Goverdhan Puja 2022: कैसे करें गोवर्धन पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा सबकुछ जानिए यहां
Goverdhan Katha, Puja Vidhi, Muhurat: आज देश भर में गोवर्धन का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाया जाता है।
Goverdhan Puja 2022 Time: गोवर्धन पूजा पूजा विधि और मुहूर्त
Goverdhan Puja Vidhi And Muhurat: हर साल कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन मुख्य रूप से गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गोबर से बना ये पर्वत घर की सभी परेशानियों को खत्म कर देता है। इस पर्व को मुख्य तौर पर मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल और बरसाना में धूम धाम से मनाया जाता है। यहां जानें गोवर्धन पूजा की विधि, कथा, महत्व और मुहूर्त।
गोवर्धन पूजा 2022 तिथि व शुभ मुहूर्त (Goverdhan Puja 2022 Date And Muhurat)
दिनांक: 26 अक्टूबर, 2022
दिन: बुधवार
हिंदू माह: कार्तिक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: प्रतिपदा
शुभ मुहूर्त: 26 अक्टूबर, 2022 की सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 43 मिनट तक।
अवधि: 2 घंटे 14 मिनट
गोवर्धन पूजा विधि (Goverdhan Puja Vidhi)
- इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत के आकार का चित्र बनाएं और उसे पीले रंग फूलों से सजाएं। गोवर्धन पर्वत के पास 56 भोग प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
- फिर धूप जलाएं और पूजा करें।
- इसके बाद प्रसाद की सामग्री चढ़ाकर पूजन करें।
- इस दिन 6 तरह की सब्जियों का भोग जरूर अर्पित करना चाहिए।
- बनाए गए गोवर्धन पर्वत के ऊपर दीपक रखें।
- गोवर्धन की परिक्रमा करें और गोवर्धन की कथा का पाठ भी जरूर करें।
- शाम के समय इस आकृति को समेटकर एक जगह इकठ्ठा करें और उसके ऊपर दीया प्रज्ज्वलित करके घर के मुख्य द्वार पर रखें।
गोवर्धन पूजा कथा (Goverdhan Vrat Katha)
द्वापर युग में श्री कृष्ण ने देखा कि एक दिन सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे थे और किसी पूजा की तैयारी कर रहे थे। इसे देखते हुए कृष्ण जी ने माता यशोदा से पूछा कि ये किस पूजा की तैयारी हो रही है? कृष्ण की बातें सुनकर यशोदा माता ने बताया कि इंद्रदेव की सभी ग्राम वासी पूजा करते हैं जिससे गांव में ठीक से वर्षा होती रहे और अन्न धन बना रहे। उस समय लोग इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट (अन्नकूट का महत्व)चढ़ाते थे। यशोदा मीता ने कृष्ण जी को ये भी बताया कि इंद्र देव की कृपा से अन्न की पैदावार होती है जिससे गायों को चारा मिलता है।
इस बात पर श्री कृष्ण ने कहा कि फिर इंद्र देव की जगह हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि गायों को चारा वहीं से मिलता है। इस बात पर बृज के लोग इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। ये देखकर इंद्र देव क्रोधित हो घए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। इंद्रदेव ने इतनी तेज वर्षा की कि उससे बृज वासियों की फसल को नुकसान हो गया।
ब्रजवासियों को परेशानी में देखकर श्री कृष्ण ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को अपने गाय और बछड़े समेत पर्वत के नीचे शरण लेने के लिए कहा। इस बात पर इंद्र और क्रोधित हो गए और उन्होंने वर्षा की गति को और ज्यादा तीव्र कर दिया। तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर विराजमान होकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें और शेषनाग से कहा आप पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।
इंद्र लगातार सात दिन तक वर्षा करते रहे तब ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा कि श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं। ब्रह्मा जी की बात सुनकर इंद्र ने श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और उनकी पूजा करके अन्नकूट का 56 तरह का भोग लगाया। कहते हैं तभी से गोवर्घन पर्वत पूजा किए जाने लगी।
गोवर्धन पूजा के दिए क्या करते हैं? ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण को गायों से खास लगाव था और इसलिए पूजा में गाय का गोबर अत्यंत पवित्र होता है। इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है और इसके चारों कोनों में करवा की सींकें लगाईं जाती हैं। फिर इसके अंदर कई अन्य आकृतियां भी बनाई जाती हैं और इसकी पूजा की जाती है।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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