Guru Gobind Singh Ji Jayanti 2025: गुरु गोबिंद सिंह जी की 358वीं जन्म वर्षगांठ पर जानिए कब हुआ था उनका जन्म, कैसे हुई थी मृत्यु, क्या था उनकी पत्नी का नाम, जानें इतिहास
Guru Gobind Singh Ji Birthday 2025: हर साल पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। खास बात ये है कि इस साल ये जयंती दो बार मनाई जाएगी। इस खास मौके पर आप जानेंगे गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन परिचय।
Guru Gobind Singh Ji Birthday 2025
Guru Gobind Singh Ji Birthday 2025: गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्मदिन साल 2025 में दो बार मनाया जाएगा क्योंकि पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि इस साल दो दिन पड़ रही है। बता दें 6 जनवरी 2025 में गुरु गोबिंद सिंह जी की 358वीं जन्म वर्षगांठ होगी तो वहीं 27 दिसंबर को उनकी 359वीं जन्म वर्षगांठ मनाई जाएगी। जूलियन कैलेण्डर के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसम्बर, 1666 को बिहार के पटना में हुआ था। पंचांग अनुसार उनके जन्म के समय पौष शुक्ल सप्तमी थी। इसलिए ही इस तिथि पर हर साल उनकी जयंती मनाई जाती है। चलिए जानते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी का इतिहास।
Guru Gobind Singh Jayanti Date
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म कब हुआ था (Guru Gobind Singh Ji Birth Date)
हिन्दु कैलेंडर के अनुसार, गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म विक्रम सम्वत 1723 में पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। वे सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे जो श्री गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान के बाद वे 11 नवम्बर सन् 1675 को 10 वें गुरू बने थे। गुरु गोबिन्द सिंह जी एक महान योद्धा, चिन्तक, कवि और आध्यात्मिक नेता थे। जानकारी अनुसार सन् 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
पटना साहिब में हुआ जन्म (Guru Gobind Singh Ji Birth Place)
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के यहां पटना साहिब में हुआ था। इनका मूल नाम गोविंद राय था। मात्र 10 वर्ष की आयु से ही उन्हें सिखों के दसवें गुरु के रूप में जाना जाने लगा था। गुरु गोविंद जी अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी के निधन के बाद कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा के लिए गद्दी पर बैठे थे। गुरु गोबिंद सिंह जी को कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नामों से जाना जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु कब और कैसे हुई थी? (Guru Gobind Singh Ji Death Reason)
गुरु गोविंद सिंह जी की मृत्यु 42 वर्ष की उम्र में 7 अक्टूबर 1708 को नांदेड़, महाराष्ट्र में हुई थी। गुरु गोबिंद सिंह जी और बादशाह बहादुरशाह के संबंध काफी मधुर थे। इन संबंधों को देखकर सरहद का नवाब वजीत खां घबराने लगा था। अतः उसने दो पठान गुरुजी के पीछे लगा दिए। जिसके बाद जमशेद खान और वासिल बेग गुरू की सेना में चुपके से शामिल हो गए। इन पठानों ने गुरुजी पर धोखे से वार किया। ये वार उन्होंने तब किया जब गुरु गोबिंद सिंह जी अपने कक्ष में आराम कर रहे थे तभी एक पठान ने गुरू के दिल के नीचे छुरा घोंप दिया। जिसके बाद गुरु गोबिंद सिंह ने उस पर कृपाण से वार कर उसे मार गिराया। लेकिन इस हमले में गुरु साहिब को गहरी चोट लगी थी जिससे 7 अक्टूबर 1708 में वे दिव्य ज्योति में लीन हो गए। तभी से इस दिन को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह जी की कितनी पत्नियां थीं? (Guru Gobind Singh Ji Wife)
गुरु गोबिंद जी की तीन शादियां हुई थी, उनका पहला विवाह आनंदपुर के पास स्थित बसंतगढ़ में जीतो नाम की कन्या के साथ हुआ था। इस विवाह के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी को जोरावर सिंह, फतेह सिंह और जुझार सिंह नाम की तीन संतान पैदा हुई थी। इसके बाद माता सुंदरी से उनका दूसरा विवाह हुआ था। इस शादी के बाद उन्हें अजित सिंह नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई थी। फिर गुरु गोविंद जी का विवाह माता साहिब से हुआ था लेकिन इस शादी से उनकी कोई संतान नहीं थी।
गुरु गोबिंद सिंह जी की फोटो (Guru Gobind Singh Ji Photo)
गुरु ग्रंथ साहिब को दिया गुरु का दर्जा
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ही सिखों के पवित्र ग्रंथ 'गुरु ग्रंथ साहिब' को पूरा किया और उन्हें गुरु का दर्जा दिया। उन्होने अन्याय को खत्म करने और धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े थे। धर्म की रक्षा करते करते उन्होंने अपने समस्त परिवार का बलिदान दे दिया था। यही कारण है कि उन्हें 'सरबंसदानी' भी कहा जाता है। जिसका अर्थ होता है पूरे परिवार का दानी।
खालसा पंथ की स्थापना
कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए गुजारा था। उन्होंने बचपन में ही संस्कृत, उर्दू, हिंदी, ब्रज, गुरुमुखी और फारसी जैसी कई भाषाएं सीख ली थीं। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही ‘खालसा पंथ’ में जीवन के पांच सिद्धांत दिए थे, जिन्हें ‘पंच ककार’ के नाम से जाना जाता है। ये पंच ककार हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा। इनका अनुसरण करना हर खालसा सिख के लिए अनिवार्य है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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