Gangaur Puja Vidhi In Hindi: गणगौर पूजा विधि, आरती, मंत्र, मुहूर्त, कथा, सबकुछ यहां जानें
Gangaur Puja Vidhi In Hindi: गणगौर का पर्व पूरे 18 दिनों तक चलता है। जिसकी शुरुआत होली के बाद होती है और नवरात्रि के तीसरे दिन इसका समापन होता है। बहुत से लोग इस पर्व के आखिरी दिन ही पूजा अर्चना करते हैं। गणगौर व्रत को कई जगहों पर गौरी तीज या सौभाग्य तीज के नाम से भी जाना जाता है। यहां आप जानेंगे गणगौर की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, महत्व सबकुछ।

Gangaur Puja Vidhi, Gangaur Puja Aarti
Gangaur Puja Kaise Karen (गणगौर पूजा कैसे करें): गणगौर पर्व में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। ये पर्व मुख्य रूप से राजस्थान में मनाया जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा के कुछ इलाकों में भी ये त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कहते हैं इस व्रत को महिलाएं अपने पति से गुप्त रखती हैं और इतना ही नहीं बल्कि व्रत का प्रसाद भी पति को खाने के लिए नहीं देती हैं। जानिए क्यों रखा जाता है गणगौर व्रत, इसकी पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र और महत्व क्या है।
गणगौर पूजा विधि (Gangaur Puja Vidhi)
- इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- फिर सुबह की पूजा के बाद बाग बगीचों में ताजा जल के लोटो को भरकर उसमें दूब और फूल डालें और इसे अपने सिर पर रखकर अपने घर वापस आ जाएं। ऐसा करते हुए आपको गणगौर के गीत गाते रहने हैं।
- मान्यताओं अनुसार जब तक यह व्रत रहते हैं तब तक हर रोज महिलाओं को सुबह पूजा के लिए फूल और दूब चुनकर लाना चाहिए। कई महिलाएं ये काम गणगौर के सिर्फ अंतिम दिन ही करती हैं।
- फिर घर वापस आने के बाद मिट्टी से ईसर यानी शिवजी और पार्वती स्वरूप गौर की प्रतिमा बनाएं और उसकी विधि विधान स्थापना करें।
- फिर गणगौर को वस्त्र पहनाएं। साथ ही रोली, मोली, मेहंदी, हल्दी, काजल आदि चीजों से पूजा करें और गणगौर के गीत भी गाएं।
- इसके बाद घर की दीवार पर या किसी पेपर पर सोलह-सोलह बिंदियां आपको रोली, मेहंदी और काजल की लगानी है।
- फिर एक थाली में आपको जल, दूध, दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहाग जल तैयार करना है।
- फिर दोनों हाथों में दूब लेकर सुहागजल से पहले गणगौर पर छींटे लगाएं फिर अपने ऊपर भी सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कना है।
- आखिर में मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाना है और गणगौर की कहानी सुननी है।
- फिर शाम को शुभ मुहूर्त में गणगौर को पानी पिलाकर फिर किसी पवित्र सरोवर या कुंड में प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए।
गणगौर पूजा आरती (Gangaur Puja Aarti)
म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी
म्हारी मालण फुलडा से लाय |
सूरज जी थाको आरत्यों जी
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी
ईसर जी थाको आरत्यो जी
थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू
पान की पचास मेलू
पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू
डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू
राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू
करो न भाया की बहना आरत्यो जी
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी
गणगौर पूजा मंत्र जाप (Gangaur Puja Mantra)
'ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः' मंत्र का जाप करते रहें।
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
गणगौर की पूजा पति से छिपकर क्यों रखते हैं?
गणगौर के दिन सुहागिन महिलाएं पति से छिपकर व्रत-पूजन करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत के बारे में पति को नहीं बताया जाता है। इसके अलावा गणगौर की पूजा में चढ़ाया प्रसाद भी पति को नहीं दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को छिपाकर रखने से ही यह व्रत पूर्ण होता है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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