Gauri Vrat 2023 Date: गौरी व्रत पूजा विधि, महत्व और मुहूर्त

Gauri Vrat 2023 Date And Time: गौरी व्रत देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) से आषाढ़ गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2023) तक रखा जाता है। इस व्रत में माता गौरी की पूजा की जाती है। जानिए गौरी व्रत की पूजा विधि और महत्व।

gauri vrat 2023

Gauri Vrat 2023 Start And End Date

Gauri Vrat 2023 Puja Vidhi: गौरी व्रत मुख्य तौर पर गुजरात समेत अन्य पूर्वी राज्यों में मनाया जाता है। ये पांच दिनों का व्रत होता है जिसका प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) से होता है और समाप्ति गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2023) पर होती है। इस व्रत में मां पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत विवाहित और कुंवारी दोनों ही स्त्रियां रख सकती हैं। इस साल गौरी व्रत 29 जून से शुरू हो रहा है और इसकी समाप्ति 3 जुलाई को होगी। जानिए गौरी व्रत की पूजा विधि और महत्व।

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गौरी व्रत 2023 डेट और टाइम (Gauri Vrat 2023 Date And Time)

गौरी व्रत का प्रारंभ29 जून 2023
गौरी व्रत का समापन3 जुलाई 2023
एकादशी तिथि प्रारंभ29 जून 2023 को 03:18
एकादशी तिथि समाप्त30 जून 2023 को 02:42
गौरी व्रत की पूजा विधि (Gauri Vrat Puja Vidhi)

  • गौरी व्रत के दिन व्रती महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेना चाहिए और नए वस्त्र धारण कर इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • संकल्प लेते समय बोलें“मैं आनंदित मन से एक वक्त के भोजन का त्याग कर व्रत करने का संकल्प लेती हूं , मेरे सभी पापों का नाश हो और मुझे सौभाग्य की प्राप्ति हो।”
  • इसके बाद घर के मंदिर में माता गौरी और भगवान शिव जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • फिर एक कलश में मिट्टी डालकर उसमें जौ के कुछ दाने डाल दें। अगले पांच दिनों तक इस कलश में थोड़ा-थोड़ा पानी डालते रहें और विधि पूर्वक पूजा करें।
  • इस व्रत का संकल्प आप अपनी इच्छानुसार एक दिन, तीन दिन या पांच दिनों के लिए कर सकती हैं।
  • इस व्रत में मां गौरी की पूजा कुमकुम, अश्वगंधा, कस्तूरी और लाल रंग के फूलों से करें।
  • प्रसाद के रूप में माता को नारियल, अनार या कोई भी मौसमी फल चढ़ाया जा सकता है।
  • अंत में इस व्रत से संबंधित कथा सुनें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
गौरी व्रत का महत्व (Gauri Vrat Significance)

गौरी व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है तो वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत रखती हैं। गौरी व्रत देवी पार्वती को समर्पित व्रत है। ये व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है। गौरी व्रत आषाढ़ महीने के आखिरी 5 दिनों में मनाया जाता है। ये आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होता है और पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। गौरी व्रत को मोरकट व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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