Ganesh Ji Ki Kahani In Hindi: प्रदोष व्रत में जरूर पढ़ें गणेश जी की कहानी
Ganesh Ji Ki Kahani In Hindi (गणेश जी की कहानी): गणेश जी और बुढ़िया माई की कहानी एकादशी, प्रदोष, पूर्णिमा, संकष्टी चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और अमावस्या हर एक व्रत में पढ़नी चाहिए।
Ganesh Ji Ki Kahani In Hindi
Ganesh Ji Ki Kahani In Hindi (गणेश जी की कहानी)
गणेश जी की पौराणिक कथा अनुसार एक बुढ़िया माई थी जो रोजाना मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। वो रोज मिट्टी के गणेश बनाए और वो रोज ही गल जाए। उसके घर के पास एक सेठ का मकान बन रहा था। बुढ़िया मकान बनाने वाले कारीगरों के पास जाकर बोली मेरे लिए पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले माई जितने में हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में हम अपनी दीवार ना चिनेंगे।
बुढ़िया बोली भगवान करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। ऐसा कहते ही उनकी दीवार टेढ़ी हो गई। अब जब भी वो दीवार चिनें और ढा देवें, चिने और ढा देवें। इस तरह करते-करते शाम हो गई। शाम में सेठ जी आए तो उन्होंने कहा आज कुछ भी नहीं किया। कारीगर कहने लगे एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा लिए पत्थर का गणेश घड़ दो, हमने उसका काम नहीं किया तो उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से हमारी दीवार सीधी ही नहीं बन रही है।
सेठ ने बुढ़िया को बुलवाया। सेठ ने कहा माई हम तेरा सोने का गणेश गढ़ देंगे। बस हमारी दीवार सीधी कर दो। सेठ ने बुढ़िया को जैसे ही सोने का गणेश गढ़ा। सेठ की दीवार सीधी हो गई। हे विनायक जी जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसी सबकी करना।
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