Ganesh Ji Ki Katha: वट सावित्री व्रत में पढ़ें गणेश जी की कथा

Ganesh Ji Ki Kahani: हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता की उपाधि प्राप्त है। कहते हैं इनकी पूजा से व्यक्ति के सारे दुख दूर हो जाते हैं। आज वट सावित्री व्रत है। ऐसे में पूजा के दौरान गणेश जी की कथा को जरूर पढ़ें।

Ganesh Ji Ki Katha: गणेश जी की कथा

Ganesh Ji Ki Katha: गणेश जी की कथा किसी भी व्रत में पढ़ी जा सकती है। मान्यता है इस कथा को पढ़ने से उस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। आज वट सावित्री व्रत रखा जा रहा है। ऐसे में आप वट सावित्री व्रत पूजा (Vat Savitri Vrat Puja) के समय गणेश जी और बुढ़िया माई की कहानी (Ganesh Ji Aur Budhiya Mai Ki Kahani) सुन सकती हैं। कहते हैं जो व्यक्ति इस गणेश जी की कथा (Ganesh Ji Ki Kahani) को ध्यान से और सच्चे मन से सुनता है उसकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। यहां देखिए गणेश जी की कथा।

Ganesh Ji Ki Kahani (गणेश जी की कहानी)

पौराणिक कथा अनुसार एक बुढ़िया माई थी वो रोजाना मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। लेकिन एक दिन उसके मिट्टी के गणेश गल गए। उसी के घर के पास एक सेठ का मकान बन रहा था। वो मकान बनाने वाले कारिगरों से बोली कि मेरे लिए पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले जितने में हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार ना चिनेंगे।

बुढ़िया को बहुत बुरा लगा उसने बोला राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। बुढ़िया के बोलते ही उनकी दीवार टेढ़ी हो गई। जितनी बार वो दीवार चिनें वो ढा देवें, चिने और ढा देवें। इस तरह करते-करते शाम हो गई। शाम को सेठ आए उन्होंने देखा कि आज तो कोई काम ही नहीं हुआ है। तब एक मिस्त्री ने बुढ़िया माई के बारे में उन्हें बताया।

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