Gangaur Vrat Katha In Hindi: गणगौर व्रत की कथा हिंदी में, जानें क्यों पति से छुपाकर रखते हैं ये व्रत
Gangaur 2023 Vrat Katha In Hindi (गणगौर 2023 व्रत कथा): गणगौर व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस पर्व को मुख्य रूप से राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा में मनाया जाता है। गणगौर को गौरी तृतीया (Gauri Tritiya) के नाम से भी जाना जाता है। जानिए गणगौर व्रत की पावन कथा हिंदी में यहां।
Gangaur Vrat Ki Kahani: गणगौर व्रत की कहानी
Gangaur 2023 Vrat Katha In Hindi: गणगौर व्रत शादीशुदा महिलाएं ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याओं द्वारा भी रखा जाता है। विवाहित स्त्रियां इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं तो वहीं अविवाहित लड़कियां मनचाहे वर को पाने के लिए ये व्रत-पूजा करती हैं। इस पर्व को राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है। ये पर्व पूरे 16 दिनों तक चलता है और इसका आखिरी दिन सबसे खास माना जाता है। यहां आप जानेंगे गणगौर पर्व की पावन कथा।
Gangaur Puja Vidhi, Muhurat 2023
Gangaur ki Kahani (गणगौर व्रत की कहानी)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव संग माता पार्वती वन में गए थे। चलते-चलते वे दोनों घनघोर वन में पहुंच गए। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा- हे भगवान! मुझे प्यास लगी है। इस पर भगवान शिव ने कहा- देवी देखों उस ओर आकाश में पक्षी उड़ रहे हैं, उस स्थान पर जल अवश्य मिल जाएगा।
भगवान शिव के कहे अनुसार, देवी पार्वती वहां गई और देखा उस जगह पर सचमुच एक नदी बह रही थी। पार्वती जी ने पानी पीने के लिए अंजलि भरी तो उनके हाथों में दूब का गुच्छा आ गया। देवी दुबारा अंजलि भरी तो इस बार उनके हाथ में टेसू के फूल आ गए। तीसरी बार अंजलि भरने पर ढोकला नामक एक फल हाथ में आ गया।
ऐसे दृश्य को देख पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठने लगे। परन्तु उन्हें कुछ भी समझ नहीं आया। देवी को चिंतित देख भगवान शिव ने उन्हें बताया कि आज चैत्र शुक्ल तीज है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए गौरी उत्सव करती हैं। पूजन में गौरी जी को चढ़ाएं गए दूब, फूल आदि सामग्री को नदी में विसर्जित करती हैं। वही सब बहकर आ रहे थे।
इस पर पार्वती जी भगवान शिव से विनती की कि हे स्वामी! दो दिन के लिए आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें। ताकि सारी स्त्रियां वहीं आकर गणगौर व्रत करें और मैं स्वयं उनके सुहाग की रक्षा का आशीर्वाद दूं। भगवान शंकर ने देवी की विनती को स्वीकारा और उन्होंने ठीक ऐसा ही किया। इस तरह थोड़ी ही देर में बहुत सी स्त्रियों का एक समूह आया तो पार्वती जी को चिन्ता होने लगी और वो महादेव जी से कही कि हे प्रभु! मैं तो इन स्त्रियों को पहले ही वरदान दे चुकी हूं। अब आप भी उन्हें अपनी ओर से सौभाग्य का वरदान दे दें।
पार्वती जी के कहने पर शंकर भगवान ने भी उन सभी स्त्रियों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया। भगवान शिव और माता पार्वती ने जिस तरह उन स्त्रियों की मनोकामना पूरी की। उसी तरह शंकर-पार्वती इस कथा को पढ़ने और सुनने वाली महिलाओं और कन्याओं की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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