हनुमान जी की आरती, चालीसा, मंत्र, पूजा विधि संपूर्ण जानकारी मिलेगी यहां
Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi
हनुमान जयंती 2023 डेट और मुहूर्त (Hanuman Jayanti 2023 Date And Muhurat):
हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस दिन हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 7 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।
Hanuman Chalisa Lyrics In Hindi
हनुमान जयंती पूजा विधि (Hanuman Jayanti Puja Vidhi):
-इस दिन पूजा से पहले मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई कर लें।
-पूजा से पहले स्वच्छ कपड़े धारण कर लें।
-इसके बाद हनुमान भगवान की विधि विधान पूजा करें।
-इस दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण, रामायण इत्यादि का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
-इस दिन हनुमान जी को सिंदूर भी जरूर अर्पित करें।
-इस दिन दीपक जलाते समय लाल रंग की बाती का प्रयोग करें और सरसों के तेल का ही दीपक जलाएं।
-अंत में भगवान हनुमान की आरती करें और पूजा में अनजाने से भी हुई किसी भूल की क्षमा मांगें।
हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti):
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
Hanuman Ji Ke Mantra
हनुमान जयंती 2023 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती इस पर्व से जुड़ी हर एक जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर...
श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti)
दोहा॥श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
Shri Ganesh Aarti Written, भगवान श्री गणेश की आरती लिरिक्स के साथ
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
Hanuman Jayanti Shubh Muhurrat 2023: हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त
हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस दिन हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 7 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।हनुमान जी के मंत्र जाप का क्या है सही तरीका?
मंत्र जाप कैसे करते हैं? हनुमान जी रुद्रावतार हैं। इसलिए उनके चमत्कारी मंत्रों का जाप करते समय रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। वहीं, मंत्र जाप में तन और मन को हमेशा शुद्ध रखना चाहिए। मंत्रों का जाप करते समय उच्चारण का भिनखास ख्याल रखना चाहिए। जप करते समय कोई बाधा न हो इसलिए इसे जाप शांत जगह पर करें।Hanuman Jayanti 2023 Puja Vidhi (हनुमान जयंती पूजा विधि)
- हनुमान जयंती वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत होकर घर की साफ-सफाई कर लें।
- इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़े बिछाकर भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दें।
- अब भगवान की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
- मूर्ति पर थोड़ा जल डालकर भगवान के माथे पर सिंदूर लगाएं।
- अब महावीर की मूर्ति के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- हाथ में जल लेकर बजरंगबली से प्रार्थना करने के बाद भगवान की फूल, सुपारी, चावल और गुड़ से पूजा करें।
- इसके बाद मालपुआ, लड्डू, चूरमा, केला और मिठाई का भोग लगाएं।
- पूजा के बाद हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
- अंत में आरती करके लोगों के बीच प्रसाद वितरण करें।
- हनुमान जी की पूजा के साथ माता सीता और राम जी की पूजा भी अवश्य करें।
श्री हनुमान साठिका (Shri Hanuman Sathika)
॥ चौपाइयां ॥जय जय जय हनुमान अडंगी ।
महावीर विक्रम बजरंगी ॥
जय कपीश जय पवन कुमारा ।
जय जगबन्दन सील अगारा ॥
जय आदित्य अमर अबिकारी ।
अरि मरदन जय-जय गिरधारी ॥
अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा ।
जय-जयकार देवतन कीन्हा ॥
बाजे दुन्दुभि गगन गम्भीरा ।
सुर मन हर्ष असुर मन पीरा ॥
कपि के डर गढ़ लंक सकानी ।
छूटे बंध देवतन जानी ॥
ऋषि समूह निकट चलि आये ।
पवन तनय के पद सिर नाये॥
बार-बार अस्तुति करि नाना ।
निर्मल नाम धरा हनुमाना ॥
सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना ।
दीन्ह बताय लाल फल खाना ॥
सुनत बचन कपि मन हर्षाना ।
रवि रथ उदय लाल फल जाना ॥
रथ समेत कपि कीन्ह अहारा ।
सूर्य बिना भए अति अंधियारा ॥
विनय तुम्हार करै अकुलाना ।
तब कपीस की अस्तुति ठाना ॥
सकल लोक वृतान्त सुनावा ।
चतुरानन तब रवि उगिलावा ॥
कहा बहोरि सुनहु बलसीला ।
रामचन्द्र करिहैं बहु लीला ॥
तब तुम उन्हकर करेहू सहाई ।
अबहिं बसहु कानन में जाई ॥
असकहि विधि निजलोक सिधारा ।
मिले सखा संग पवन कुमारा ॥
खेलैं खेल महा तरु तोरैं ।
ढेर करैं बहु पर्वत फोरैं ॥
जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई ।
गिरि समेत पातालहिं जाई ॥
कपि सुग्रीव बालि की त्रासा ।
निरखति रहे राम मगु आसा ॥
मिले राम तहं पवन कुमारा ।
अति आनन्द सप्रेम दुलारा ॥
मनि मुंदरी रघुपति सों पाई ।
सीता खोज चले सिरु नाई ॥
सतयोजन जलनिधि विस्तारा ।
अगम अपार देवतन हारा ॥
जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा ।
लांघि गये कपि कहि जगदीशा ॥
सीता चरण सीस तिन्ह नाये ।
अजर अमर के आसिस पाये ॥
रहे दनुज उपवन रखवारी ।
एक से एक महाभट भारी ॥
तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा ।
दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा ॥
सिया बोध दै पुनि फिर आये ।
रामचन्द्र के पद सिर नाये ॥
मेरु उपारि आप छिन माहीं ।
बांधे सेतु निमिष इक मांहीं ॥
लछमन शक्ति लागी उर जबहीं ।
राम बुलाय कहा पुनि तबहीं ॥
भवन समेत सुषेन लै आये ।
तुरत सजीवन को पुनि धाये ॥
मग महं कालनेमि कहं मारा ।
अमित सुभट निसिचर संहारा ॥
आनि संजीवन गिरि समेता ।
धरि दीन्हों जहं कृपा निकेता ॥
फनपति केर सोक हरि लीन्हा ।
वर्षि सुमन सुर जय जय कीन्हा ॥
अहिरावण हरि अनुज समेता ।
लै गयो तहां पाताल निकेता ॥
जहां रहे देवि अस्थाना ।
दीन चहै बलि काढ़ि कृपाना ॥
पवनतनय प्रभु कीन गुहारी ।
कटक समेत निसाचर मारी ॥
रीछ कीसपति सबै बहोरी ।
राम लषन कीने यक ठोरी ॥
सब देवतन की बन्दि छुड़ाये ।
सो कीरति मुनि नारद गाये ॥
अछयकुमार दनुज बलवाना ।
कालकेतु कहं सब जग जाना ॥
कुम्भकरण रावण का भाई ।
ताहि निपात कीन्ह कपिराई ॥
मेघनाद पर शक्ति मारा ।
पवन तनय तब सो बरियारा ॥
रहा तनय नारान्तक जाना ।
पल में हते ताहि हनुमाना ॥
जहं लगि भान दनुज कर पावा ।
पवन तनय सब मारि नसावा ॥
जय मारुत सुत जय अनुकूला ।
नाम कृसानु सोक सम तूला ॥
जहं जीवन के संकट होई ।
रवि तम सम सो संकट खोई ॥
बन्दि परै सुमिरै हनुमाना ।
संकट कटै धरै जो ध्याना ॥
जाको बांध बामपद दीन्हा ।
मारुत सुत व्याकुल बहु कीन्हा ॥
सो भुजबल का कीन कृपाला ।
अच्छत तुम्हें मोर यह हाला ॥
आरत हरन नाम हनुमाना ।
सादर सुरपति कीन बखाना ॥
संकट रहै न एक रती को ।
ध्यान धरै हनुमान जती को ॥
धावहु देखि दीनता मोरी ।
कहौं पवनसुत जुगकर जोरी ॥
कपिपति बेगि अनुग्रह करहु ।
आतुर आइ दुसइ दुख हरहु ॥
राम सपथ मैं तुमहिं सुनाया ।
जवन गुहार लाग सिय जाया ॥
यश तुम्हार सकल जग जाना ।
भव बन्धन भंजन हनुमाना ॥
यह बन्धन कर केतिक बाता ।
नाम तुम्हार जगत सुखदाता ॥
करौ कृपा जय जय जग स्वामी ।
बार अनेक नमामि नमामी ॥
भौमवार कर होम विधाना ।
धूप दीप नैवेद्य सुजाना ॥
मंगल दायक को लौ लावे ।
सुन नर मुनि वांछित फल पावे ॥
जयति जयति जय जय जग स्वामी ।
समरथ पुरुष सुअन्तरजामी ॥
अंजनि तनय नाम हनुमाना ।
सो तुलसी के प्राण समाना ॥
॥ दोहा ॥
जय कपीस सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान॥
राम लषन सीता सहित, सदा करो कल्याण॥
बन्दौं हनुमत नाम यह, भौमवार परमान॥
ध्यान धरै नर निश्चय, पावै पद कल्याण॥
जो नित पढ़ै यह साठिका, तुलसी कहैं बिचारि।
रहै न संकट ताहि को, साक्षी हैं त्रिपुरारि॥
॥ सवैया ॥
आरत बन पुकारत हौं कपिनाथ सुनो विनती मम भारी ।
अंगद औ नल-नील महाबलि देव सदा बल की बलिहारी ॥
जाम्बवन्त् सुग्रीव पवन-सुत दिबिद मयंद महा भटभारी ।
दुःख दोष हरो तुलसी जन-को श्री द्वादश बीरन की बलिहारी ॥
संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak)
॥ हनुमानाष्टक ॥बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥
हनुमान नाम का अर्थ (Hanuman Name Meaning)
दरअसल हनु संस्कृत में दाढ़ी को कहा जाता है। ऐसे में हनुमान शब्द का शाब्दिक अर्थ हुआ बिगड़ा हुआ मुंह। माना जाता है कि देवराज इंद्र के वज्र के प्रहार से दाढ़ी तिरछी होने के कारण ही भगवान बजरंगबली का एक नाम हनुमान पड़ा।इन अष्ट चिरंजीवियों में एक है बजरंग बली
माना जाता है कि जब तक ये संसार रहेगा तब तक ये 8 लोग जिंदा रहेंगे। जानिए इन अष्ट चिरंजीवियों में के नाम।(1) अश्वथामा
(2) दैत्यराज बलि
(3) वेद व्यास
(4) हनुमान
(5) विभीषण
(6) कृपाचार्य
(7) परशुराम
(8) मार्कण्डेय ऋषि
कौन हैं भगवान हनुमान?
वीर हनुमान, नामुमकिन को भी मुमकिन बनाने वाले देव हैं। हिंदू धर्म में उन्हें शक्ति, साहस और विजय का स्तंभ माना जाता है। बजरंगबली ने ही लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए चमत्कारी संजीवनी बूटी को हासिल करने में असंभव कार्य को संभव बनाया था। इसलिए उन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है।Hanuman Jayanti Vrat Katha: हनुमान जयंती पावन कथा
पौराणिक कथानुसार, एक बार महर्षि अंगिरा, भगवान इंद्र के देवलोक पहुंचे। वहां पर इंद्रदेव, पुंजिकस्थला नामक अप्सरा के नृत्य प्रदर्शन की व्यवस्था किए हुए थे। किंतु ऋषि को अप्सराओं के नृत्य में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। इसलिए वह ध्यानमग्न हो गए। अंत में जब उनसे अप्सरा के नृत्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ईमानदारीपूर्वक कहा कि उन्हें नृत्य देखने में कोई रुचि नहीं। अपसरा पुंजिकस्थला ऋषि की बातों को सुनकर क्रोधित हो गई। बदले में ऋषि अंगिरा ने नर्तकी को श्राप देते हुए कहा कि धरती पर उसका अगला जन्म बंदरिया के रूप में होगा। यह सुनते ही पुंजिकस्थला, ऋषि से क्षमा मांगने लगी। लेकिन ऋषि ने दिए हुए श्राप वापस नहीं लिया। तब नर्तकी एक अन्य ऋषि के पास गई। उस ऋषि ने अप्सरा को आशीर्वाद दिया कि सतयुग में विष्णु भगवान का एक अवतार प्रकट होगा। इस तरह पुंजिकस्थला का सतयुग में वानर राज कुंजर की बेटी अंजना के रूप में जन्म हुआ। फिर उनका विवाह कपिराज केसरी के साथ हुआ, जो एक वानर राजा थे। इसके बाद दोनों ने एक पुत्र यानी हनुमान को जन्म दिया, जो बेहद शक्तिशाली और बलशाली थे। इस प्रकार भगवान शिव के 11वें अवतार के रूप में हनुमान जी का जन्म हुआ। इसलिए उनके जन्मदिवस को हनुमान जंयती के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह बजरंगबली के जन्म की एक रोचक कथा है।ज्योतिषीय गणना के अनुसार, बजरंगबली का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पूर्व चैत्र पूर्णिमा पर मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में सुबह 6 बजे हुआ था। कहा जाता है कि हनुमान जी का जन्म भारत के झारखंड राज्य गुमला जिले के आंजन नामक छोटे से पहाड़ी गांव में एक गुफा में हुआ था। जब महावीर का जन्म हुआ था तब उनका शरीर वज्र के समान था।
हनुमान जी से जुड़ी अन्य कथा के अनुसार, सतयुग में संतान प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने गुरु वशिष्ठ के मार्गदर्शन में पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था। जिसे ऋगी ऋषि द्वारा संपन्न किया गया था। यज्ञ संपन्न होते ही अग्निदेव स्वयं यज्ञ कुंड से खीर का पात्र लेकर प्रकट हुए और तीनों रानियों में बांट दिया। उस समय एक चील आकर रानी कैकेयी के हाथों से खीर छीन ली और अपने मुख में भरकर उड़ गई। चील उड़ते हुए देवी अंजनी के आश्रम से होकर गुजरी। उस वक्त अंजनी ऊपर ही देख रही थी। इस तरह अंजनी के मुख मे खीर का कुछ भाग गिर गया और अनायास वह खीर को निगल गईं। इसके बाद वह गर्भवती हुईं और उन्होंने चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर बजरंगबली को जन्म दिया। आगे चलकर बजरंगबली भगवान श्रीराम के परम भक्त हुए और सदैव ब्रह्मचारी बने रहे।
Hanuman Jayanti Upay: हनुमान जयंती पर करें ये उपाय, हर मनोकामना हो जाएगी पूर्ण
हनुमान जयंती के दिन निकट स्थित मंदिर जाकर हनुमान जी के दर्शन करें और उनके समक्ष घी या तेल का दीपक जलाएं। 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से हनुमान जी आपकी सभी समस्याओं को दूर करते है। इस दिन हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए उन्हें गुलाब की माला अर्पित करें। किसी भी तरह की धन हानि से बचने के लिए हनुमान जयंती पर 11 पीपल के पत्तों पर श्रीराम नाम लिखकर हनुमान जी को अर्पित करें। ऐसा करने से आपकी धन संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।बजरंग बाण (Bajrang Baan)
॥श्री बजरंग बाण पाठ॥॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अंतरयामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर ह्वै दुख करहु निपाता ॥
जै हनुमान जयति बल-सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा ॥
जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकरसुवन बीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल-कुल-घालक ।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर ।
अगिन बेताल काल मारी मर ॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै ।
राम दूत धरु मारु धाइ कै ॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुख पावत जन केहि अपराधा ॥
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं ॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी सपथ बिलंब न लावौ ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं ।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं ॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ॥
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग-बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥
यह बजरंग बाण जो जापैं ।
तासों भूत-प्रेत सब कापैं ॥
धूप देय जो जपै हमेसा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥
॥ दोहा ॥
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै,
पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर,
करैं सब काम सफल हनुमान ॥
भगवान हनुमान के 108 नामों का महत्व
हनुमान जी को कई नामों से पुकारा जाता है और इनके हर नाम का कुछ न कुछ अर्थ होता है। सभी देवता के जैसे हनुमान जी के भी 108 नाम हैं। पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, बजरंगबली के चमत्कारी नाम पढ़ने मात्र से ही सभी संकट, परेशानी और बाधाएं दूर हो जाती हैं। तो चलिए हनुमान जी के 108 नामों के बारे में जानते हैं। भगवान हनुमान के नामों के बारे में जनाने के लिए यहां क्लिक करें।Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जी के 12 नाम
पवन पुत्र व भगवान राम के अनन्य भक्त श्री हनुमानजी के 12 नाम हैं-हनुमान, अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुन सखा, पिंगाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीताशोकविनाशन, लक्छ्मण प्राणदाता व दशग्रीव दर्पहा।श्री बालाजी आरती (Shri Balaji Ki Aarti)
ॐ जय हनुमत वीरा,स्वामी जय हनुमत वीरा ।
संकट मोचन स्वामी,
तुम हो रनधीरा ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
पवन पुत्र अंजनी सूत,
महिमा अति भारी ।
दुःख दरिद्र मिटाओ,
संकट सब हारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
बाल समय में तुमने,
रवि को भक्ष लियो ।
देवन स्तुति किन्ही,
तुरतहिं छोड़ दियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
कपि सुग्रीव राम संग,
मैत्री करवाई।
अभिमानी बलि मेटयो,
कीर्ति रही छाई ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
जारि लंक सिय-सुधि ले आए,
वानर हर्षाये ।
कारज कठिन सुधारे,
रघुबर मन भाये ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
शक्ति लगी लक्ष्मण को,
भारी सोच भयो ।
लाय संजीवन बूटी,
दुःख सब दूर कियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
रामहि ले अहिरावण,
जब पाताल गयो ।
ताहि मारी प्रभु लाय,
जय जयकार भयो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
राजत मेहंदीपुर में,
दर्शन सुखकारी ।
मंगल और शनिश्चर,
मेला है जारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
श्री बालाजी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत इन्द्र हर्षित,
मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
Hanuman Ji Ke Mantra (हनुमान जी के चमत्कारी मंत्र)
जब भी आप हनुमान जी को याद करें तो नीचे लिखे हुए इस हनुमान मंत्र के द्वारा उन्हें याद करें-अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जयंती व्रत कथा
हनुमान जयंती के दिन श्री हनुमान के नाम की व्रत कथा का विधिपूर्वक अवश्य ही पाठ करें। इससे आपके सिर पर सदा के लिए संकटमोचन का आशीष बना रहेगा।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: आज इतने अरब साल के हो गए हैं मारूतीनंदन
अगस्त्य संहिता और वायु पुराण की माने तो आज हनुमान जंयती 2023 की मधुर बेला पर भगवान श्री हनुमान की आयु एक कल्प अर्थात 4.32 अरब साल की हो गई है।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: जो सत बार पाठ कर कोई..
हनुमान जयंती के उपलक्ष में खास हनुमान चालिसा का पाठ करना चाहिए, आप श्री हनुमान चालिसा का 7, 11, 100 और 108 बार विधिवत सच्चे शुद्ध मन से पाठ कर सकते हैं।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जयंती पर क्या न खाएं
हनुमान जयंती पर अगर भगवान हनुमान को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो फिर आज के दिन मास, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन भूलकर भी न करें। क्योंकि ऐसा करना पाप माना जाता है, जिससे श्री हनुमान रुष्ट हो जाते हैं।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: श्री हनुमंत की विशेष स्तुति
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम्, वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रबद्धे।।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जयंती की आरती
हनुमान जयंती पर विधिपूर्वक भगवान श्री हनुमान का पूजन अर्चन कर आरती करने का विशेष महत्व होता है। हनुमान जयंती के दिन 'आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की' आरती जरूर गाएंHanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जी का सिद्ध मंत्र
हनुमान जयंती पर श्री हनुमान के इस मंत्र का जप करना बहुत फलदायक माना जाता है, 'ऊँ नमो हरि मर्कटाय स्वाहा'Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: विधिपूर्वक ऐसे करें हनुमान जी की आराधना और पूजा
हनुमान जयंती पर विधिविधान से बजरंगबलि की पूजा करने का विशेष महत्व है, श्री हनुमान को लाल पुष्प, सिंदूर, अक्षत, पान, लड्डू, लाल लंगोट, और तुलसी अर्पित कर सच्चे मन से हनुमान चालिसा का पाठ करें।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जयंती आज, देखें हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय
हनुमान जयंती पर भगवान बजरंगबलि को प्रसन्न करने के लिए 11 पीपल के पत्ते अर्पित कर, हनुमान जी के कोई भी मंत्र का सच्चे दिल से जप करें। साथ ही 11 बार हनुमान चालिसा का विधिवत पाठ भी करें, इससे अवश्य भगवान हनुमान प्रसन्न होंगे।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जी की पूजन सामग्री
लाल कपडा/लंगोट, जल कलश, पंचामृत, जनेऊ, गंगाजल, सिन्दूर, चांदी/सोने का वर्क, बनारसी पान का बीड़ा, नारियल, इत्र, भुने चने, गुड़, केले, तुलसी पत्र, दीपक, धूप, सरसो का तेल,चमेली का तेल, घी, अगरबत्ती, कपूर, लाल फूल और माला।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: मंत्र जाप करने के नियम
हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए उनके मंत्रों के जाप के समय ब्रह्मचर्य व लाल वस्त्रासन का प्रयोग करना चाहिए। मंत्र करते समय मंत्रों के गलत उच्चारण से बचें। हमेशा सही और सटीक उच्चारण करना चाहिए। मंत्रों के जाप में तन, मन और वचन की शुद्धता भी जरूरी चीज है। हनुमान जी के मंत्रों के जाप के लिए हमेशा एकांत और शांत जगह का चयन करें, ताकि कोई विघ्न न आए।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 5 मार्च, बुधवार, सुबह 9:19 बजे से।पूर्णिमा तिथि समापन: 6 अप्रैल, गुरुवार, सुबह 10:04 बजे तक।पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: 6 अप्रैल 2023, सुबह 06:06 बजे से 07:40 बजे तक।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE:
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: लौंग चढ़ाना चाहिए- मीन राशि
मीन राशि के जातकों को हनुमानजी को लौंग चढ़ाना चाहिए।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: बेसन के लड्डू का भोग- मेष राशि
मेष राशि के जातकों को बेसन के लड्डू का हनुमानजी को भोग लगाना चाहिए।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: करो कृपा सब पर हे हनुमान
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE:
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: 6 अप्रैल को है हनुमान जयंती का
6 अप्रैल को हनुमान जयंती का पर्व है। भक्त इस दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा करते हैं। पूजन में मंत्रों के जाप का करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। वहीं, इसके प्रभाव से भय, संकट और शत्रुओं का नाश होता है। आइए हनुमान जी के प्रभावशाली मंत्रों को जान लेते हैं।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: मंत्र जाप कैसे करते हैं?
हनुमान जी रुद्रावतार हैं। इसलिए उनके चमत्कारी मंत्रों का जाप करते समय रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। वहीं, मंत्र जाप में तन और मन को हमेशा शुद्ध रखना चाहिए। मंत्रों का जाप करते समय उच्चारण का भिनखास ख्याल रखना चाहिए। जप करते समय कोई बाधा न हो इसलिए इसे जाप शांत जगह पर करें।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE:
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जी के चमत्कारी मंत्र
अब महावीर की मूर्ति के समक्ष धूपबत्ती जलाएं। उन्हें चौमुखी मिट्टी के दीप प्रज्जवलित करना ना भूलें। हाथ में जल लेकर बजरंगबली से प्रार्थना करने के बाद भगवान की फूल, सुपारी, चावल और गुड़ से पूजा करें।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE:
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi LIVE: हनुमान जी की पूजा विधि
हनुमान जयंती वाले दिन सुबह जल्दी सबसे पहले उठकर स्नानादि से निवृत होकर घर की साफ-सफाई करलें। इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़े बिछाकर भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दें। अब, भगवान की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं मूर्ति पर थोड़ा जल डालकर भगवान के माथे पर सिंदूर लगाएं।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited