Ashwathama Story: अश्वत्थामा बने अमिताभ बच्चन, कौन था महाभारत का यह परम योद्धा, क्या आज भी है जिंदा, यहां जानिए इस महाबली की पूरी कुंडली

Kalki 2898 AD मूवी का टीजर रिलीज कर दिया गया है जिसमें अमिताभ बच्चन अश्वत्थामा के किरदार में नजर आ रहे हैं। बता दें अश्वत्थामा महाभारत के मुख्य पात्रों में शामिल है। मान्यताओं अनुसार ये आज भी धरती पर मौजूद है और इधर-उधर भटक रहा है।

Who Was Ashwathama

Ashwathama Is Still Alive?

Is Ashwathama Still Alive: अश्वत्थामा महाभारत का एक ऐसा पात्र है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये आज भी धरती पर मौजूद है और मुक्ति के लिए इधर-उधर भटक रहा है। बता दें अश्वत्थामा कौरव और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था। जिसे भगवान शिव से एक ऐसी शक्तिशाली दिव्य मणि प्राप्त थी जिसने उसे अमर बना दिया था। महाभारत युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया। लेकिन अपनी एक गलती के कारण उसे धरती के अंत तक कष्ट भोगने का शाप मिला। बताया जाता है कि इसी शाप के कारण ये बेहद ही खराब स्थिति में वनों में भटक रहा है।

Who Is Kalki Bhagwan

भगवान कृष्ण ने दिया शाप

पौराणिक कथाओं अनुसार अश्वत्थामा को दुनिया के अंत तक भटकने का शाप देने वाले कोई ओर नहीं भगवान कृष्ण ही थे। भगवान कृष्ण ने ये शाप अश्वत्थामा को इसलिए दिया था क्योंकि उसने पाण्डव पुत्रों की सोते हुए ही हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं इसने ब्रह्माशास्त्र से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नष्ट करने की कोशिश की थी। अश्वत्थामा की इस हरकत पर श्री कृष्ण को क्रोध आ गया और उन्होंने उसे शाप दिया की जब तक ये दुनिया रहेगी तब तक तुम इस पाप का फल भोगोगे। तुम हर पल मुक्ति के लिए तड़पते रहोगे लेकिन फिर भी तुम्हें इस कष्ट से छुटकारा नहीं मिलेगा।

आज भी भटक रहा है अश्वत्थामा

एक पौराणिक कथा अनुसार श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को शाप देते हुए ये कहा था कि जिस प्रकार तूने द्रोपदी की ममता को सदा के लिए शोक संतप्त दिया है ठीक उसी तरह से तू भी अपनी इस अमूल्य मणि के विच्छेदित (अलग) किए जाने से हुए घाव के साथ जिंदा रहेगा। इस घाव की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए तू हर पल मृत्यु की गुहार लगाएगा।

कैसे पड़ा अश्वत्थामा नाम

अश्वत्थामा नाम कैसे पड़ा इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कहते हैं जब गुरु द्रोण के घर इस बालक का जन्म हुआ था तो उसने जन्म लेते ही अश्व यानि घोड़े की तरह आवाज की थी। जिसके बाद आकाशवाणी हुई कि इस बालक को अश्वत्थामा के नाम से जाना जाएगा।

अश्वत्थामा की दिव्य मणि

अश्वत्थामा के पास एक ऐसी मणि थी जिसकी वजह से वह अजेय और अमर था। इसी मणि के कारण ही ना वह कभी बीमार पड़ सकता था और ना ही बूढ़ा हो सकता था।ये मणि इसे भगवान शंकर से वरदान स्वरूप प्राप्त हुई थी। जो जन्म से ही इसके मस्तक पर सुशोभित थी। ये चमत्कारी मणि सभी तरह की विपत्तियों से उसकी रक्षा करती थी।

धरती पर कहां है अश्वत्थामा

अश्वत्थामा की धरती पर मौजूदगी को लेकर हमेशा से ही चर्चा होती रही है और कई बार तो इसके जीवित होने के कई सबूत भी सामने आए हैं। लेकिन ये सच है या नहीं इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। लोगों के बीच प्रचलित मान्यताओं अनुसार मध्य प्रदेश में महू से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर विंध्याचल की पहाड़ियों पर खोदरा महादेव विराजमान हैं। मान्यता है कि आज भी अश्वत्थामा यहां आते हैं। मध्य प्रदेश के अलावा ओडिशा और उत्तराखंड में भी अश्वत्थामा को देखे जाने की कहानियां सुनने को मिली हैं।

अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों का क्यों किया वध

दरअसल अश्वत्थामा के पिता गुरु द्रोण को सामान्य तरीके से हरा पाना मुश्किल था। इसलिए उन्हें हराने के लिए एक रणनीति बनाई गई। जिसके तहत जब गुरु द्रोण युद्ध स्थल पर आते तो उन्हें युधिष्ठिर कहते कि अश्वत्थामा मारा गया, हाथी या मनुष्य। युधिष्ठिर से ये बात कहलवाने के पीछे ये वजह थी कि गुरु द्रोण जानते थे कि युधिष्ठिर कभी झूठ नहीं बोलते इसलिए उनकी बातों पर वे आसानी से यकीन कर लेंगे। जब द्रोण रणक्षेत्र में दाखिल हुए तो युधिष्ठर ने ऐसा ही कहा लेकिन युधिष्ठिर के अश्वत्थामा मारा गया कहते ही ऐसी तेज आवाज की गई कि जिससे गुरु द्रोण ने आगे की बात सुनी ही नहीं। द्रोण को लगा कि उनका पुत्र मारा गया। जिससे वो शोकाकुल होकर रथ से उतर गए। इसी समय का लाभ उठाते हुए भीम ने उन्हें मार दिया।

फिर छीन ली गई अश्वत्थामा की मणि

जब अश्वत्थामा को अपने पिता की मृत्यु का पता चला तो उसने पांडवों की सेना के एक बड़े हिस्से को तहस-नहस कर दिया। इसके बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हो रहा था तब वह रात के समय पांडवों के पंडाल में गया, जहां वे पांचों सोते थे और उसने वहां आग लगा दी। लेकिन उस रात उस पंडाल में पांडवों की जगह उनके पांच पुत्र सो रहे थे। जिस कारण पांचों पुत्र मारे गए। कहते हैं इसके बाद पांडवों ने उसे पकड़ा और उसके मणि निकाल ली जिससे वह लहुलुहान हो गया। तब कृष्ण ने उसे शाप दिया कि अब वह इसी खराब हालात में अपना जीवन गुजारेगा और धरती के अंत तक जीवित रहेगा। कहते हैं यही वजह से कि अश्वत्थामा आज भी वनों में भटक रहा है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited