Guru Purnima Shlok In Sanskrit: 'गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः'...गुरु पूर्णिमा के श्लोक संस्कृत में अर्थ सहित यहां देखें
Guru Purnima Shlok, Mantras In Sanskrit: हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। ये दिन गुरुओं की पूजा के लिए खास माना जाता है। यहां हम आपको बताएंगे गुरु पूर्णिमा के प्रसिद्ध श्लोक और मंत्र जिनका जाप इस खास दिन पर जरूर करना चाहिए।
Guru Purnima Shlok
Guru Purnima Shlok, Mantras In Sanskrit (गुरु पूर्णिमा संस्कृत श्लोक): धार्मिक मान्यताओं अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ और दान-पुण्य के कार्य करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जीवन में चल रही तमाम परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन गुरुओं से जुड़े इन श्लोक और मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा श्लोक (Guru Purnima Shlok)
-गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
भावार्थ: गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है। गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है, उन सद्गुरु को प्रणाम।
guru purnima shlok
-विनयफलं शुश्रूषा गुरुशुश्रूषाफलं श्रुतं ज्ञानम्।
ज्ञानस्य फलं विरतिः विरतिफलं चाश्रवनिरोधः।।
भावार्थ: विनय का फल सेवा है, गुरुसेवा का फल ज्ञान है, ज्ञान का फल विरक्ति है, और विरक्ति का फल आश्रवनिरोध (बंधनमुक्ति तथा मोक्ष) है।
-अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
भावार्थ: उस महान गुरु को अभिवादन, जिसने उस अवस्था का साक्षात्कार करना संभव किया, जो पूरे ब्रम्हांड में व्याप्त है, सभी जीवित और मृत्य (मृत) में।
guru purnima shlok in sanskrit
-धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।
तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते।।
भावार्थ: धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले, धर्मपरायण और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करनेवाले गुरु कहे जाते हैं।
-नीचं शय्यासनं चास्य सर्वदा गुरुसंनिधौ।
गुरोस्तु चक्षुर्विषये न यथेष्टासनो भवेत्।।
भावार्थ: गुरु के पास हमेशा उनसे छोटे आसन पर ही बैठना चाहिए। गुरु के आते हुए दिखाई देने पर भी अपनी मनमानी से नहीं बैठे रहना चाहिए। अर्थात गुरू का आदर करना चाहिए।
guru purnima 2024
-किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च।
दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम्।।
भावार्थ: बहुत कहने से क्या ? करोडों शास्त्रों से भी क्या? चित्त की परम् शांति, गुरु के बिना मिलना दुर्लभ है।
-गुरौ न प्राप्यते यत्तन्नान्यत्रापि हि लभ्यते।
गुरुप्रसादात सर्वं तु प्राप्नोत्येव न संशयः।।
भावार्थ: गुरु के द्वारा जो प्राप्त नहीं होता, वह अन्यत्र भी नहीं मिलता। गुरु कृपा से निस्संदेह (मनुष्य) सभी कुछ प्राप्त कर ही लेता है।
गुरु पूर्णिमा मंत्र (Guru Purnima Mantra)
-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:।
-ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
-ॐ गुं गुरवे नम:।
guru purnima mantra
-ॐ गुरुर्देवो द्विजदेवो त्रयीमूर्तेरगुरुर्गुर्वान्।शांतिकरो हि नो भवत्।
-गुरु चरणामृतं तृप्तिं करोतु नः।ज्ञानं धर्मं च यशः प्रदेहि नः।
-ॐ वंदे गुरुं देवतं सर्वलोकनमस्कृतम्।ज्ञानप्रदं ब्रह्मणं गुरुं ब्रह्मविद्याप्रदम्।।
Guru purnima mantra in sanskrit
- नीचं शय्यासनं चास्य सर्वदा गुरुसंनिधौ ।
गुरोस्तु चक्षुर्विषये न यथेष्टासनो भवेत् ॥
-प्रेरकः सूचकश्वैव वाचको दर्शकस्तथा ।
शिक्षको बोधकश्चैव षडेते गुरवः स्मृताः ॥
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा... और देखें
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