Guru Purnima Vrat Katha In Hindi: गुरु पूर्णिमा की कथा से जानिए क्यों मनाया जाता है ये त्योहार

Guru Purnima Vrat Katha: इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। यहां जानिए गुरु पूर्णिमा की व्रत कथा।

Guru Purnima Vrat Katha

Guru Purnima Vrat Katha (गुरु पूर्णिमा व्रत कथा): सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास जी को प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है। कहते हैं उन्होंने ही मानव समाज को सबसे पहले वेदों का ज्ञान देना शुरू किया था। इसलिए हर साल गुरु पूर्णिमा पर व्यास जी की पूजा की जाती है। इस पूर्णिमा पर अपने गुरुओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी जरूर प्राप्त करना चाहिए। कहते हैं गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति जीवन में खूब सफलता हासिल करता है। यहां आप जानेंगे गुरु पूर्णिमा की कथा।

गुरु पूर्णिमा व्रत कथा (Guru Purnima Vrat Katha In Hindi)

कहते हैं एक बार ऋषि वेदव्यास जी ने अपनी माता सत्यवती से भगवान के दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन उनकी माता ने समझाया कि उन्हें भगवान को खुद ही प्राप्त करना होगा। माता की बात सुनकर ऋषि वेदव्यास जी वन चले गए और इसके बाद घोर तपस्या में लग गए। जब ऋषि वेदव्यास जी ने अपनी तपस्या पूरी कर ली तब भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देकर ब्रह्म ज्ञान का सार समझाया। इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें ये ज्ञान मानव समाज तक पहुंचाने का जिम्मा दिया। तब ऋषि वेदव्यास जी ने अपने ज्ञान के आधार पर चार वेदों सहित गूढ़ ग्रंथों की रचना की।

इसके बाद ऋषि वेदव्यास जी ने अन्य ऋषियों को ब्रह्म ज्ञान दिया और ऋषियों ने भी वेदव्यास जी को अपना प्रथम गुरु मानकर उनकी पूजा की। कहते हैं इसके बाद से ही गुरु-शिष्य की परंपरा शुरू हो गई और आश्रम में शिक्षाएं दी जाने लगीं। हालांकि गुरु पूर्णिमा का पर्व उस दिन से मनाना शुरू हुआ था जब ऋषि वेदव्यास जी ने गणेश जी को महाभारत लिखने के लिए आग्रह किया था और गणेश जी ने महाभारत लिखना शुरू करने से पहले आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेदव्यास जी को गुरु मानकर उनकी पूजा-अर्चना की थी।

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