Ahoi Ashtami 2024 Ganesh Ji Ki Katha: अहोई अष्टमी गणेश जी की कथा, इसे पढ़ने से हर मनोकामना होगी पूरी
Ahoi Ashtami 2024 Ganesh Ji Ki Katha (अहोई अष्टमी गणेश जी की कथा): अहोई अष्टमी व्रत पूजन में गणेश जी की कथा पढ़ना बेहद जरूरी माना जाता है। कहते हैं इससे इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। यहां देखें अहोई अष्टमी की गणेश जी वाली व्रत कथा।
Ahoi Ashtami Vrat Katha Ganesh Ji
Ahoi Ashtami 2024 Ganesh Ji Ki Katha (अहोई अष्टमी गणेश जी की कथा): अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं शाम में तारों के निकलने से पहले अहोई माता की विधि विधान पूजा करती हैं और इस दौरान अहोई अष्टमी की कथा भी सुनती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं अहोई अष्टमी पर गणेश जी की कथा पढ़ने का भी विशेष महत्व माना गया है। जिसके बिना व्रत अधूरा रह जाता है। चलिए आपको बताते हैं अहोई अष्टमी की गणेश जी वाली व्रत कथा।
Ahoi Ashtmai Ki Syau Vali Vrat Katha
अहोई अष्टमी पर गणेश जी की कहानी (Ahoi Ashtami Ganesh Ji Ki Katha)
एक बार की बात है भगवान गणेश एक चुटकी चावल और चम्मच में दूध लेकर घूम रहे थे कि कोई मेरी खीर बना दो। लेकिन जो भी खीर बनाने के लिए थोड़े से सामान को देखता वो मना कर देता। तब एक बुढ़िया बोली - ला बेटा मैं तेरी खीर बना दूं और वह कटोरी ले आई। तब गणेश जी ने कहा कि बुढ़िया माई कटोरी क्यों लेकर आई है इसके लिए तो कोई बड़ा बर्तन लेकर आ। फिर बुढ़िया बड़ा बर्तन लेकर आई और जैसे ही गणेशजी ने एक चम्मच दूध उस बर्तन में डाला वह बर्तन दूध से भर गया। गणेश जी महाराज बोले कि मैं बाहर जाकर आता हूं चब तक तू खीर बना लेना। कुछ देर बाद खीर बनकर तैयार हो गई।
खीर देखकर बुढ़िया माई की बहू के मुंह में पानी आ गया। उसने एक कटोरी में खीर डाली और वह दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर को खाने लगी। बहू से खीर का एक छींटा ज़मीन पर गिर गया। जिससे भगवान गणेश जी का खुद ही भोग लग गया। थोड़ी देर के बाद बुढ़िया गणेश जी को बुलाकर लाई। तो गणेश जी बोले- बुढ़िया माई मेरा तो भोग लग चुका है। बुढ़िया ने कहा पर अभी तो आपने खीर चखी भी नहीं है। तब गणेश जी कहने लगे कि जब तेरी बहू ने दरवाज़े के पीछे बैठकर खीर खाई तो उससे अनजाने में ही सही पर एक छींटा ज़मीन पर पड़ गया था इससे ही मेरा भोग लग गया।
तो बुढ़िया बोली- बेटा! अब इस खीर का क्या करूं। गणेश जी बोले- खीर का खुद भी सेवन करो और इसे सभी में बांट दो। अगर फिर भी खीर बच जाए थाली में डालकर छींके पर रख देना। शाम को गणेश महाराज आये और बुढ़िया से खीर मांगले लगे। बुढ़िया जैसे ही खीर लेने गई तो उस थाली में हीरे मोती हो गये। हे गणेश जी महाराज आपने जैसी धन-दौलत बुढ़िया को दी वैसी ही सब किसी को दें।
गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji Ki Kahani)
एक बुढ़िया अपने बेटे-बहू के साथ छोड़े से घर में रहती थी। बुढ़िया माई हर रोज़ गणेश जी की विधि विधान पूजा करती थी। गणेश जी रोजाना बुढ़िया से कहते- बुढ़िया माई! कुछ मांग ले। बुढ़िया कहती- मैं क्या मांगू? तब एक दिन गणेश जी बोले- अपने बेटे से पूछ ले कि उसे क्या चाहिए। तो बेटा बोला- मां! धन मांग ले। बहू से पूछने लगी तो बहू ने पोता मांगने की बात कही। बुढ़िया ने सोचा कि ये दोनों तो अपने मतलब की मांग रहे हैं सो पड़ोसन से जाकर पूछें। फिर वह पड़ोसन से जाकर बोली कि वो क्या मांगे। तो पड़ोसन बोली- पगली! क्यों तो धन मांगे? क्यों पोता मांगे? थोड़े ही दिन की जिंदगी बची है। इसलिए तू अपनी सुन्दर काया मांग ले। घर आकर बुढ़िया सोचने लगी कि ऐसी चीज मांगनी चाहिए जिसस बेटा-बहू भी खुश हों। दूसरे दिन गणेशजी जी फिर आकर बोले- बुढ़िया माई! कुछ मांग लो। बुढ़िया ने कहा- मुझे सुन्दर काया दे, सोने के कटोरे में पोते को दूध पीता देखूं, अमर सुहाग दे, निरोगी काया दे, भाई दे, भतीजे दे, सारा परिवार दे, सुख दे, मोक्ष दे। बुढ़िया के मुख से ये बातें सुनकर गणेशजी ने कहा- बुढ़िया माई! तूने तो मुझे ठग लिया। लेकिन अब जैसा बोला है वैसा ही हो जायेगा और गणेशजी ने बुढ़िया को वरदान दे दिया। अब बुढ़िया माई के यहां सब कुछ वैसा ही हो गया। हे गणेशजी महाराज! जैसा बुढ़िया माई को सबकुछ दिया वैसा सब किसी को देना।
अहोई अष्टमी के बारे में जरूरी जानकारी
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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