Govardhan Puja 2022: बेहद महत्वपूर्ण है गोवर्धन पर्व, पूजा करने से घर संसार में तुरंत दिखते हैं शुभ संकेत

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत, श्रीकृष्ण और बाल-ग्वाल की आकृति बनाकर पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा करने से घर-संसार में खुशहाली आती है और नकारात्मकता दूर होती है।

गोवर्धन पूजा से घर पर होता है खुशहाली का वास

मुख्य बातें
  • इस बार दिवाली के अगले दिन नहीं होगी गोवर्धन पूजा
  • गोवर्धन पूजा से घर से दूर होती है नकारात्मकता
  • स्कंद पुराण के अनुसार गौ पूजा से मिलता है पुण्यफल

Govardhan Puja 2022: गोवर्धन पूजा का त्योहार पांच दिवसीय प्रकाश पर्व में शामिल है। जिसमें दीपावली के पहले धनतेरस, नरक चतुर्थी और दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाई जाती है। बात करें गोवर्धन पूजा की तो हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व होता है। वैसे तो प्रत्येक साल गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। इस बार दीपावली 24 अक्टूबर, 2022 को है। लेकिन दीपावली के अगले दिन सूर्य ग्रहण लगने वाला है। इसलिए गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर नहीं बल्कि 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। गोवर्धन पूजा भगवना श्रीकृष्ण से जुड़ी है। इस दिन गौ माता, गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। जानते हैं क्यों महत्वपूर्ण है गोवर्धन पूजा। साथ ही जानते हैं गोवर्धन पूजा की विधि और इसके लाभ के बारे में विस्तार से।

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क्यों महत्वपूर्ण है गोवर्धन पूजा ?

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गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन और हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव के घमंड को चूरकर उन्हें पराजित किया था। इंद्रदेव क्रोध में अपना प्रकोप दिखाते हुए बृज में भारी वर्षा करवा रहे थे। तभी भगवान कृष्ण ने बृजवासियों को बारिश और बाढ़ से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ के कनिष्ठ उंगली से उठाकर पूरे बृज के ऊपर छावनी की तरह खड़ा कर दिया। तभी से बृजवासी भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इस घटना के बाद में प्रत्येक वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। उन्हें कई तरह के पकवानों के भोग अर्पित किए जाते हैं। कृष्ण के बाल रूप प्रतिमा का श्रृंगार कर उसकी पूजा भी की जाती है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा करने का विधान है।

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