Shri Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics: सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची...गणेश चतुर्थी की आरती के संपूर्ण लिरिक्स यहां देखें
Ganpati Ji Ki Aarti For Ganesh Chaturthi 2024, Sukhkarta Dukhharta Aarti Lyrics (जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति आरती के लिरिक्स): गणेशोत्सव की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है। इस दौरान भक्त गणेश जी को मनाने के लिए उनकी सुबह-शाम विधि विधान पूजा करने के साथ-साथ उनकी आरती भी करेंगे। यहां देखें गणेश चतुर्थी की आरती के लिरिक्स।
Sukhkarta Dukhharta Aarti Lyrics
Ganpati Ji Ki Aarti For Ganesh Chaturthi 2024, Sukhkarta Dukhharta Aarti Lyrics (जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति आरती के लिरिक्स): शास्त्रों अनुसार सुबह-शाम गणेश जी की आरती करने से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है। 7 सितंबर से गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है और अब अगले दिन तक श्रद्धालु गणपति बप्पा की विधि विधान पूजा करने के साथ दिन में दो बार उनकी आरती भी करेंगे। यहां हम आपको बताएंगे गणेश चतुर्थी पूजा के समय कौन सी आरती की जाती है।
Ganpati Ji Ki Aarti In Hindi (गणपति जी की आरती)
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची ।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची ।
कंठी झलके माल मुकताफळांची ।
जय देव जय देव..
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः, कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा ।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा ।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ।
जय देव जय देव..
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः, कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना ।
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ।
दास रामाचा वाट पाहे सदना ।
संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना ।
जय देव जय देव..
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः, कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
Ganesh Chaturthi Aarti (गणेश चतुर्थी आरती)
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुड लड्डू सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता, जय देव जय देव ॥
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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