Guru pradosh vrat katha in hindi know here pradosh vrat ki kahani aur mahatva
Guru Pradosh 2023 Vrat Katha in Hindi (गुरु प्रदोष व्रत कथा): सनातन धर्म में एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु का और प्रदोष की तिथि को भगवान शिव का पूजन करने से विशेष लाभ मिलते हैं। गुरुवार को पड़ रहे गुरु प्रदोष को गुरुवार प्रदोष भी कहते हैं। इस दिन भगवान शिव का विधिवत पूजन करने से बृहस्पति ग्रह का कुंडली पर बहुत ही शुभ प्रभाव पड़ता है। गुरु प्रदोष के दिन व्रत रखने से पितरों को भी शांति मिलती है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार भी प्रदोष व्रत का गहरा महत्व होता है, इस दिन शत्रु और अन्य खतरों के विनाश के लिए विशेष पूजा होती है। और इस व्रत को रखने से सफलता मिलती है, इसी के साथ यहां देखिए गुरु प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा हिंदी में।
Guru Pradosh Vrat Katha in Hindi - गुरु प्रदोष की कहानी
गुरु प्रदोष के सिद्ध व्रत की कथा के अनुसार एक बार प्रभु इंद्र और वृत्तासुर की सेना के बीच में बड़ा ही घनघोर युद्ध हुआ। देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर संपूर्ण रूप से नष्ट-भ्रष्ट कर डाला। यह देख वृत्तासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध को उद्यत हुआ। अपनी असुरी माया से उसने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया। उसका यह विकराल रूप देख सभी देवता भयभीत हो गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे। देवता का बचाव करने से पहले बृहस्पति महाराज बोले - पहले मैं तुम्हें वृत्तासुर का वास्तविक परिचय दे दूं। वृत्तासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है। उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया था। अपने पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया। वहां शिवजी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहासपूर्वक बोला- 'हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।'
Guru Pradosh vrat 2023 Mahatva
चित्ररथ के यह वचन सुन सर्वव्यापी भगवान भोलेनाथ मुस्कुराकर बोले- 'हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता-कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम साधारणजन की भांति मेरा और मेरी पत्नी का यूं उपहास उड़ाते हो!' माता पार्वती क्रोधित हो चित्ररथ से संबोधित हुईं- 'अरे दुष्ट! तुने मेरा और मेहश्वर या इस प्रकार मज़ाक उड़ाया, अतएव मैं तुझे वह शिक्षा दूंगी कि फिर तू कभी संतों का ऐसा उपहास करने का दुस्साहस नहीं करेगा- अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे श्राप देती हूं।'
Hindi me Guru Pradosh ki Kahani
जगदम्बा भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना। गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- 'वृत्तासुर बचपन से ही शिवभक्त रहा है अत हे इंद्र! तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो।' देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया। गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इंद्र ने शीघ्र ही वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देवलोक में शांति छा गई। अत: प्रदोष व्रत हर शिव भक्त को अवश्य करना चाहिए।
गुरु प्रदोष व्रत के नियम
सनातन धर्म के अनुसार पितरों को खुश करने एवं किसी भी प्रकार के खतरे से मुक्ती पाने के लिए प्रदोष व्रत बहुत फायदेमंद माना जाता है। गुरुवार के दिन पड़ने वाले व्रत को गुरु प्रदोष कहते हैं, जिस दिन भगवान शिव की पूजा शाम सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले और सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट ही बाद तक की जाती है। इस दिन घर को गंदा नहीं करना चाहिए, प्याज़ लहसुन और दूसरा तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। घर में खुशी और शांति बनाएं रखें, शिवलिंग को बिना नहाएं छूएं न और ध्यान रखें कि आपको भगवान भोलेनाथ को हल्दी, केतकी, सिंदूर, तुलसी, नारियल पानी आदि नहीं चढ़ाना है। ऐसा करने से शिव जी जातकों से नाराज़ हो जाते हैं।