Guru Purnima Quotes In Hindi: गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर...गुरु पूर्णिमा शुभकामना संदेश

Happy Guru Purnima 2023 Quotes In Hindi: मान्यता है कि आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। ये दिन गुरुओं को समर्पित है। यहां देखिए गुरु पूर्णिमा के श्लोक (Guru Purnima Shlok)।

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Happy Guru Purnima 2023 Quotes And Shlok In Hindi: संत कबीर ने कहा था 'गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपने गोबिंद दियो बताय'। ये दोहा गुरु के महत्व को बताता है। इसका मतलब है कि अगर गुरु और गोविंद यानी भगवान एक साथ खड़े हों तो ऐसे में किसे प्रणाम करना चाहिए? इस दोहे में कहा गया है कि ऐसे स्थिति में गुरु के चरणों में शीश झुकाना ज्यादा उत्तम है क्योंकि इनकी ही कृपा से गोविन्द के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। माता-पिता के बाद गुरु ही होता है जो हमारे जीवन को सकारात्मकता की ओर ले जाने में हमारी मदद करता है। हमारे धर्म ग्रंथों में भी गुरु के महत्व को समझाया गया है। 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। यहां जानिए गुरु पूर्णिमा के श्लोक।
Guru Purnima Quotes in Hindi | Guru Purnima Dohe: गुरु-शिष्य से जुड़े दोहे

गुरु पूर्णिमा संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Guru Purnima Shlok In Hindi And Sanskrit)

1. गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
भावार्थ: गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है। गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है, उन सद्गुरु को प्रणाम।
2. धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।
तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते।।
भावार्थ: धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले, धर्मपरायण, और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करने वाले गुरु कहे जाते हैं।
3. विनयफलं शुश्रूषा गुरुशुश्रूषाफलं श्रुतं ज्ञानम्।
ज्ञानस्य फलं विरतिः विरतिफलं चाश्रवनिरोधः।।
भावार्थ: विनय का फल सेवा है, गुरुसेवा का फल ज्ञान है, ज्ञान का फल विरक्ति (स्थायित्व) है, और विरक्ति का फल आश्रवनिरोध (बंधनमुक्ति तथा मोक्ष) है।
4. अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
भावार्थ: उस महान गुरु को अभिवादन, जिसने उस अवस्था का साक्षात्कार करना संभव किया जो पूरे ब्रम्हांड में व्याप्त है, सभी जीवित और मृत्य (मृत) में।
5. किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च।
दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम्।।
भावार्थ: बहुत कहने से क्या ? करोडों शास्त्रों से भी क्या ? चित्त की परम् शांति, गुरु के बिना मिलना दुर्लभ है।
6. शरीरं चैव वाचं च बुद्धिन्द्रिय मनांसि च।
नियम्य प्राञ्जलिः तिष्ठेत् वीक्षमाणो गुरोर्मुखम्।।
भावार्थ: शरीर, वाणी, बुद्धि, इंद्रिय और मन को संयम (काबू) में रखकर, हाथ जोडकर गुरु के सन्मुख (सामने) देखना चाहिए।
7. दुग्धेन धेनुः कुसुमेन वल्ली शीलेन भार्या कमलेन तोयम्।
गुरुं विना भाति न चैव शिष्यः शमेन विद्या नगरी जनेन।।
भावार्थ: जैसे दूध के बिना गाय, फूल के बिना लता, चरित्र के बिना पत्नी, कमल के बिना जल, शांति के बिना विद्या, और लोगों के बिना नगर शोभा नहीं देते, वैसे हि गुरु बिना शिष्य शोभा नहीं देता।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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