इस वजह से कहा जाता है अन्न को तन का धन, भाेजन करते समय न भूलें ये 11 बातें

Health is wealth: अध्यात्म की धारा में सदैव ही होता है भाेजन का महत्व। अन्न ग्रहण करने का होता है अपना विज्ञान। सनातन धर्म में भाेजन पकाने से लेकर ग्रहण करने तक का बताया गया है विधान। जैसा भाेजन खाया जाता है मन के विचार भी वैसे ही बनते हैं। भाेजन करते वक्त कुछ विशेष बातें ध्यान रखनी बेहद जरूरी होती हैं।

eating habit

जानिए कैसे भाेजन का शरीर पर पड़े सकारात्मक प्रभाव

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • अन्न ग्रहण करने का होता है अपना विज्ञान
  • भोजन पकाने और स्थान का होता है महत्व
  • भाेजन पर दृष्टि दोष का भी पड़ता है प्रभाव
Health is wealth: भाेजन भाग्य की कड़ी है। जब तक भाग्य नहीं होता, किसी भाेजन को आप छू नहीं सकते, सामने रखी थाली से उठ जाते हैं। अन्न से जीवन की धाराएं बदल जाती हैं। 72 प्रकार की धाराओं से अन्न का एक कण प्रतिबंधित रहता है। अन्न का कण बड़ी से बड़ी विपत्ति का कारण बन जाता है। विष बन जाता है अमृत भी बन जाता है। इसलिए यह जान लेना आवश्यक है कि अन्न का सीधा बुद्धि पर प्रभाव पड़ता है। अध्यात्म में अन्न के सभी दोष दूर कर उसे गुणवान बनाने का भी विधान है। आइये आपको बताते हैं भाेजन ग्रहण करते वक्त किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
भाेजन करते वक्त याद रखें ये बातें
  1. भाेजन को प्रणाम कर दोष निवृत्ति की प्रार्थना करें।
  2. भाेजन को अभिमंत्रित करें।
  3. भाेजन करते समय नैवेद्य अवश्य लगाना न भूलें, इससे उसके अंश बदलते हैं।
  4. भाेजन पर कुदृष्टि न पड़ें।
  5. भोजन की उपेक्षा न करें।
  6. भाेजन की मीमांसा न करें।
  7. ठाेकर से सदैव अन्न कण को बचाना चाहिए।
  8. भाेजन का स्थान बार− बार परिवर्तित न करें।
  9. भाेजन पर किसी तरह का आक्रोश न निकालें।
  10. भाेजन का कभी भी अपमान न करें।
  11. भाेजन बनाने वाले, परोसने वाले और भाेजन करते समय प्रभु अर्पण का सम्मानित भाव सहज रूप से मन में रखें।
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भाेजन को प्रणाम करने मात्र से उसके गुण सहज रूप सेे स्वस्थ बनाए रखते हैं। यदि अन्न युक्त थाली को ठोकर लग जाती है तब वह भाेजन आण्विक स्थिति के चक्र को छोड़ देता है। इस तरह का भाेजन अपने तत्व गुणाें को विषाक्त कर देता है। यहां तक कि दृष्टि के प्रभाव से भी भाेजन का स्वाद परिवर्तित हो जाता है और यह अन्न तेजी से कम होना आरंभ हो जाता है। भाेजन बनाते समय उसी स्थान पर यदि उसे ग्रहण भी करते हैं तो उस परिवार के बच्चे मानसिक रूप से उग्र होते हैं, साथ ही वह परिवार शीघ्र ही दरिद्र होना आरंभ हो जाता है। बने हुए भाेजन को लांघने वाला व्यक्ति अपनी ही आयु को क्षीण कर लेता है। वहीं जो लोग उस भाेजन को खाते हैं वे पेट रोग से पूरे सप्ताह तक पीड़ित रहते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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