क्योंकि यहां चंद्रमा का उदय चौथ तिथि में हो रहा है। ऐसे ही दीवाली पर्व में भी उदया तिथि को न देखकर अमावस्या की रात्रि को देखा जाता है यानी दिवाली पर्व उस तारीख को मनाया जाता है जिस समय रात्रि में अमावस्या तिथि पड़ रही हो और उस रात्रि में स्थिर लगन वृष राशि में हो।
ऐसे में आपको ये तो स्पष्ट हो गया होगा कि उदया तिथि का भले ही हिंदू व्रत-त्योहारों की तारीख निर्धारित करने में महत्वपूर्ण योगदान होता है लेकिन हर त्योहार उदया तिथि के हिसाब से निर्धारित हो ऐसा नहीं है। लेकिन जिन त्योहारों में उदया तिथि का महत्व होता है उन त्योहारों को उदया तिथि के हिसाब से ही रखा जाना चाहिए। चलिए अब आगे जानते हैं कि हिंदू कैलेंडर में कौन-कौन सी तिथियां होती हैं और उनके स्वामी कौन हैं।

हिंदू तिथियों के नाम

प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदश, चतुर्दशी, पूर्णिमा या अमावास्या।कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि अमावास्या होती है तो शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा कहलाती है।

तिथियों के स्वामी

अग्नि को प्रतिपदा तिथि, ब्रह्मा को द्वितीया तिथि, यक्षराज कुवेर को तृतीया तिथि, भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि, नागराज को पंचमी तिथि, कार्तिकेय जी को षष्ठी तिथि, सूर्य देव को सप्तमी तिथि, रुद्र को अष्टमी तिथि, दुर्गा देवी को नवमी तिथि और यमराज को दशमी तिथि का देवता माना जाता है। इसके अलावा विश्वेदेवगणों को एकादशी तिथि, भगवान विष्णु को एकादशी के साथ द्वादशी तिथि, कामदेव को त्रयोदशी, शंकर भगवान को चतुर्दशी और चंद्र देव को पूर्णिमा तिथि दी गई है। पितरों को अमावास्या तिथि दी गई है।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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