Gemstone Tips: धनु राशि वालों के लिए शुद्धि का काम करता है पुखराज, यहां जानिए धारण से जुड़ी जरूरी बातें
Gemstone Tips: राशिरत्न को धारण करने से राशि स्वामी ग्रह रहता है शांत और देता है शुभ फल। राशिरत्न करते हैं स्वामी ग्रह का प्रतिनिधित्व। ब्रह्मपुत्र, हिमालय, श्रीलंका, रूस, आयरलैंड में अधिक पाया जाता है पुखराज। यदि आपकी राशि भी है धनु तो पुखराज धारण करने से पहले जान लें ये जरूरी बातें।

पुखराज से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
- शांत−सात्विक स्वभाव के होते हैं धनु राशिवाले
- धनु राशि का स्वामी ग्रह होता हैं बृहस्पति
- नौकरी और व्यापार में विकास के लिए पुखराज कर सकते हैं धारण
कैसे पहचाने असली पुखराज रत्न?पुखराज एक मूल्यवान खनिज पत्थर है। अपने रासायनिक विश्लेषण में इसमें एल्यूमीनियम, हाइड्रोविसम और क्लोरीन जैसे तत्वों की उपस्थिति रहती है। यह महानदी ब्रह्मपुत्र, हिमालय, श्रीलंका, रूस, आयरलैंड में अधिक पाया जाता है। इसमें अंदर दाग−धब्बे, धुंधलापन, जाला अवश्य देखा जा सकता है। महंगे से महंगे पुखराज को भी बारिकी से देखा जाए तो उसके आंदर कुछ न कुछ अवश्य ही दिखायी देगा। अत्यधिक मूल्यवान पुखराज इसका अपवाद है, लेकिन इतना महंगा पुखराज हर व्यक्ति की पहुंच से बाहर होता है इसलिए असली पुखराज की पहचान इसके अंदर दाग−धब्बे या जाले को देखकर ही किया जाता है। श्रीलंका का पुखराज सबसे उत्तम श्रेणी का माना जाता है। पुखराज पहनने के बाद कुछ हल्के रंग के हो जाते हैं, लेकिन इनका यह रंग छोड़ना नकली होने की पहचान नहीं है, बल्कि यह पुखराज का पैदाइशी गुण है। बहुत ही थाेड़ी मात्रा में खुदरंग पुखराज प्राप्त होते हैं। खुदरंग पुखराज दूसरे पुखराजों के मुकाबले काफी महंगे होते हैं। असली पुखराज को धूप में देखने से किरण निकलती प्रतीत होती है।
क्या है पुखराज की विशेषता और धारण करने के फायदे? पुखराज पहनने से गुरु ग्रह से संबंधित समस्त दोष शांत हो जाते हैं। धनु राशि वालों को पुखराज पहनना अति शुभकारी होता है। पुखराज धारण करने से बल, बुद्धि, आयु, स्वास्थ्य, यश, कीर्ति एवं मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। इसको धारण करने से व्यवसाय की आय में वृद्धि होती है। पुखराज को बृहस्पति जी का प्रतीक माना गया है, बृहस्पति जी को देवगुरु का स्थान प्राप्त है। इसलिए ये शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति का कारक माना गया है। यदि कन्या के विवाह में देरी हो रही हो तो पुखराज धारण करने से शीघ्र सुलभ हो जाता है। पति सुख के लिए पुखराज धारण करना श्रेष्ठ है, यह पति−पत्नी के बीच की बाधा को दूर कर गृहस्थ जीवन को सफल एवं सुखी बनाता है। पुखराज मानसिक शांति प्रदान करके मान प्रतिष्ठा को श्रेष्ठकर एवं दीर्घायु प्रदान करता है। लेखक, वकील, बुद्धिजीवी, व्यवसायियों के लिए ये विशेष लाभकारी है। यह परिवार के मध्य प्रेम बढ़ाता है। पुखराज काे गृहस्थ के साथ साधु सन्यासी भी धारण कर सकते हैं। पुखराज चर्म रोग नाशक, बल− वीर्य की वृद्धि करने वाला होता है।
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क्या है पुखराज धारण करने की विधि?पुखराज कम से कम सवा तीन रत्ती का पहनना चाहिए। वैसे सवा पांच, साढ़े पांच या इससे अधिक वजन का पुखराज तुरंत प्रभाव दिखाने वाला हो सकता है। पुखराज के नग को सोना, चांदी या तांबे में जुड़वाना चाहिए। गुरूवार को अंगूठी को कच्चे दूध और गंगाजल में शुद्ध करके प्रातःकाल सूर्योदय के समय केले के वृक्ष से स्पर्श कराके इष्टदेव का स्मरण करके “ऊँ ग्रां ग्रीं गौं सः गुरूवे नमः” मंत्र का जाप करते हुए धारण करना चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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