Hal Chhath Vrat Katha In Hindi: हलछठ की व्रत कथा और आरती, यहां जानिए हल छठ माता की कहानी और आरती लिरिक्स

Halchat Ki Katha, Aarti In Hindi: हल छठ को हर छठ, रांधण छठ और ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां आप देखेंगे हलछठ की व्रत कथा।

Hachat Vrat Katha In Hindi, Harchat Ki Aarti

Harchat Ki Katha, Hal Chhath Ki Kahani, Aarti (हरछठ की कहानी): हरछठ यानि ललही छठ व्रत कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक ग्वालिन रहती थी। उसको जल्द ही बच्चा होने वाला था। एक तरफ वह प्रसव संबंधित परेशानियों से व्याकुल थी तो वहीं दूसरी तरफ उसका मन गोरस यानि दूध-दही बेचने में लगा हुआ था। उसने सोचा कि यदि उसे प्रसव हो गया तो उसका गौ-रस यूं ही पड़ा रह जाएगा। यही सोचकर उसने दूध-दही के घड़े को अपने सिर पर रखा और उसे बेचने के लिए निकल पड़ी। लेकिन कुछ ही दूर पहुंचने पर उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उसके बाद वह एक झरबेरी की ओट में चली गई और वहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया।
लेकिन वह अपने बच्चे को वहीं छोड़कर पास के गांवों में दूध-दही बेचने के लिए निकल गई। उस दिन हल षष्ठी थी। गाय-भैंस के मिश्रित दूध को ग्वालिन ने केवल भैंस का दूध बताकर गांव वालों को बेच दिया। जिस झरबेरी के नीचे ग्वालिन ने अपने बच्चे को छोड़ा था, उसी के पास के खेत में एक किसान हल जोत रहा था। अचानक किसान के बैल भड़क उठे जिससे हल का फल बच्चे शरीर में घुस गया जिससे बच्चे की मृत्यु हो गई।
किसान को इस घटना से बहुत दुख हुआ। लेकिन फिर भी उसने बड़ी हिम्मत दिखाई। उसने झरबेरी के कांटों से बच्चे के चिरे हुए पेट में टांके लगाए और बच्चे को वहीं छोड़कर चला गया। कुछ देर बाद ग्वालिन अपने बच्चे के पास पहुंची। बच्चे को ऐसी हालत में देखकर उसे समझने में देर नहीं लगी कि यह सब उसके पाप की ही सजा है। वह मन ही मन सोचने लगी कि यदि उसने झूठ बोलकर गांव वालों को गाय का दूध न बेचा होता और उसने गांव की स्त्रियों का धर्म भ्रष्ट न किया होता तो उसके बच्चे की ऐसा हालत कभी न होती। इसके बाद उसने प्रायश्चित करने की सोची। ग्वालिन ने गाव में लौटकर सब बातें गांव वालों को बता दी।
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