Gau Giriraj Vrat 2022:जानिए गौ गिरिराज व्रत का महत्व, मिलता है सहस्त्रों अश्वमेध और राजसूय यज्ञ के समान पुण्य
Gau Giriraj Vrat 2022: गुरुवार 8 सितंबर 2022 को गौ गिरिराज व्रत रखा जाएगा। इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन भगवान लक्ष्मी नारायण की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गौ गिरिराज के दिन व्रत और पूजा करने से सहस्त्रों अश्वमेध और राजसूय यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।
Laxmi Narayan
मुख्य बातें
- गौ गिरिराज व्रत के दिन होती है भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा
- गौ गिरिराज व्रत से मिलता है सहस्त्रों अश्वमेध और राजसूय यज्ञ के समान फल
- भाद्रपद माह के शुक्ल त्रयोदशी को रखा जाता गौ गिरिराज व्रत
Gau Giriraj Vrat 2022 Importance: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को गौ गिरिराज व्रत रखा जाता है। इस दिन गौ माता और भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने का विधान है। हिंदू धर्म में गाय को माता का स्थान प्राप्त होता है। माना जाता है कि गाय में देवी-देवता वास करते हैं। इसलिए इनकी पूजा की जाती है। गायों की पूजा गौ गिरिराज का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन स्त्री और पुरुष दोनों ही व्रत रखते हैं। जानते हैं गौ गिरिराज व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व के बारे में।संबंधित खबरें
गौ गिरिराज व्रत की तिथिसंबंधित खबरें
पंचांग के अनुसार तो वैसे तो गौ गिरिराज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल त्रयोदशी को रखा जाता है। इस साल यह व्रत गुरुवार 08 सितंबर 2022 को रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि बुधवार 07 सितंबर रात 10 बजे शुरू हो जाएगी। जोकि 08 सितंबर रात 7:40 तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार गौ गिरिराज व्रत 08 सितबंर 2022 को रखा जाएगा।संबंधित खबरें
गौ गिरिराज व्रत का महत्वसंबंधित खबरें
वैसे तो गौ गिरिराज का व्रत महिलाएं और पुरुष दोनों ही रखते हैं। लेकिन जो महिला संतान सुख प्राप्त करना चाहती है उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए। गौ गिरिराज के दिन व्रत और पूजन करने से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत को रखने से सहस्त्रों अश्वमेध और राजसूय यज्ञ के समान फल मिलता है।संबंधित खबरें
गौ गिरिराज व्रत के दिन ऐसे करें पूजासंबंधित खबरें
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद साफ कपड़े पहनें। पूजा के लिए केले के पत्तों से मंड़प तैयार करें और एक चौकी स्थापित करें। चौकी में लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और इसमें भगवान लक्ष्मी नारायण की फोटो रखें। फूल, अक्षत, नैवेद्य और भोग अर्पित कर विधि-विधान से पूजा करें और धूप-दीप जलाएं। पूजा में गिरिराज चालीसा का पाठ करें और व्रत कथा पढ़ें। फिर भगवान लक्ष्मी नारायण की आरती करें। इस दिन ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा जरूर दें। वैसे तो इस दिन गौ दान का महत्व है। लेकिन आप अपने सामर्थ्यनुसार श्रद्धापूर्व दान कर सकते हैं।संबंधित खबरें
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)संबंधित खबरें
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