Ganesh Ji Ki Kahani: निर्जला एकादशी व्रत कथा से पहले जरूर पढ़ें गणेश जी की कहानी

Ganesh Ji Ki Kahani: किसी भी व्रत पूजा में गणेश जी की कहानी पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं इससे उस व्रत पूजन का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। आज निर्जला एकादशी है ऐसे में आज के दिन भी जरूर पढ़ें गणेश जी की कथा।

Ganesh Ji Ki Kahani

Ganesh Ji Ki Kahani (गणेश जी की कहानी): हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है। जिसका मतलब है कि किसी भी पूजा पाठ और शुभ कार्य के समय सबसे पहले गणेश की पूजा की जाएगी। भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं और जो कार्य आप करने जा रहे हैं उसमें सफलता मिलती है। इसलिए व्रत उपवास के समय में गणेश जी की कहानी जरूर सुनी जाती है। जिससे पूर्ण संपूर्ण मानी जाए। आज निर्जला एकादशी की व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha) के साथ ही गणेश जी की कहानी भी जरूर पढ़ें।

Ganesh Ji Ki Kahani (गणेश जी की कहानी)

एक नगर में एक बुढ़िया माई रहती थी जो रोजाना मिट्टी के गणेश की पूजा किया करती थी। लेकिन वो रोज मिट्टी के गणेश बनाए और वो रोज ही गल जाएं। इसलिए महिला एक ऐसी गणेश प्रतिमा चाहती थी जो खराब न हो। एक दिन उसके घर के पास एक सेठ का मकान बन रहा था। तब वह मकान बनाने वाले कारीगरों के पास जाकर बोली क्या आप मेरे लिए पत्थर की गणेश प्रतिमा बना देंगे। लेकिन उनमें से एक मिस्त्री ने कहा कि जितने में हम तेरे लिए मूर्ति बनाएंगे उतने में हम अपनी दीवार ना बना लेंगे।
तब बुढ़िया ने कहा कि भगवान करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाएं और दीवार सही में टेढ़ी हो गई। अब कारीगर जितनी बार वो दीवार बनाए वो सीधी ही ना बने। ऐसे में उन्हें बार-बार दीवार तोड़नी पड़ रही थी। ऐसा करते शाम हो गई फिर शाम में सेठ जी आए और कहने लगे कि अभी तक कुछ काम नहीं किया। तब एक कारीगर ने पूरी कहानी बता दी। तब सेठ जी ने बुढ़िया को बुलवाया और कहा हम तेरे को सोने के गणेश लाकर दे देंगे बस हमारी दीवार सीधी कर दीजिए।
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