Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी कब है 2023, जानिए भाद्रपद चतुर्थी की डेट और मुहूर्त
Ganesh Chaturthi 2023 Kab Hai: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2023) यानी गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इनमें से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी सबसे खास होती है। जानिए गणेश चतुर्थी की तिथि और मुहूर्त।
Ganesh Chaturthi 2023 Date: गणेश चतुर्थी कब है, जानिए महत्व
Ganesh Chaturthi 2023 Date And Time: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। हर महीने में दो चतुर्थी पड़ती हैं। किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023 Kab Hai) कहते हैं तो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जुलाई में विनायक चतुर्थी व्रत (Vinayak Chaturthi 2023 Date) पड़ेगा। बता दें भाद्रपद शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी सबसे विशेष मानी जाती है जो सितंबर में पड़ेगी। जानिए जुलाई में कब रखा जाएगा गणेश चतुर्थी व्रत (Ganesh Chaturthi July 2023) और क्या रहेगा मुहूर्त।
गणेश चतुर्थी 2023 जुलाई तिथि (Ganesh Chaturthi 2023 July Date)
अधिक मास की गणेश चतुर्थी 21 जुलाई को पड़ेगी। इस दिन सुबह 6 बजकर 58 मिनट से चतुर्थी तिथि लग जाएगी और इसकी समाप्ति 22 जुलाई की सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर होगी। ये चतुर्थी शुभ रवि योग में मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि पूजा के लिए दोपहर का समय शुभ माना जाता है।
भाद्रपद गणेश चतुर्थी 2023 कब है (Ganesh Chaturthi 2023 Date And Time)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को पड़ेगी। मान्यता है कि गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में हुआ था। इसलिए ये चतुर्थी सबसे मुख्य मानी जाती है। इसे कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त 11:01 AM से 01:28 PM तक रहेगा। इस दिन चंद्र दर्शन नहीं किया जाता।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Cgaturthi Puja Vidhi)
व्रती इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे या मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें। फिर एक कलश में जल भरकर उसके मुख पर साफ वस्त्र बांधकर उस पर गणेश जी की प्रतिमा रखें। फिर गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करें। उन्हें लडडुओं का भोग लगाएं। सांयकाल के समय गणेश जी का फिर से पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा सुनें और आरती करें। फिर अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इस दिन चंद्रमा को देखना अशुभ माना जाता है। इसलिए अर्घ्य नीचे मुख करके दिया जाता है।
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