Ganesh Chaturthi 2023 Vrat Katha, Aarti, Puja Vidhi, Muhurat LIVE: गणेश चतुर्थी व्रत कथा, आरती, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र सबकुछ यहां जानें
Ganesh Chaturthi 2023 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Aarti, Mantra: हिंदू पंचांग अनुसार गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है जो इस बार 19 सितंबर, मंगलवार को मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त 11:01 AM से 01:28 PM तक रहेगा। यहां जानिए गणेश चतुर्थी की आरती, मंत्र, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत कथा।
Ganesh Chaturthi Puja Muhurat 2023: जानें गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 2023
गणेश चतुर्थी कब है 2023- 19 सितंबर 2023, मंगलवार
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त 2023- 11:01 AM से 01:28 PM
गणेश विसर्जन कब है- 28 सितंबर 2023, बृहस्पतिवार
गणेश चतुर्थी पर वर्जित चन्द्रदर्शन का समय- 09:45 AM से 08:44 PM
गणेश चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 18 सितम्बर 2023 को 12:39 PM बजे
गणेश चतुर्थी तिथि समाप्त - 19 सितम्बर 2023 को 01:43 PM बजे
Ganesh Chaturthi Puja Vidhi: गणेश चतुर्थी 2023 पूजा विधि
-इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
-घर में भगवान गणेश की मूर्ति विधि विधान स्थापित करें।
-गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए एक चौकी लें और उस पर लाल या पीला रंग का कपड़ा बिछाएं।
-फिर भगवान गणेश की विधि विधान पूजा शुरू करें।
-सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति को गंगाजल से पवित्र करें और फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें।
-इसके बाद गणेश जी को मोदक अर्पित करें।
-फिर अगरबत्ती, धूप और दीप जलाकर गणेश भगवान की आरती करें।
Ganesh Mantra: गणेश भगवान के मंत्र
-ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
-ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
-ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
-वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi (Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, महत्व, गणपति बप्पा की मूर्ति की सजावट और इस पर्व के बारे में सबकुछ जानने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर...
Ganesh Chalisa: गणेश चालीसा
॥ दोहा ॥जय गणपति सदगुण सदन,कविवर बदन कृपाल ।विघ्न हरण मंगल करण,जय जय गिरिजालाल ॥॥ चौपाई ॥जय जय जय गणपति गणराजू ।मंगल भरण करण शुभः काजू ॥जै गजबदन सदन सुखदाता ।विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥राजत मणि मुक्तन उर माला ।स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।चरण पादुका मुनि मन राजित ॥धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।अति शुची पावन मंगलकारी ॥एक समय गिरिराज कुमारी ।पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।बिना गर्भ धारण यहि काला ॥गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥लखि अति आनन्द मंगल साजा ।देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।बालक, देखन चाहत नाहीं ॥गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥बालक के धड़ ऊपर धारयो ।प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥चले षडानन, भरमि भुलाई ।रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।शेष सहसमुख सके न गाई ॥मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥॥ दोहा ॥श्री गणेश यह चालीसा,पाठ करै कर ध्यान ।नित नव मंगल गृह बसै,लहे जगत सन्मान ॥सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,ऋषि पंचमी दिनेश ।पूरण चालीसा भयो,मंगल मूर्ती गणेश ॥What Happens If We See Moon on Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी पर अगर गलती से देख लें चांद तो जरूर करें ये उपाय
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥Ganesh Mantra: गणेश जी के इस मंत्र का करें जाप
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।ॐ गं गणपतये नम:।'
'ॐ वक्रतुण्डाय हुं।'
सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः
ॐ मेघोत्काय स्वाहा।'
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'
'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।'
Ganesh Chaturthi Vrat Katha (गणेश चतुर्थी व्रत कथा)
गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने स्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक बालक को उत्पन्न किया जिसे उन्होंने गणेश नाम दिया। फिर पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे। ऐसा कहकर पार्वती जी स्नान के लिए चली गई। जब भगवान शिव वहां आए ,तो बालक ने उन्हें भी अंदर जाने से रोक दिया। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया, कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने और उन्हें लगातार अंदर जाने से रोकते रहें। तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेशजी की गर्दन काट दी।जब पार्वतीजी ने ये देखा तो वो जोर-जोर से विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी ने गुस्से में रौद्र रूप धारण कर लिया और भगवान शिव से उनके पुत्र को जीवित करने की बात कही। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन पार्वती जी नहीं मानी। तब शिवजी ने अपने गरुड़ से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। बहुत खोजने पर एक हथिनी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरुड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह सिर भगवान गणेश जी के लगा दिया जिससे गणपति बप्पा को जीव दान मिला। साथ ही गणेश जी को ये वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी ।
Ganesh Chatruthi 2023 Bhog: गणेश चतुर्थी भोग
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को लड्डू, मालपुआ और मोदक का जरूर लगाएं भोग। हर मनोकामना होगी पूरी।गणेश जी मंत्र ( Ganesh Chaturthi Mantra)
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश, ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति,, करो दूर क्लेशयदि आपके घर में कोई कलह, कलेश चल रहा हो तो आप गणेश चतुर्थी के दिन इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
ऊं एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात
इस मंत्र का जाप करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः। द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
गवान गणेश के इस मंत्र का जाप करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी और आपको सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
Ganesh Chaturthi Aarti, Sindoor Lal Chadhayo Aarti Lyrics in Hindi, सिंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गणेश आरती
सिंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
vakratunda mahakaya lyrics in hindi: वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा...
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
गणेश जी का ये मंत्र सबसे अधिक लोकप्रिय है। इस मंत्र का अर्थ ये है कि जिनकी सुंड घुमावदार है, जिनका शरीर विशाल है, जो करोड़ सूर्यों के समान तेजस्वी हैं, वही भगवान मेरे सभी काम बिना बाधा के पूरे करने की कृपा करें।
Ganesh Ji Mantra: गणेश चतुर्थी मंत्र
ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥श्री गणेश स्तुति | Shree Ganesh Stuti
नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम्
मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिपम्
नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥
भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम्
बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम्
धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम्
भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥२॥
गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम्
वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम्
विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम्
स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥३॥
सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम्
रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम्
ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम्
सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम् ॥४॥
सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम्
विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम्
*सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम्
नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥५॥
Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi: गणेश जी की आरती
सिंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
Ganesh Pujan Samagri List: गणेश पूजन सामग्री लिस्ट
- जनेऊ
- चाँदी का वर्क माला
- पांच प्रकार का फल
- मोदक या लड्डू
- श्री गणेश जी के पूजन के लिए गणपति प्रतिमा या गणेश प्रतिमा
- रोली
- कलश
- गंगा जल
- लकड़ी की चौकी
- चौकी पर बिछाने के लिए लाल कपड़ा
- लौंग
- सुपारी
- इलायची
- गुड
- नारियल
- खड़ा धन
- दूब/दूर्वा
- हरे मूंग
- पंचमेवा
- घी का दीपक
- भोग के लिए पंचामृत
- लाल चंदन
- इत्र
- धूप अगरबत्ती
- कपूर
Ganesh Chaturthi Mantra: गणेश चतुर्थी मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
why do we celebrate ganesh chaturthi: गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है
गणेश चतुर्थी पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के शुभ अवसर पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को जन्म लिया था।Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi: गणेश जी की आरती हिंदी में
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवाजय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
माथे सिंदूर सोहे, मूस की सवारी
माथे सिंदूर सोहे, मूस की सवारी
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
माथे सिंदूर सोहे, मूस की सवारी
माथे सिंदूर सोहे, मूस की सवारी
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
सुर शाम शरण आये सफल कीजे सेवा
सुर शाम शरण आये सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
गणेश चतुर्थी भोग ( Ganesh Chaturthi 2023 Bhog)
मोतीचूर के लड्डूभगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू बहुत पसंद हैं। गणेश चतुर्थी पर गणपति को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
मोदक
मोदक भगवान गणेश का सबसे प्रिय मिष्ठान है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को मोदक का भोग जरूर लगाना चाहिए।
मालपुआ
अगर आपकी शादी में रुकावटें आ रही हैं तो आप जी को मालपुआ का भोग लगा सकते हैं। माना जाता है कि गणपति के आशीर्वाद से जल्द ही शादी की शहनाई बजनी शुरू हो जाएगी।
श्रीखंड
यह एक पारंपरिक मिठाई है जिसे आप घर पर बनाकर भगवान गणेश को प्रसाद के रूप में चढ़ा सकते हैं।
हलवा
भगवान गणेश जी को हलवा का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इससे सारी मनोकामना पूरी होती है।
बेसन के लड्डू
भगवान गणेश को चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बेसन लड्डू का भोग लगा सकते हैं।
गणेश जी की आरती ( Ganesh Aarti Lyrics)
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती
पिता महादेवा ॥
Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी पर 300 वर्षों बाद ऐसा शुभ योग
इस वर्ष गणेश चतुर्थी के मौके पर 300 वर्षों के बाद ऐसा शुभ योग बन रहा है जो इस त्योहार के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाला साबित होगा। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर ब्रह्मा, शुभ और शुक्ल योग का संयोग बनेगा। यह योग 300 वर्षों के बाद बनने जा रहा है और इससे मुख्य रूप से मेष राशि, मिथुन राशि और मकर राशि के जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।Ganesh Chaturthi Puja Samagri: गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री
गणेश जी की मूर्तिपूजा के लिए चौकीलाल या पीला कपड़ा कलशगंगाजलकुमकुमहल्दीमौलीअक्षतसुपारीलौंगइलाइचीपानदूर्वापंचामृतआम के पत्तेसिंदूरलाल फूलजनेऊनारियल घीकपूर चंदनमोदक या बेसन के लड्डू सुपारीपंचमेवाधूपGanesh Chaturthi 2023 Chaughadiya Muhurat: गणेश चतुर्थी 2023 स्थापना के लिए चौघड़िया मुहूर्त
चर (सामान्य) - सुबह 09.11 - सुबह 10.43लाभ (उन्नति) - सुबह 10.43 - दोपहर 12.15अमृत (सर्वोत्तम) - दोपहर 12.15 - दोपहर 01.37Ganpati Sthapana 2023 Muhurat: गणेश स्थापना मुहूर्त
गणेश जी स्थापना मुहूर्त - सुबह 11.01 - दोपहर 01.28 (अवधि - 2.27 मिनट)वर्जित चंद्रदर्शन समय - सुबह 09.45 - रात 08.44Ganesh Chaturthi 2023 Decoration : गणेश चतुर्थी डेकोरेशन
Ganesh Chaturthi 2023 Modak Recipe: मोदक बनाने की सामग्री
मोदक बनाने के लिए सामग्रीचावल का आटा – 1 कपनारियल कद्दूकस – 1 कपगुड़ (कुटा हुआ) – 1 कपघी – 2 टी स्पूनकेसर – 1 चुटकीजायफल – 1 चुटकीनमक – 1 चुटकीGanesh Chaturthi 2023: गणेश वंदना
गणेश वंदनाहे एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकं।बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम....ॐ हरि ॐगणपति है वकर्तुंडंम, एकदंतम गणपति है,कृष्णपिंगाक्षम गणपति, गणपति गजवक्त्रंमम....है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।....ॐ हरि ॐगणपति लम्बोदरंम है, विकटमेव भी है गणपतिविघ्नराजेंद्रम गणपति, हो तुम्ही धूम्रवर्णमंम।।है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।....ॐ हरि ॐभालचंद्रम गणपति है, विनायक भी गणपति है,गणपति एकादशं है, द्वादशं तू गजाननंम।।है एकदंत विनायकं तुम हो जगत के नायकम।बुद्धि के दाता हो तुम माँ पार्वती के जायकं।।....ॐ हरि ॐGanesh Mantra: गणेश मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।। धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।' वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥.Ganesh Chaturthi 2023 Niyam : गणेश चतुर्थी नियम
जिस मूर्ति में भगवान गणेश की सूंड उनके बाईं तरफ झुकी होती है, वैसी मूर्ति बहुत शुभ मानी जाती है।भगवान गणेश की प्रतिमा ईशान कोण में स्थापित करनी चाहिए और मुख उत्तर दिशा में रखें।की को शुद्ध करने के बाद लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर अक्षत रखें। इसके बाद बप्पा को स्थापित करें।भगवान श्री गणेश को गंगाजल से स्नान कराएं।पूजा में मंत्र ऊं गं गणपतये नम: का जाप करें।Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी के दिन रखें इन बातों का ध्यान
गणपति मूर्ति की स्थापना पूर्व या फिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में ही करें।आप गणपति जी को घर में स्थापित कर रहे हैं तो 10 दिन तक रोज सुबह और शाम उन्हें भोग लगाएं और आरती करें।गणेश का प्रिय रंग लाल और पीला है। इन रंगों के वस्त्र पहनकर ही पूजा करें।भगवान गणेश को दूर्वा जरूर चढ़ाएं।भगवान गणेश को मोदक को भोग लगाएं।Ganesh Chaturthi Bhajan- सुखकर्ता की दुःख हर्ता विध्न विनाशक गणराया लिरिक्स
सुखकर्ता की दुःख हर्ता विध्न विनाशक गणराया गणपति बाप्पा मोर्या मंगल मूर्ति मोर्या तुम्ही येता घरी आम्हा वाटे मजा तुम्ही जाऊ नका आम्हा मिड़ते सजा मोदक लाडू तुम्हाला द्या बुद्धि थोड़ी आम्हाला सुखकर्ता की दुःख हर्ता विध्न विनाशक गणराया तुमची चाले पूजा भजन किर्तन आई बाबांचे ना होतसे भांडन हात जोड़ता तुम्हाला शांति लाभों आम्हाला सुखकर्ता की दुःख हर्ता विध्न विनाशक गणराया आई बाबा विना ची मुले एकटी उभे राहता तुम्ही त्यांचा पाठीशी जाऊ नका तुम्ही गावाला चैन पड़े ना आम्हाला सुखकर्ता की दुःख हर्ता विध्न विनाशक गणरायाGanesh Chaturthi Chalisa: गणेश चालीसा
दोहा ॥जय गणपति सदगुण सदन,कविवर बदन कृपाल ।विघ्न हरण मंगल करण,जय जय गिरिजालाल ॥॥ चौपाई ॥जय जय जय गणपति गणराजू ।मंगल भरण करण शुभः काजू ॥जै गजबदन सदन सुखदाता ।विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥राजत मणि मुक्तन उर माला ।स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।चरण पादुका मुनि मन राजित ॥धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।अति शुची पावन मंगलकारी ॥एक समय गिरिराज कुमारी ।पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।बिना गर्भ धारण यहि काला ॥गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥लखि अति आनन्द मंगल साजा ।देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।बालक, देखन चाहत नाहीं ॥गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥बालक के धड़ ऊपर धारयो ।प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥चले षडानन, भरमि भुलाई ।रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।शेष सहसमुख सके न गाई ॥मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥॥ दोहा ॥श्री गणेश यह चालीसा,पाठ करै कर ध्यान ।नित नव मंगल गृह बसै,लहे जगत सन्मान ॥सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,ऋषि पंचमी दिनेश ।पूरण चालीसा भयो,मंगल मूर्ती गणेश ॥what to do if I see moon on ganesh chaturthi
गणेश चतुर्थी पर क्यों नहीं करना चाहिए चन्द्र दर्शनमान्यता है कि गणेश चतुर्थी पर जो कोई भी चंद्रमा का दर्शन करता है वो कलंक का भागी होता है। लेकिन अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। इस मन्त्र का जाप कम के कम 28, 54 या 108 बार करना चाहिए।
चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र (remedy for seeing moon on ganesh chaturthi)
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
Ganesh Chaturthi 12 Name: गणेश जी के 12 प्रमुख नाम का करें जाप
सुमुखएकदन्तगजकर्णलम्बोदरविकटविनायकधूम्रकेतुगणाध्यक्षभालचन्द्रगजाननविघ्रनाशनGanesh Chaturthi 2023 Puja Vidhi: गणेश चतुर्थी पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के शुभ समय को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर की उत्तर, पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में रखें। फिर पूजा सामग्री लेकर एक साफ आसन पर बैठ जाएं। पूजा सामग्री में ध्रुव, शमी पत्र, लड्डू, हल्दी, फूल और अक्षत से ही भगवान गणेश को प्रसन्न किया जा सकता है। दूर्वा को भगवान गणेश की पूजा में रखें। सबसे पहले भगवान गणेश को आसन पर बिठाएं और नवग्रह, षडश मातृकाएं आदि करें। स्तंभ के पूर्व दिशा में शीशा रखें और दक्षिण-पूर्व दिशा में दीपक जलाएं। अपने ऊपर जल छिड़कते हुए "ॐ पुंडरी कुकीज़शाय नमः" कहकर भगवान विष्णु को प्रणाम करें, तीन बार आचमन करें और माथे पर तिलक लगाएं। यदि आप कोई मंत्र नहीं जानते हैं तो आप इस मंत्र "ओम गं गणपतयै नमः" से पूरी पूजा संपन्न कर सकते हैं। अक्षत और फूल लें और दिए गए मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश का ध्यान करें।Ganesh Chaturthi 2023 Shubh Yog : गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म और शुक्ल योग
पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है। गणेश महोत्सव का पर्व चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक चलता है। वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है। इस बार उदया तिथि के आधार पर 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाने वाला है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए, इससे श्राप लगता है। वहीं गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।Ganesh Chaturthi sthapana Subh Muhurat: गणेश स्थापना शुभ मूहूर्त
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। ऐसे में ये गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर को मनाया जाएगा। 19 सितंबर को गणपति जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 10:50 मिनट से 12:52 मिनट तक है। इस मुहूर्त में स्थापना करना शुभ माना जाता है।Ganesh Chaturthi 2023 Date: कब है गणेश चतुर्थी
भगवान गणेश को प्रथम देव माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले हमेशा रामबुदार की पूजा की जाती है। इस साल गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को है। इस साल गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी और बप्पा के भक्त गणपति की मूर्तियों को घर ले जाएंगे और भक्तिपूर्वक उनकी पूजा करेंगे।Ganesh Visarjan 2023 Date: गणेश विसर्जन तिथि
शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। साथ ही इसी दिन बप्पा को श्रद्धापूर्वक विदा किया जाता है। पंचांग के अनुसार गणेश विसर्जन गुरुवार 28 सितंबर 2023 को किया जाएगा।Ganesh Chaturthi Ashthkam: गणेश अष्टकम
श्री गणेशाय नमः।सर्वे उचुः।यतोऽनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवायतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते।यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥१॥यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाऽब्जासनोविश्वगो विश्वगोप्ता।तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥२॥यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं चयतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः।यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥३॥यतो दानवाः किन्नरा यक्षसङ्घायतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च।यतः पक्षिकीटा यतो वीरूधश्चसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥४॥यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यतःसम्पदो भक्तसन्तोषिकाः स्युः।यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिःसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥५॥यतः पुत्रसम्पद्यतो वाञ्छितार्थोयतोऽभक्तविघ्नास्तथाऽनेकरूपाः।यतः शोकमोहौ यतः काम एवसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥६॥यतोऽनन्तशक्तिः स शेषो बभूवधराधारणेऽनेकरूपे च शक्तः।यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नानासदा तं गणेशं नमामो भजामः॥७॥यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिःसदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति।परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतंसदा तं गणेशं नमामो भजामः॥८॥॥ फल श्रुति ॥श्रीगणेश उवाच।पुनरूचे गणाधीशःस्तोत्रमेतत्पठेन्नरः।त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्यसर्वं कार्यं भविष्यति॥९॥यो जपेदष्टदिवसंश्लोकाष्टकमिदं शुभम्।अष्टवारं चतुर्थ्यां तुसोऽष्टसिद्धिरवानप्नुयात्॥१०॥यः पठेन्मासमात्रं तुदशवारं दिने दिने।स मोचयेद्वन्धगतंराजवध्यं न संशयः॥११॥विद्याकामो लभेद्विद्यांपुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात्।वाञ्छितांल्लभतेसर्वानेकविंशतिवारतः॥१२॥यो जपेत्परया भक्तयागजाननपरो नरः।एवमुक्तवा ततोदेवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः॥१३॥॥ इति श्रीगणेशपुराणे उपासनाखण्डे श्रीगणेशाष्टकं सम्पूर्णम् ॥Ganesh Chaturthi 2023: गणेश स्तोत्र
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥१॥प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥२॥लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥३॥नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥४॥द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥५॥विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥६॥जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥७॥अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥८॥॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥Ganesh Chaturthi 2023 Katha: गणेश जन्म कथा
गणेश चतुर्थी के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान से पहले अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक का निर्माण किया और उस बालक का नाम गणेश रखा। पार्वती जी ने लड़के से कहा कि यह पार्वती जी स्नान करने के लिए अंदर गई हैं इसलिए आदेश दिया है कि कोई भी अंदर न आए। जब भगवान शिव वहां पहुंचे तो बालक ने भगवान शिव को अंदर जाने से रोक दिया और कहा, "मेरी मां अंदर स्नान कर रही हैं, इसलिए मैं अंदर नहीं जा सकता।" शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया कि पार्वती उनकी पत्नी हैं। लेकिन जब गणेशजी नहीं माने तो शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन तीन तीन से काट दी और अंदर घुस गए। मैं गणेश को वहीं बैठा छोड़ कर बाहर चला गया. तब शिवजी कहते हैं मैंने इसे मार डाला। तब पार्वती जी क्रोधित हो गईं और बोलीं कि मैं यहां से तभी जाऊंगी जब तुम मेरे पुत्र को जीवित कर दोगे, अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन पार्वती जी नहीं मानीं। सभी देवताओं ने एकत्रित होकर पार्वतीजी को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मानीं। तब भगवान शिव ने भगवान विष्णु से उस बच्चे का सिर लाने को कहा जिसकी माँ अपने बच्चे की ओर पीठ करके सो रही थी। विष्णुजी ने तुरंत गरुड़जी को आदेश दिया कि ऐसे बालक को ढूंढो और तुरंत उसकी गर्दन पकड़ लो। काफी खोजबीन के बाद गरुड़ जी को केवल एक हाथी मिला जो अपने बच्चे की ओर पीठ करके सोया हुआ था। गरुजी तुरंत इस बालक का सिर लेकर भगवान शिव के पास आये। भगवान शिव ने इस सिर को भगवान गणेश पर रख दिया और भगवान गणेश को पुनर्जीवित कर दिया। उन्होंने उसे यह आशीर्वाद भी दिया कि अब से कहीं भी होने वाली हर पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। इसलिए जब हम कोई भी कार्य करते हैं तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए, अन्यथा पूजा सफल नहीं होगी।Ganesh Chaturthi Mantra 2023: गणेश मंत्र
॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited