मकर राशि वालों के लिए नीला पत्थर
तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
- मकर राशि का स्वामि ग्रह होता है शनि
- नीलम धारण करने से होता है फायदा
- शीघ्र प्रभाव दिखाता है राशिरत्न नीलम
Gemstone Tips Sapphire: मकर राशि वाले व्यक्ति स्पष्टवादी और निर्भय प्रवृत्ति के होते हैं, ये व्यक्ति काल्पनिक योजनाओं का निर्माण करते हैं। मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि होता है और शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है नीलम रत्न। इसलिए मकर राशि वालों को नीलम रत्न या फिर इसके उपरत्न जमुनिया या कटैला, काला स्टार, लाजवर्त या काला हकीक धारण करना चाहिए।
नीलम रत्न की पहचान
यह एक मूल्यवान खनिज पत्थर है। अपनी रसायनिक विश्लेषण में यह एल्यूमीनियम, आक्सीजन और कोबाल्ट का यौगिक है। यह कुरुन्दन समूह का रत्न है। नीलम नीला, हल्का नीला, आसमानी, बैंगनी रंग का होता है। यह भारी और पारदर्शी पत्थर है, कुछ स्थानों पर मिलने वाले नीलम गहरे रंग के भी होते हैं और इनमें पारदर्शिता काफी कम होती है। सूर्य की रोशनी में देखने से इमनें कुछ पारदर्शिता दिखलायी देती है, परंतु ज्यादातर नीलम अपारदर्शी ही होते हैं। इनके हल्के और गहरे रंग से इनके प्रभाव में कुछ भी अंतर नहीं होता है। नीलम के अंदर दाग− धब्बे, धुंधलापन या जाला अवश्य ही पाया जाता है। असली नीलम की पहचान इसके अंदर के दाग से होती है। इनका मूल्य भी इनके अंदर पाये जाने वाले दाग पर ही निर्भर होता है, जितना कम दाग वाला नीलम होगा उतना ही अधिक मूल्यवान होगा। कभी− कभी बिल्कुल बेदाग असली नीलम भी देखने में आते हैं, परंतु यह इतने ज्यादा महंगे होते है कि आम आदमी इसे खरीदने में असमर्थ महसूस करता है। ज्यादातर नीलम पहनने के बाद कुछ मामूली हल्के रंग के हो जाते हैं, परंतु इससे इनके प्रभाव पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता है। कुछ मात्रा में बिल्कुल खुदरंग नीलम भी आते हैं, परंतु यह दूसरे नीलम से काफी महंगे होते हैं। नीलम बर्मा, श्रीलंका, बैंकाक, भारत, आस्ट्रेलिया आदि देशाें में पाया जाता है।
नीलम की विशेषता और धारण करने से लाभ
नीलम शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। नीलम धारण करने से शनि से संबंधित समस्त दोष शांत हो जाते हैं। मकर और कुंभ राशि वालों को नीलम पहनना अति शुभकारी होता है। नीलम के विषय में कहा जाता है कि यह रत्न सबसे शीघ्रता से अपना प्रभाव दिखाता है। नीलम का प्रभाव शुभ और अशुभ दोनों प्रकार का होता है, इसलिए नीलम परीक्षण करने के बाद धारण करना चाहिए या पहले जामुनिया धारण करके देख लेना चाहिए, यदि जामुनिया आपको थाेड़ा भी फायदा देता है तो नीलम बेफिक्र होकर पहना जा सकता है। नीलम का शुभ या अशुभ प्रभाव जानने के लिए नीलम दाहिने हाथ में नीले कपड़े की सहायता से बांध लेना चाहिए या रात में सोते समय अपने तकिये के नीचे रख लेना चाहिए। इससे यदि कुछ नुकसान न हो और शुभ स्वप्न आये या शुभ समाचार मिले तो नीलम पहनना शुभ होता है।
नीलम इस तरह करें धारण
नीलम कम से कम सवा तीन रत्ती का धारण करना चाहिए। इससे और भारी वजन का नीलम और भी अधिक प्रभावशाली होता है। नीलम को सोने या चांदी या लोहे की अंगूठी से जड़वाना चाहिए। शुक्रवार को रात को नीलम की अंगूठी को तांबे के बर्तन में कच्चा दूध और गंगाजल डालकर थाेड़ा मीठा मिलाकर रख देना चाहिए, इसके बाद शनिवार की सुबह शनि भगवान का स्मरण करते हुए दूध और गंगाजल को भगवान शंकर के मंदिर में या पीपल वृक्ष की जड़ में चढ़ा दें। अंगूठी निकाल कर ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः मंत्र का जाप करते हुए मध्यमा उंगली में धारण कर लें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)