Ganesh Ji Ki Katha: बछ बारस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त करने के लिए जरूर पढ़ें गणेश जी की कथा

Ganesh Ji Ki Katha (गणेश जी की कहानी): आज बछ बारस व्रत है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। बछ बारस पूजा के समय गणेश जी की कहानी जरूर सुननी चाहिए।

Ganesh Ji Ki Katha

Ganesh Ji Ki Katha (गणेश जी की कथा): गणेश जी की कथा हर व्रत में पढ़ी जा सकती है। कहते हैं इस कथा को पढ़ने से किसी भी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। आज बछ बारस व्रत है। ऐसे में महिलाएं इस दिन बछ बारस की कथा (Bach Baras Katha) सुनने से पहले गणेश जी की कथा (Ganesh Ji Ki Katha) जरूर पढ़ें। कहते हैं जो कोई भी गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji Ki Kahani) सच्चे मन से पढ़ता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। यहां देखिए गणेश जी की कथा।

Ganesh Ji Ki Katha (गणेश जी की कहानी)

गणेश की कहानी इस प्रकार है- एक बुढ़िया माई थी। जो प्रतिदिन मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। मिट्टी की प्रतिमा होने की वजह से वो रोज गल जाती थी जिसकी वजह से बुढ़िया को गणेश भगवान की मूर्ति रोजाना बनानी पड़ती थी। एस समय उसने एक सेठ का मकान बनते देखा। तब वो मकाने बनाने वाले मिस्त्री से जाकर बोली मुझे पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले कि जितने में हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार ना चिनेंगे।
इस पर बुढ़िया बोली राम करे तुम्हारी दीवार ही टेढ़ी हो जाए। अब मिस्त्री जितनी बार दीवार बनाए वो टेढ़ी हो जाए। ऐसा करते-करते उन्हें शाम हो गई पर दीवार नहीं बन पाई। जब शाम को सेठ आया उसने कहा आज कुछ भी काम नहीं किया। तब एक मिस्त्री ने सेठ जी को बताया कि एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा पत्थर का गणेश घड़ दो, हमने ऐसा नहीं किया तो उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से ये दीवार सीधी ही नहीं बन रही है जिस वजह से हमें ये बार-बार तोड़नी पड़ रही है।
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