White Madar Plant Benefits: सफेद मदार के पाैधा में गणपति होते हैं विराजमान, जानिए कैसे बन सकते हैं इससे बड़े-बड़े काम
White Madar Plant Benefits: शास्त्रों में वर्णित है सफेद मदार के पौधे के गुण। सफेद मदार के पौधे को आक, अकौआ या श्वेतार्क गणपति भी कहा जाता है। इस पौधे का मिलना कहा जााता है शिवजी और गणेश की कृपा का मिलना। आइये आपको बताते हैं एक पौधे के अनेक फायदे।
सफेद मदार के पौधे के लाभ
- सफेद मदार के पौधे का एक नाम आक का पौधा भी है
- सफेद मदार के पौधे की जड़ गणेशाकृति में भी हाेती है
- दरिद्रता, विघ्न, अभिशाप के दुष्प्रभाव को खत्म करता है
भारतीय वनस्पतियों में मदार एक विशिष्ट वर्ग का पौधा है। यह विषैला होता है, इसकी पत्तियाें को पशु नहीं खाते हैं, लेकिन फिर भी यह अद्भुत गुणाें से संपन्न है। इसकी रूई कोमल एवं गरम होती है। आयुर्वेद में इसकी विषाक्ता को औषधीय प्रयोगों द्वारा जीवनदायी बताया गया है।
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सफेद मदार या श्वेतार्क गणपति का महत्व
आम तौर पर बैंगनी रंग के फूल वाले मदार के पौधे ही सभी जगह देखे हैं। औषधीय प्रयोगों में वहीं काम आते हैं, किंतु सफेद फूल वाले मदार के पौधे, जिसे श्वेतार्क गणपति कहा जाता है आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। माना जाता है श्वेतार्क गणपति प्राप्त करना मतलब गणपति को प्राप्त करना है। शिवजी और गणपति दोनों इस पौधे को रखने वाले से प्रसन्न होते हैं। शास्त्रोें में कहा गया है कि जहां कहीं यह पौधा अपने आप उगा हो, उसके आस−पास पुराने समय का धन गढ़ा होता है। जिस घर में श्वेतार्क की जड़ रहेगी वहां से दरिद्रता पलायन कर जाएगी। मानव के लिए यह पौधा समृद्धिकारी, रक्षक और देव कृपा का प्रदाता होता है।
श्वेतार्क गणपति के उपाय
सफेद मदार की जड़ घर लायें और इसकी जड़ में गणेश जी का वास होता है। कहीं−कहीं यह जड़ गणेशाकृति में भी प्राप्त हो जाती है। उसकी पूजा गणेश प्रतिमा की भावना से करनी चाहिए। उस पर लाल सिंदूर का लेप करके लाल वस्त्र स्थापित करें। यदि जड़ गणेशाकार न हो तो उसे किसी कारीगर से बनवा लें।
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“ऊँ वक्रतुण्डाय हुम्” मंत्र का जाप करते हुए पूजन करें। गणेश उपासना में साधक लाल वस्त्र, लाल आसन, लाल पुष्प, लाल चंदन, मूंगा या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। नैवेद्य में गुड़, बेसन के लड्डू अर्पित करें। शास्त्रों में इस पौधे की प्रशंसा में बहुत कुछ कहा गया है। दरिद्रता, विघ्न, उपद्रव, मूर्खता, अभिशाप, जैसे दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। इसकी पूजा का प्रभाव बहुत कम समय में ही प्रत्यक्ष हो जाता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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