Govardhan Puja Vidhi, Mantra In Hindi: गोवर्धन पूजा कैसे की जाती है, यहां जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा और आरती
Govardhan Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri: गोवर्धन पूजा का त्योहार इस साल 14 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। पंचांग अनुसार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:43 से 08:52 तक रहेगा। जानिए गोवर्धन पूजा की विधि।
Govardhan Puja Vidhi In Hindi
Govardhan Puja Vidhi, Shubh Muhurat 2023 In Hindi: हिंदू कैलेंडर के अनुसार गोवर्धन पूजा का त्योहार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। बहुत सी जगहों पर इस दिन अन्नकूट पूजा (Aannakut Puja) और बलि पूजा (Bali Puja) भी की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति (Govardhan Parvat Drawing) बनाई जाती है। फिर उसकी विधि विधान पूजा करने के बाद गोवर्धन की कथा सुनी जाती है (Govardhan Ki katha)। इसके बाद गोवर्धन की आरती की जाती है (Govardhan Ji Ki Aarti)। गोवर्धन पूजा सामग्री (Govardhan Puja Samagri) में गाय के गोबर, कलश, रोली, 56 भोग समेत कई चीजों की जरूरत होती है। 56 भोग को ही अन्नकूट कहा जाता है (Annakut Kya Hai)। इस दिन गोवर्धन पूजा का मंत्र (Govardhan puja Mantra) 'गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।' का जाप जरूर करना चाहिए। गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है (Govardhan Puja Kyu Manai Jati Hai) तो बता दें कि गोवर्धन पूजा मूसलाधार बारिश से लोगों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण द्वारा उठाए गए गोवर्धन पर्वत की कथा का स्मरण कराती है। यहां जानिए गोवर्धन पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा और आरती।
Govardhan Puja 2023 Shubh Muhurat And Importance Check Here
Govardhan Puja Mantra (गोवर्धन पूजा मंत्र)
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
Govardhan Puja Samagri In Hindi (गोवर्धन पूजन सामग्री लिस्ट)
- गोवर्धन पर्वत बनाने के लिए गाय का गोबर
- पूजा की थाली
- रोली
- अक्षत
- बताशे
- 56 भोग (जिसे अन्नकूट कहते हैं।)
- घी के दीपक या दीये
- धूप
- तेल
- दीपक
- जल से भरा कलश
- केसर
- नैवेद्य
- मिठाई
- गंगाजल
- पान
- फूल
- दही
- शहद
- खीर
Annakut Or Govardhan Puja Vidhi (अन्नकूट या गोवर्धन पूजा विधि)
- इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले शरीर पर तेल की मालिश करें और उसके बाद स्नान करें।
- फिर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं साथ में ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति भी बनाएं।
- गोवर्धन पर्वत को फूलों से सजाएं।
- फिर गाय और अन्नकूट भगवान की विधिवत पूजा शुरू करें।
- पूजा स्थल के पास जहां आपने गोवर्धन की आकृति बनाई है वहां धूप, दीप, नैवेद्य, फल, जल, खील, बताशे भोग के रूप में रखें।
- इसके बाद गोवर्धन की सात बार परिक्रमा लगाएं।
- फिर बनाए गए भोग का प्रथम अंश गाय को खिलाएं।
- फिर पूजा स्थल में भगवान कृष्ण की पूजा करें।
- श्री कृष्ण भगवान की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
- भगवान का पूजन फूल, कुमकुम, हल्दी, चंदन और अक्षत से करें।
- इस तरह से भगवान कृष्ण की षोडशोपचार पूजा करें।
- इसके बाद भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाएं।
- अंत में गोवर्धन की कथा सुनें और आरती भी करें।
- इस दिन कई जगह गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है।
- उन्हें फल, फूल, मिठाइयां खिलाई जाती हैं।
Annakut Kya Hai (अन्नकूट का अर्थ)
अन्नकूट का अर्थ है अन्न का ढेर। गोवर्धन पूजा के दिन श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों और पकवानों से भगवान कृष्ण का भोग तैयार करते हैं। साथ ही इस दिन 56 भोग बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है और इन्हीं 56 तरह के पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है।
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