गुरु गोबिंद सिंह जी के शब्द: 'सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं'
Guru Gobind Singh Ji Ke Shabad: सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती का खास महत्व होता है। जो हर साल पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन मनाई जाती है। इस साल ये जयंती 6 जनवरी को मनाई जा रही है। यहां आप देखेंगे गुरु गोबिंद सिंह के अनमोल विचार।
Guru Gobind Singh Ji Ke Shabad
Guru Gobind Singh Ji Ke Shabad: गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना में हुआ था। इनके पिता गुरु तेग बहादुर थे जो सिखों के नौवें गुरु माने जाते हैं। तो वहीं इनकी माता का नाम गुजरी देवी था। पटना में जिस घर में गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था उसी स्थान पर आज तख्त श्री पटना साबित स्थित है। गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर लोग उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को याद करते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवनकाल में लोगों को कई शिक्षाएं दी थी जिनमें से उनकी सबसे प्रसिद्ध सीख ये थी कि, “हमें दूसरों की उन्नति की कामना करनी चाहिए और हमें हर हाल में सदैव अपने धर्म का पालन करना चाहिए।” चलिए जानते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी की कुछ प्रसिद्ध कहावतों के बारे में।
Guru Gobind Singh Ji Ke Anmol Vachan (गुरु गोबिंद सिंह जी के शब्द)
- सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं!
- अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे।
- असहाय लोगों पर अपनी तलवार या शक्ति का प्रदर्शन कभी नहीं करना चाहिए। वरना विधाता तुम्हारा खून स्वयं बहाएगा।
- अच्छे कर्मों के द्वारा तुम्हें सच्चे गुरु की प्राप्ति होती है, साथ ही ईश्वर की दया से आपको उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
- मनुष्य से प्रेम करना ही ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति है।
- मनुष्य को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा हमेशा दान करना चाहिए।
- ईश्वर ने मनुष्य को जन्म ही इसलिए दिया है, ताकि वह अच्छे और बुरे कर्मों की पहचान कर सके।
- जब आप अपने अंदर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।
- मैं उन लोगों को पसंद करता हूं जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।
- ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।
- असहायों पर अपनी तलवार चलाने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहाएगा।
- सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है।
- सत्कर्म कर्म के द्वारा, तुम्हे सच्चा गुरु मिलेगा और उसके बाद प्रिय भगवान मिलेंगे, उनकी मधुर इच्छा से, तुम्हें उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
- इंसान से प्रेम करना ही, ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति है।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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