Ganesh Ji Ki Katha: करवा चौथ पर जरूर पढ़ें गणेश जी की कहानी, व्रत हो जाएगा सफल
Ganesh Ji Ki Katha/Vinayak Ji Ki Katha: गणेश जी की कहानी हर व्रत में पढ़ी जाती है। मान्यता है इसे पढ़ने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। इसलिए करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha) पढ़ने से पहले गणेश जी कहानी जरूर सुनें।
Ganesh Ji Ki Kahani Or Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi
Karwa Chauth Ki Katha Or Ganesh Ji Ki Kahani: आज देश भर में करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके व्रत पूजन करती हैं। हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं कोई भी व्रत पूजा उसकी कथा के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए हर व्रत में कथा जरूर सुनी या पढ़ी जाती है। यहां आज हम आपको ऐसी कथा के बारे में बताएंगे तो हर व्रत में पढ़ी जाती है। आज करवा चौथ है तो ऐसे में करवा चौथ की व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha) के समय गणेश जी की कथा भी जरूर पढ़ें।
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Ganesh Ji Ki Kahani (गणेश जी की कहानी)
पौराणिक कथा अनुसार काफी समय पहले की बात है एक गांव में एक अंधी बुढ़िया रहती थी जिसका एक लड़का और बहू थी। उसका परिवार गरीब था। अन्धी बुढ़िया रोजाना गणेश जी की विधि विधान पूजा किया करती थी। गणेश जी उस बुढ़िया की भक्ति से प्रसन्न हुए और एक दिन साक्षात् उसके सन्मुख आकर कहते हैं कि मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं। जो वर मांगना है वो मांग लो। बुढिया ने कहा मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू।
तब गणेश जी बोले अपने बहू- बेटे से पूछकर मांग लो। तब बुढ़िया अपने पुत्र और बहू से पूछने गई तो बेटा बोला कि धन मांग लो और बहू ने कहा की पोता मांग लो। तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने ही मतलब की बातें कर रहे हैं। फिर बुढ़िया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है। तो तूं क्यों मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी बची हुई जिंदगी सुख से गुजरे।
उस बुढ़िया ने बेटे-बहू और पड़ोसियों की बातें सुनने के बाद घर में जाकर सोचा, कि क्यों न ऐसी चीज मांग लूं जिसमें बेटा बहू और मेरा सबका ही भला हो जाए। जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आये तो बुढ़िया बोली, हे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख प्रदान करें। फिर अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर गणेश जी बोले तूने तो मुझे ठग लिया। खैर जो कुछ तूने मांगा है वह सभी तुझे मिलेगा। यूं कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये। हे गणेश जी! जैसे बुढिया मां को मांगे अनुसार सब कुछ दिया वैसे ही हम सबको देना।
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