Ganesh Chaturthi Puja Vidhi: घर में कैसे करें गणपति की स्थापना? जानें गणेश चतुर्थी की पूजा विधि, मंत्र और उपाय

Ganesh Chaturthi Puja Vidhi: अगर आप इस गणेश चतुर्थी पर अपने घर में गणपति बप्पा के प्रतिमा की स्‍थापना करना चाहते हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज हम आपको गणेश जी की पूजा विधि और मंत्र बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि गणेश चतुर्थी पर किस तरह अपने घर में गणेश प्रतिमा बिठाकर उनकी पूजा करनी चाहिए।

Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi And Mantra In Hindi

Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi And Mantra In Hindi

Ganesh Chaturthi Puja Vidhi: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को है। देशभर में इसकी तैयारियां चल रही हैं। इस दिन घर में गणेशजी की मूर्ति की स्थापना की जाएगी। अगर आप भी अपने घर में गणेशजी की मूर्ति स्थापित करने की सोच रहे हैं तो आपको गणपति पूजा की विधि और मंत्रों को भी जान लेना चाहिए। पुराणों में बहुत ही सरल विधि और मंत्र बताएं हैं।मंत्रों और शास्त्रोक्त विधि से गणेश प्रतिमा की स्थापना करके इनकी पूजा करने से गणपति विघ्नों को दूर करते हैं। गणपति की पूजा करने से बप्पा भी मंगलमूर्ति रूप में सभी प्रकार से भक्तों के जीवन में सभी प्रकार से शुभ मंगल लेकर आते हैं। आइए जानें गणेश चतुर्थी पर किस तरह से गणेश प्रतिमा बैठाएं और उनकी पूजा करें। साथ ही जाएंगे पूजा करने के मंत्र।

ऐसे लेकर आएं गणपति की मूर्ति

गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान गणेश जी की मूर्ति लेकर आएं। उनका स्वागत खूब गाजे बाजे के साथ करें और उनकी आंखों में लाल कपड़ा जरुर बांध दें। इसके बाद उनका स्वागत करें। घर में प्रवेश करते समय पुष्प की वर्षा करें और गणेशजी का जयकारे लगाते रहें।

गणपति पूजा विधि-

सबसे पहले एक कलश में जल भरकर ले आएं। जहां भी आपने पूजा के लिए मंडप बनाया है वहां आसन बिछाकर बैठ जाएं। हाथ में जल लेकर सबसे पहले हाथ में कुश और जल लें, फिर मंत्र बोलें -
ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा।
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:।।
फिर जल को अपने ऊपर और पूजा के लिए रखे सभी सामग्रियों पर इसे छिड़क दें। इसके बाद तीन बार आचमन करें। हाथ में जल लें और ओम केशवाय नम: ओम नाराणाय नम: ओम माधवाय नम: ओम ह्रषीकेशाय नम:। ऐसे बोलते हुए तीन बार हाथ से जल लेकर मुंह से स्पर्श करें फिर हाथ धो लें। इसके बाद जहां गणेशजी की पूजा करनी हो उस स्थान पर कुछ अटूट चावल रखें। इसके ऊपर गणेशजी की प्रतिमा को विराजित करें।
गणेशजी को अपने आसन पर बैठाने के बाद सबसे पहले गणेश चतुर्थी व्रत पूजन का संकल्प लें। बिना संकल्प लिए पूजा न करें। गणेश पूजन संकल्प के लिए हाथ में फूल, फल, पान, सुपारी, अक्षत (अटूट चावल) चांदी का सिक्का या कुछ रुपया, मिठाई, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर हाथ में जल लें फिर संकल्प मंत्र बोलें-
ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2079, तमेऽब्दे नल नाम संवत्सरे सूर्य दक्षिणायने, मासानां मासोत्तमे भाद्र मासे शुक्ले पक्षे चतुर्थी तिथौ बुधवासरे चित्रा नक्षत्रे शुक्ल योगे विष्टि करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकल-पाप-क्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति पूजन -पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।
संकल्प करने के बाद कलश की पूजा करें। कलश को गणेशजी के दाईं ओर रखें। कलश पर एक नार‍ियल लाल वस्‍त्र में लपेटकर इस प्रकार रखें क‍ि केवल आगे का भाग ही द‍िखाई दे। कलश में आम का पल्लव, सुपारी, सिक्का रखें। कलश के गले में लाल वस्त्र या मौली लपेटें। इसके बाद कलश पर नारियरल रखकर इसके ऊपर एक दीप जलाकर ऱख दें।
हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें। साथ ही मंत्र ‘ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)’ मंत्र बोलें। इस तरह कलश पूजन के बाद सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और ‘गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।’ मंत्र पढ़ें।
इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर आवाहन मंत्र ‘ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।’ पढ़कर अक्षत पात्र में गणेशजी के सामने डाल दें। इसके बाद, पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र बोलों। हाथ में जल लेकर कहें- ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:।’ मंत्र पढ़ें। जल को पात्र में रख दें। इसके बाद ‘इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:,’ और ‘इदम् श्रीखंड चंदनम्’ बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके बाद ‘इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:’ मंत्र जप के साथ गणेशजी को स‍िंदूर लगाएं। इसके बाद दूर्वा और विल्बपत्र चढ़ाएं। इदं दुर्वादलं ओम गं गणपतये नमः। इदं बिल्वपत्रं ओम गं गणपतये नमः बोलकर क्रमशः दूर्वा और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं। इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि। गणेशजी को ‘इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:’ और ‘इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:’ के साथ मोदक का भोग लगाकर आचमन कराएं। ‘इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:’ और ‘ इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:।’ के साथ पान-सुपारी अर्पित करें। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें ‘एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:’। गणेश जी को पुष्‍प चढ़ाकर प्रणाम करें। गणेशजी की पूजा के बाद ऋद्धि, सिद्धि देवी और क्षेम लाभ की भी पूजा करें। इसके बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

ध्यान दें-

भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना के लिए जहां मंडप बना हो वहां पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद पुष्प और चावल की स्वास्तिक पर वर्षा करें। फिर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करें। इस बात का ख्याल रखें की भगवान गणेश जी की मूर्ति उत्तर दिशा में होनी चाहिए। भगवान गणेश का वास उत्तर दिशा में ही माना जाता है।
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Srishti author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर कॉपी एडिटर कार्यरत हूं। मूल रूप से बिहार की रहने वाली हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में मेरी सबसे ज्यादा दिलचस्पी...और देखें

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