Gudi Padwa 2023: मराठी नववर्ष गुड़ी पड़वा आज? यहां समझिए गुड़ी का अर्थ और इसकी पूजा विधि

What is Gudi Padwa: गुड़ी पड़वा चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। यह महाराष्ट्र का प्रमुख त्यौहार है, जो मराठी नव वर्ष के तौर पर मनाया जाता है।

Gudi Padva 2023

What is Gudi Padva in Hindi

What is Gudi Padwa: गुड़ी पड़वा उत्सव महाराष्ट्र में नव वर्ष के तौर पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा को नवसंवत्सर, युगादि या मराठी नव वर्ष भी कहा जाता है। यह हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सेलिब्रेट किया जाता है। इसी तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है। दरअसल, यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। इस दिन मुंबई के लोग पारंपरिक रूप से पूजा करके नए साल में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं। आइए गुड़ी पड़वा की रीति-रिवाज, महत्व और पूजा विधि को जान लेते हैं।

गुड़ी क्या है?(What is Gudi in Gudi Padva):

गुड़ी पड़वा एक मराठी त्योहार है। यहां गुड़ी का अर्थ है- विजय या ध्वज और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। आज के दिन महाराष्ट्र में लोग अपने-अपने घरों के बाहर गुड़ी बांधकर उसकी विधिपूर्वक पूजा करते हैं। माना जाता है कि इस दिन ध्वज की पूजा करने से नए साल में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

गुड़ी पड़वा की पूजा विधि और नियम:

सुबह सबसे पहले उठकर अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान करना उत्तम माना गया है।

स्नान आदि के बाद घर की सफाई करके गुड़ी यानी ध्वज को सजा लेनी चाहिए।

सूर्योदय के बाद ही गुड़ी की पूजा शुरू करनी चाहिए।

इस दिन घरों में रंगीन रंगोली बनाकर सजाया जाता है। वहीं, ताजे फूलों से घर का वातावरण खुशनुमा बनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा के मौके पर पारंपरिक कपड़े पहनने का भी चलन है। इस दिन मराठी स्त्रियां पारंपरिक नौवारी साड़ी (9 गज लंबी साड़ी) और पुरुष कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता के साथ केसरिया या लाल रंग की पगड़ी पहनते हैं।

इस दिन नए वर्ष का भविष्यफल सुनने और सुनाने का रिवाज है।

गुड़ी पड़वा के दिन श्रीखंड और खीर जैसे मीठे और स्वादिष्ट भोजन बनाने की परंपरा है।

इस दिन शाम के समय लोग एक झुंड में पारंपरिक नृत्य भी करते हैं, जिसे लेजिम कहा जाता है।

गुड़ी पड़वा से पहले करलें ये तैयारियां:

गुड़ी पड़वा के दिन पूजा से पहले घर को अच्छे से साफ-सफाई करके रंगोली, तोरण द्वार आदि बनाकर घर को सजाया जाता है। इसके बाद लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर पूजा के लिए एक झंडा रखते हैं। बर्तन पर स्वास्तिक चिंह बनाकर उसे रेशम के कपड़े में लपेट कर रख दिया जाता है। फिर सुबह सूर्यदेव की आराधना के साथ रामरक्षा स्रोत, सुंदरकांड और देवी भगवती के मंत्रों का जाप करके पूजा करने का रिवाज है।

गुड़ी पड़वा महत्व (Gudi Padwa Significance):

शास्त्रों के अनुसार, गुड़ी पड़वा से नए साल का शुभारंभ हो जाता है। कहते हैं इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन से दिन बड़ा और रातें छोटी होने लगती है। वहीं पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में इसी दिन प्रभु श्रीराम ने बालि का वध किया था। तब से इस दिन को विजय पताका लहराकर जश्न मनाया जाने लगा

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