Gudi Padwa 2024: कब है गुड़ी पड़वा? क्यों मनाया जाता है ये त्योहार? यहां जानें गुड़ी पड़वा की डेट, महत्व, शुभ मुहूर्त और खास बातें
Gudi Padwa 2024 Kab Hai: गुड़ी पड़वा का त्योहार महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। आइये जानते हैं कि साल 2024 में गुड़ी पड़वा कब मनाया जाएगा, इस त्योहार का क्या महत्व है और गुड़ी पड़वा के पूजा से जूड़ी सारी डिटेल्स।
Gudi Padwa 2024 Kab Hai: हिंदू पंचांग के अनुसार, गुड़ी पड़वा का त्योहार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है। इस त्योहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। वहीं, इसी दिन चैत्र नवरात्रि का पहला दिन भी होता है। ऐसे मान्यता है कि गुड़ी पड़वा पर्व को मनाने पर घर में सुख और समृद्धि आती है और घर की नकारात्मक ऊर्जाएं खत्म हो जाती हैं। तो आइये जानते हैं कि साल 2024 में गुड़ी पड़वा कब सेलिब्रेट किया जाएगा, इस पर्व का क्या महत्व है, गुड़ी पड़वा के पूजा की विधि से लेकर सबकुछ।
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गुड़ी पड़वा कब है?हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गुड़ी पड़वा सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट बजे शुरू होकर अगले दिन यानी 9 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगी।
गुड़ी पड़वा शुभ मुहूर्तगुड़ी पड़वा की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक है। इस दौरान शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 4 घंटे 14 मिनट की है। वहीं, इसके बाद पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 48 मिनट तक है। इस दौरान शुभ मुहूर्त की कुल अवधि केवल 51 मिनट की है।
गुड़ी पड़वा का महत्वगुड़ी पड़वा का त्योहार अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है। गुड़ी पड़वा को 'संवत्सर पडवो' भी कहते हैं। गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना है- गुड़ी और पड़वा। गुड़ी का अर्थ है- हिंदू देवता ब्रह्मा का ध्वज और पड़वा का अर्थ है चंद्रमा के चरण का पहला दिन होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड की रचना और दिन, सप्ताह, महीने और साल की शुरुआत भी की थी। महाराष्ट्र में ये त्योहार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि इस दिन मराठा शासक छत्रपति शिवाजी ने युद्ध जीता था। ऐसा कहते हैं कि इस शानदार जीत के बाद ही गुड़ी पड़वा पर्व की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा पर राजा शालिवाहन की विजय का भी जश्न मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब राजा शालिवाहन पाटलिपुत्र लौटे थे, तब उनके लोगों ने खुशी में गुड़ी यानी झंडा फहराया था।
गुड़ी पड़वा की पूजा विधि1) गुड़ी पड़वा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके विजय के प्रतीक के रूप में घर में सुंदर-सुंदर गुड़ी लगाकर और उसकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-शांति खुशहाली आती है।
2) इसके बाद घर के मुख्य द्वार को आम के पत्ते और अशोक के पत्ते के तोरण से सजाया जाता है।
3) गुड़ी पड़वा पर लोग अपने घरों की सफाई करके मुख्य द्वार पर रंगोली भी बनाते हैं।
4) इसके बाद घर के आगे एक झंडा लगाया जाता है और इसके अलावा एक बर्तन पर स्वस्तिक बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लपेट कर रखा जाता है।
5) इस दिन खास तरह के पकवान श्री खंड,पूरनपोली, खीर आदि बनाए जाते हैं। सूर्यदेव की आराधना के साथ ही सुंदरकांड,रामरक्षास्रोत और देवी भगवती की पूजा एवं मंत्रों का जप किया जाता है। अच्छे स्वास्थ्य की कामना से नीम की कोपल गुड़ के साथ खाई जाती हैं।
गुड़ी पड़वा से जुड़ी खास बातें1) गुड़ी पड़वा पर मराठियों के लिए नया हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन लोग फसलों की पूजा आदि भी करते हैं।
2) एक ऐतिहासिक कथा के अनुसार शालिवाहन नामक एक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिए और इस सेना की मदद से दुश्मनों को पराजित किया। इस विजय के प्रतीक के रूप में शालिवाहन शक संवत का प्रारंभ भी माना जाता है।
3) 09 अप्रैल 2024 से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरूआत हो रही है। इस नव वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को पूरे वर्ष का स्वामी माना जाता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत मंगलवार से आरंभ हो रही है इस कारण से नए विक्रम संवत के स्वामी मंगलदेव होंगे।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर कॉपी एडिटर कार्यरत हूं। मूल रूप से बिहार की रहने वाली हूं और साहित...और देखें
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