Ganesh Ji Ki Katha: अहोई अष्टमी पर जरूर पढ़ें गणेश जी की कहानी, पूजा हो जाएगी सफल
Ganesh Ji Ki Katha: धार्मिक मान्यताओं अनुसार किसी भी व्रत में गणेश जी की कथा पढ़ने से उस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। आज अहोई अष्टमी है ऐसे में इस दिन पूजा के समय गणेश जी कथा पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।
Ganesh Ji Ki Katha In Hindi
Ganesh Ji Ki Katha (गणेश जी की कथा)
एक बुढ़िया माई थी वो प्रतिदिन मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। लेकिन वो रोज मिट्टी के गणेश बनाए और वो रोज ही गल जाए। एक दिन उसकी झोपड़ी के पास एक सेठ का मकान बन रहा था। वो मकान बनाने वाले मिस्त्री से जाकर बोली मेरे लिए पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले- जितने में हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार ना चिनेंगे।
बुढ़िया को बहुत दुख हुआ। वो बोली राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। बुढ़िया ने जैसे ही ये बात बोली दीवार टेढ़ी हो गई। अब मिस्त्री जितनी बार दीवार चिनें वो टेढ़ी हो जाए। जिस वजह से उन्हें एक ही दीवार बार-बार बनानी पड़ रही थी। इस तरह करते-करते शाम हो गई। जब शाम को सेठ आये तो उन्होंने कहा आज कुछ भी काम नहीं किया।
वो कहने लगे सेठ जी एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा पत्थर का गणेश घड़ दो, हमने ये काम करने से मना कर दिया तो उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से ये दीवार सीधी नहीं बन रही है। बनाते हैं और ढ़ा देते हैं।
सेठ ने बुढ़िया को बुलवाया। सेठ ने कहा बुढ़िया मााई हम तेरा सोने का गणेश गढ़ देंगे। बस हमारी दीवार सीधी कर दो। सेठ ने बुढ़िया को सोने का गणेश गढ़ा दिया और सेठ की दीवार सीधी हो गई। हे विनायक भगवान जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसी सबकी करना।
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