Gangaur Puja 2023 Geet, Puja Vidhi, Muhurat, Katha, Aarti LIVE: गणगौर पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, गीत, आरती, कथा और सबकुछ यहां देखें
Gangaur 2023 Puja Vidhi, Muhurat, Katha
गणगौर व्रत शादीशुदा महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्याओं द्वारा भी रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली स्त्रियां भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी से मूर्तियां बनाती हैं और उनकी दूर्वा और फूल से पूजा करती हैं। ये पूजा लगातार 17 दिनों तक चलती है खास बात ये है कि महिलाएं अपने पति को इसके बारे में कुछ नहीं बताती हैं और न ही उन्हें इस पूजा का प्रसाद खाने को देती हैं। जानिए गणगौर पूजा की विधि, मुहूर्त, कथा, आरती, मंत्र सबकुछ।
गणगौर पूजा का महत्व (Gangaur Puja Significance)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान विष्णु ने मां पार्वती को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिया था और माता पार्वती ने सुहागिन महिलाओं को सुहागन रहने का वरदान दिया था। ऐसे में हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए गणदौर का व्रत करती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए ये व्रत रखती हैं।गणगौर पूजा सामग्री (Gangaur Puja Samagri)
एक लकड़ी का साफ पटरा, कलश, काली मिट्टी, होलिका की राख, पानी से भरा हुआ कलश, दीपक, गमले, कुमकुम, अक्षत, सुहाग की चीज़ें जैसे: मेहँदी, बिंदी, सिन्दूर, काजल, गेंहू और बांस की टोकरी, चुनरी, कौड़ी, सिक्के, घेवर, हलवा, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, इत्र, रंग, शुद्ध और साफ़ घी, ताजे सुगन्धित फूल, आम की पत्ती, नारियल, सुपारी, गणगौर के कपड़े, सुहाग का सामान, चांदी की अंगुठी, पूड़ी आदि।गणगौर पूजा मुहूर्त 2023 (Gangaur Puja Muhurat 2023)
- गणगौर पूजा का मुख्य दिन 24 मार्च 2023 को है।
- तृतीया तिथि का प्रारम्भ 23 मार्च 2023 को 06:20 PM पर होगा।
- तृतीया तिथि की समाप्ति 24 मार्च 2023 को 04:59 PM बजे होगी।
गणगौर के चूनड़ी के गीत (Gangaur Song)
ईशरदास जी बीरो चूनड़ी रंगाई बाई रोवां के दाय नहीं आई रेनीलगर ओज्यूँ रंग दे म्हारी चुनड़ी
अल्ला रंग दे पल्ला रंग दे।
म्हारे माथे पे मोरिया छपाई दे नीलगर।
चमकण लागे घाघरा गीत
चमकण घाघरो चमकण चीर , बोलबाई रोवां कुण थारा बीर
बड़ो बड़ो म्हारो ईशरदास बीर बांसयुं छोटो कानीराम बीर
चुनरी ओढावे म्हारो ईशरदास बीर माय स्यु मिलावे म्हारो छोटो कानीराम बीर।
चमकण लागे घाघरा चमकण चीर …
खोल किवाड़ी प्रार्थना गीत (Gangaur Famous Geet)
गौरि ए गणगौरी माता ! खोल किवाड़ीबाहर उबी थारी पुजनवाली |
पूजो ए पूजाओ बाई , काई – काई ! मांगों ?
अन्न मांगों , धन मांगों , लाछ मांगों , लछमी ||
जलहर जामी बाबल माँगा रातादेई माई |
कान कुंवर सो बीरों माँगा राई सी भोजाई
ऊंट चढ्यो बहणेंई माँगा चुडला वाली बहणल ||
मां गौरी की आरती (Maa Gauri Aarti Lyrics, Jai Ambe Gauri)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरीतुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको जगमग तो
उज्जवल से दो नैना, चन्द्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु
ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता
ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
गणगौर पूजा की आरती (Gangaur Mata Ki Aarti)
म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जीम्हारी मालण फुलडा से लाय |
सूरज जी थाको आरत्यों जी
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी
ईसर जी थाको आरत्यो जी
थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू
पान की पचास मेलू
पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू
डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू
राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू
करो न भाया की बहना आरत्यो जी
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी
गणगौर का थारो चोपडो गीत (Gangaur Ke Geet Lyrics)
गौर थारो चोपडो माणक मोती छायो ऐमाणक मोती छायो ऐ यो तो सच्चा मोती धायो ऐ
ब्रह्मदास जी रा ईसरदास जी रोली रंग लाया ऐ
ईसरदास जी रा कानीराम जी परण पधराया ऐ
परण पधारया वाकी माया टीका काड़या ऐ
रोली का वे टीका काड़या ऊपर चावल चेपया ऐ
गौर थारो चोपडो माणक मोतिया छायो ऐ
माणक मोतिया छायो ऐ वो तो सच्चा मोती छायो ऐ।
गारा की गणगौर गीत (Gara Ki Gangaur Geet)
गारा की गणगौर कुआ पर क्यों रे खड़ी है।
सिर पर लम्बे-लम्बे केश, गले में फूलों की माला पड़ी रे।। गारा की गणगौर...
चल्यो जा रे मूरख अज्ञान, तुझे मेरी क्या पड़ी रे।
म्हारा ईशरजी म्हारे साथ, कुआ पर यूं रे खड़ी रे।। गारा की गणगौर...
माथा ने भांवर सुहाय, तो रखड़ी जड़ाव की रे।
कान में झालज सुहाय, तो झुमकी जड़ाव की रे।। गारा की गणगौर...
मुखड़ा ने भेसर सुहाय, तो मोतीड़ा जड़ाव का रे।
हिवड़ा पे हांसज सुहाय, तो दुलड़ी जड़ाव की रे।। गारा की गणगौर...
तन पे सालू रंगीलो, तो अंगिया जड़ाव की रे।
हाथों में चुड़ला पहना, तो गजरा जड़ाव का रे।। गारा की गणगौर...
पावों में पायल पहनी, तो घुंघरू जड़ाव का रे।
उंगली में बिछिया सुहाय, तो अनवट जड़ाव का रे।। गारा की गणगौर...
गणगौर के हिंडा के गीत (Gangaur Ke Hinda Geet)
चम्पा री डाली , हिन्डो माण्डयो , रेशम री गज डोर।जी ओ म्हे हिन्डो माण्डयो।
म्हारे हिंडोल इशरदास जी पधारया , ले बाई गवरा ने साथ।
जी ओ म्हे हिन्डो माण्डयो।
होले से झोटो दिया ओ पातलीया डरप लो नाजूक जीव।
जी ओ म्हे हिंडो मण्डियों।
चम्पल री डाली हिंडो मांडियो ,रेशम री गज डोर।
जी ओ म्हे हिंडो मंड्यो।
Happy Gangaur 2023 Status: गणगौर की हार्दिक शुभकामनाएं
आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द के प्रतीक त्योहारगणगौर की हार्दिक शुभकामनाएं.
Isar Gangaur Photo: गणगौर फोटो
गणगौर पूजन का गीत (Gangaur Puja Geet)
गौर – गौर गणपति ईसर पूजे पार्वतीपार्वती का आला गीला , गौर का सोना का टिका ,
टिका दे , टमका दे , राजा रानी बरत करे ,
करता करता , आस आयो वास आयो ,
खेरो खांडो लाडू लायो ,
लाडू ले बीरा न दियो ,बीरो म्हाने चुनड दी
चुनड को में बरत करयो
सन मन सोला , ईसर गोरजा ,
दोनु जौड़ा , जोर ज्वार
रानी पूजे राज में , मैं पूजा सुहाग में ,
रानी को राज घटतो जाई , म्हाखो सुहाग बढतों जाय ,
किडी किडी कीड़ो ल्याय , किडी थारी जात दे ,
जात दे , गुजरात दे , गुजरात्या को पानी
दे दे थम्बा तानी , ताणी का सिघडा, बारी का बुजारा
म्हारो भाई एम्ल्यो खेम्ल्यो ,
सेर सिंघाड़ा ल्यो , पेफ का फूल ल्यो ,
सूरज जी को डोरों ल्यो , सोना को कचोलो ल्यो
गणगौर पूज ल्यो |
गणगौर माता की आरती (Gangaur Mata Ki Aarti)
म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जीम्हारी मालण फुलडा से लाय |
सूरज जी थाको आरत्यों जी
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी
ईसर जी थाको आरत्यो जी
थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू
पान की पचास मेलू
पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू
डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू
राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू
करो न भाया की बहना आरत्यो जी
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी
मां गौरी की आरती (Maa Gauri Aarti Lyrics, Jai Ambe Gauri)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरीतुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको जगमग तो
उज्जवल से दो नैना, चन्द्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु
ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता
ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
गणगौर की कहानी, गणगौर की कथा (Gangaur Ki Kahani, Katha)
गणगौर की व्रत कथा के मुताबिक, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती वन में गए। और चलते-चलते वे दोनों बहुत ही घने वन में पहुंच गए। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि हे भगवान मुझे प्यास लगी है। इस पर भगवान शिव ने कहा कि देवी देखों उस ओर पक्षी उड़ रहे हैं उस स्थान पर अवश्य ही जल मौजूद होगा।पार्वती जी वहां गई, उस जगह पर एक नदी बह रही थी। पार्वती जी ने पानी की अंजलि भरी तो उनके हाथ में दूब का गुच्छा आ गया। जब उन्होंने दूसरी बार अंजलि भरी तो टेसू के फूल उनके हाथ में आ गए। और तीसरी बार अंजलि भरने पर ढोकला नामक फल हाथ में आ गया।
इस बात से पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठने लगे। परन्तु उनकी समझ में कुछ नहीं आया। उसके बाद भगवान शिव शंभू ने उन्हें बताया कि आज चैत्र शुक्ल तीज है। विवाहित महिलाएं आज के दिन अपने सुहाग के लिए गौरी उत्सव करती हैं। गौरी जी को चढ़ाएं गए दूब, फूल और अन्य सामग्री नदी में बहकर आ रहे थे।
इस पर पार्वती जी ने विनती की कि हे स्वामी दो दिन के लिए आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें। जिससे सारी स्त्रियां वहीं आकर गणगौर के व्रत को करें। और मैं खुद ही उनके सुहाग की रक्षा का आशीर्वाद दूं।
भगवान शंकर ने ऐसा ही किया। थोड़ी देर में ही बहुत सी स्त्रियों का एक दल आया तो पार्वती जी को चिन्ता हुई और वो महादेव जी से कहने लगी कि हे प्रभु मैं तो पहले ही उन्हें वरदान दे चुकी हूं। अब आप अपनी ओर से सौभाग्य का वरदान दें।
पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने उन सभी स्त्रियों को सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया। भगवान शिव और माता पार्वती ने जैसे उन स्त्रियों की मनोकामना पूरी की, वैसे ही भगवान शिव और गौरी माता इस कथा को पढ़ने और सुनने वाली कन्याओं और महिलाओं की मनोकामना पूर्ण करें।
गणगौर पूजा का महत्व (Gangaur Puja Significance)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान विष्णु ने मां पार्वती को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिया था और माता पार्वती ने सुहागिन महिलाओं को सुहागन रहने का वरदान दिया था। ऐसे में हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए गणदौर का व्रत करती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए ये व्रत रखती हैं।गणगौर पूजा विधि (Gangaur Puja Vidhi)
चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) के दिन गौरीजी को नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर स्नान कराएं।फिर चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन गौरी-शिव को स्नान कराकर उन्हें सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाकर डोल या पालने में बिठा दें।
फिर विधि विधान गौरी-शिव की पूजा करें।
गौरी जी को सुहाग की चीजें अर्पित करें।
गणगौर व्रत की कथा सुनें।
इसके बाद गौरी जी पर अर्पित किये सिंदूर से अपनी मांग भरें।
अविवाहित कन्याएं जो व्रत रख रही हैं वो गौरी जी को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
फिर इसी दिन गौरी-शिव को सजा-धजा कर पालने में बैठाकर नाचते गाते हुए शोभायात्रा निकालते हुए उनका विसर्जन करें।
ऐसा करने के बाद अपना व्रत खोल लें।
गणगौर पूजा कैसे मनाएं? (How To Celebrate Gangaur Festival)
गणगौर पूजा में सबसे ज्यादा महत्व आखिरी दिन की पूजा का होता है। ऐसे में अधिकतर लोग इसी दिन व्रत रखते हैं। गणगौर पूजा से एक दिन पहले यानी चैत्र शुक्ल द्वितीया को महिलाएं नदी, तालाब या सरोवर में जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं। फिर चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि के दिन उनका विसर्जन कर दिया जाता है।गणगौर पूजा सामग्री (Gangaur Puja Samagri)
एक लकड़ी का साफ पटरा, कलश, काली मिट्टी, होलिका की राख, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, इत्र, रंग, शुद्ध और साफ़ घी, ताजे सुगन्धित फूल, आम की पत्ती, नारियल, सुपारी, गणगौर के कपड़े, पानी से भरा हुआ कलश, दीपक, गमले, कुमकुम, अक्षत, सुहाग की चीज़ें जैसे: मेहँदी, बिंदी, सिन्दूर, काजल, गेंहू और बांस की टोकरी, चुनरी, कौड़ी, सिक्के, घेवर, हलवा, सुहाग का सामान, चांदी की अंगुठी, पूड़ी आदि।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited