Guru Pradosh Vrat Katha 2025: गुरु प्रदोष व्रत कथा पढ़ने से मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद, हर दुख हो जाएगा दूर

Guru Pradosh Vrat Katha 2025 (गुरु प्रदोष व्रत कथा): गुरुवार के दिन आने वाले प्रदोष को गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा होती है। यहां हम आपको बताएंगे गुरु प्रदोष व्रत की कथा।

guru pradosh katha

Guru Pradosh Vrat Katha 2025

Guru Pradosh Vrat Katha 2025 (गुरु प्रदोष व्रत कथा): धार्मिक मान्यताओं अनुसार गुरु प्रदोष व्रत रखने से पूर्वजों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन श्रद्धालु प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि विधान पूजा करते हैं। 10 अप्रैल को गुरु प्रदोष व्रत है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 44 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। चलिए आपको बताते हैं गुरु प्रदोष व्रत की पावन कथा।

Guru Pradosh Vrat Muhurat 2025

गुरु प्रदोष व्रत कथा (Guru Pradosh Vrat Katha)

गुरु प्रदोष व्रत की कथा अनुसार एक बार इन्द्र और वृत्रासुर की सेना में घनघोर छिड़ गया। देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर डाला। यह देख वृत्रासुर क्रोध से भर गया और स्वयं युद्ध को उद्यत हुआ। आसुरी माया से उसने ऐसा विकराल रूप धारण किया जिससे सभी देवता डर के मारे गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे। तब बृहस्पति महाराज बोले- पहले मैं तुम्हे वृत्रासुर के बारे में बताता हूं।

वृत्रासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है। उसने घोर तपस्या कर शिव जी को प्रसन्न किया। पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा हुआ करता था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया। वहां जब उसने शिव जी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देखा तो वह उपहास उड़ाते हुए बोला- हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं। किन्तु देवलोक में ऐसा कभी दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि कोई स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।

चित्ररथ के यह वचन सुन माता पार्वती क्रोधित हो गई और बोलीं- अरे दुष्ट! तूने सर्वव्यापी महेश्‍वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है। अतएव मैं तुझे ऐसी शिक्षा दूंगी कि फिर तू अपने जीवन में कभी भी संतों के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा, अब तू दैत्य रूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे शाप देती हूं।

मां जगदम्बा के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्रासुर बना। गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- वृत्तासुर बचपने से ही शिव भक्त रहा है। अतः हे इन्द्र अगर तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत करोगे तो भगवान शिव तुम्हारे कष्ट जरूर दूर करेंगे। देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया। इस व्रत के प्रताप से इन्द्र ने शीघ्र ही वृत्रासुर पर विजय प्राप्त कर ली। बोलो उमापति शंकर भगवान की जय। हर हर महादेव !

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited