'आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की' हनुमान जी की आरती, पूजा विधि, मंत्र, कथा सबकुछ यहां जानें
Hanuman Chalisa Lyrics In Hindi
Hanuman Jayanti 2023 Puja Muhurat (हनुमान जयंती 2023 पूजा मुहूर्त): हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जा रही है। इस दिन हनुमान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 7 मिनट से रात 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।
Hanuman Jayanti 2023 Puja Vidhi (हनुमान जयंती 2023 की पूजा विधि):
-इस दिन पूजा लाल वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
-साथ ही भगवान हनुमान की प्रतिमा के नीचे भी लाल कपड़ा बिछाना चाहिए।
-इसके बाद धूपबत्ती और मिट्टी का दीपक जलाएं।
-फिर भगवान की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
-इसके बाद हाथ में जल लेकर हनुमान जी की प्रार्थना करें।
-भगवान को फूल, फल, सुपारी, चावल और गुड़ अर्पित करें।
-साथ ही मिठाई, बूंदी के लड्डू और केले का भोग लगाएं।
-इसके बाद हनुमान चालीसा का जाप करें।
-साथ ही बजरंगबली के मंत्रों का भी जप करें।
-अंत में हनुमान जी की आरती करें।
-अगर आपकी कोई मनोकामना है तो वो भी अवश्य कहें।
Hanuman Ji Ki Aarti (हनुमान जी की आरती):
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
यहां आप जानेंगे हनुमान जयंती की पूजन सामग्री, विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, आरती, मंत्र, महत्व, नियम यानी इस त्योहार से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
Hanuman Ji Ki Aarti: हनुमान जी की आरती, ॐ जय हनुमत वी
ॐ जय हनुमत वीरा,स्वामी जय हनुमत वीरा ।
संकट मोचन स्वामी,
तुम हो रनधीरा ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
पवन पुत्र अंजनी सूत,
महिमा अति भारी ।
दुःख दरिद्र मिटाओ,
संकट सब हारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
बाल समय में तुमने,
रवि को भक्ष लियो ।
देवन स्तुति किन्ही,
तुरतहिं छोड़ दियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
कपि सुग्रीव राम संग,
मैत्री करवाई।
अभिमानी बलि मेटयो,
कीर्ति रही छाई ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
जारि लंक सिय-सुधि ले आए,
वानर हर्षाये ।
कारज कठिन सुधारे,
रघुबर मन भाये ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
शक्ति लगी लक्ष्मण को,
भारी सोच भयो ।
लाय संजीवन बूटी,
दुःख सब दूर कियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
रामहि ले अहिरावण,
जब पाताल गयो ।
ताहि मारी प्रभु लाय,
जय जयकार भयो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
राजत मेहंदीपुर में,
दर्शन सुखकारी ।
मंगल और शनिश्चर,
मेला है जारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
श्री बालाजी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत इन्द्र हर्षित,
मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
हनुमान जयंती पर ये खास उपाय करेगा हर संकट दूर
आर्थिक समस्या से गुजर रहे हैं तो हनुमान जयंती के दिन 11 या 21 बरगद के पत्ते पर लाल चंदन से जय श्री राम लिखें और उसकी माला बनाकर बजरंगबली को पहनाएं। माना जाता है कि इससे व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है।बजरंगबली मेरी नाव चली भजन (Bajarangabali Meri Nav Chali)
बजरंगबली मेरी नाव चली,करुना कर पार लगा देना ।
हे महावीरा हर लो पीरा,
सत्माराग मोहे दिखा देना ॥
दुखों के बादल गिर आयें,
लहरों मे हम डूबे जाएँ ।
हनुमत लाला, तू ही रखवाला,
दीनो को आज बचा लेना ॥
बजरंगबली मेरी नाव चली,
करुना कर पार लगा देना ।
सुख देवनहारा नाम तेरा,
पग पग पर सहारा नाम तेरा ।
भव भयहारी, हे हितकारी,
कष्टों से आज छुड़ा देना ॥
बजरंगबली मेरी नाव चली,
करुना कर पार लगा देना ।
हे अमरदेव, हे बलवंता,
तुझे पूजे मुनिवर सब संता ।
संकट हारना लागे शरणा,
श्री राम से मोहे मिला देना ॥
बजरंगबली मेरी नाव चली,
करुना कर पार लगा देना ।
बजरंगबली मेरी नाव चली,
करुना कर पार लगा देना ।
हे महावीरा हर लो पीरा,
सत्माराग मोहे दिखा देना ॥
Hanuman Ji Mantra: हनुमान जी के मंत्र
Hanuman Ji Mantra Lyrics (हनुमान जी का प्रिय मंत्र)-ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः
यश-कीर्ति के लिए हनुमान मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
शत्रु पराजय के लिए हनुमान मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।
सर्वदुःख निवारणार्थ – श्री हनुमान मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक तापत्रय निवारणाय रामदूताय स्वाहा।
सर्वरुपेण कल्याणार्थ हनुमान मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवर्षिमुनिवरदाय रामदूताय स्वाहा।
धन-धान्य आदि सम्पदा प्राप्ति के लिए हनुमान मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं दुष्टमनोरथस्तंभनाय प्रभंजनप्राणप्रियाय महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधनधान्यादिविधिसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
Hanuman Jayanti Puja Samagri: हनुमान जयंती पूजन सामग्री
लाल कपडा/लंगोट, जल कलश, पंचामृत, जनेऊ, गंगाजल, सिन्दूर, चांदी/सोने का वर्क, बनारसी पान का बीड़ा, नारियल, इत्र, भुने चने, गुड़, केले, तुलसी पत्र, दीपक, धूप, सरसो का तेल,चमेली का तेल, घी, अगरबत्ती, कपूर, लाल फूल और माला।श्री हनुमान बाहुक (Shri Hanuman Bahuk)
॥ छप्पय ॥सिंधु तरन, सिय-सोच हरन, रबि बाल बरन तनु।
भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु॥
गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव।
जातुधान-बलवान मान-मद-दवन पवनसुव॥
कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट।
गुन गनत, नमत, सुमिरत जपत समन सकल-संकट-विकट॥१॥
स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रवि तरुन तेज घन।
उर विसाल भुज दण्ड चण्ड नख-वज्रतन॥
पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन।
कपिस केस करकस लंगूर, खल-दल-बल-भानन॥
कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति विकट।
संताप पाप तेहि पुरुष पहि सपनेहुँ नहिं आवत निकट॥२॥
॥ झूलना ॥
पञ्चमुख-छःमुख भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व सरि समर समरत्थ सूरो।
बांकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो॥
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह जासुबल, बिपुल जल भरित जग जलधि झूरो।
दुवन दल दमन को कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो॥३॥
घनाक्षरी
भानुसों पढ़न हनुमान गए भानुमन, अनुमानि सिसु केलि कियो फेर फारसो।
पाछिले पगनि गम गगन मगन मन, क्रम को न भ्रम कपि बालक बिहार सो॥
कौतुक बिलोकि लोकपाल हरिहर विधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खबार सो।
बल कैंधो बीर रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि सार सो॥४॥
भारत में पारथ के रथ केथू कपिराज, गाज्यो सुनि कुरुराज दल हल बल भो।
कह्यो द्रोन भीषम समीर सुत महाबीर, बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो॥
बानर सुभाय बाल केलि भूमि भानु लागि, फलँग फलाँग हूतें घाटि नभ तल भो।
नाई-नाई-माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जो हैं, हनुमान देखे जगजीवन को फल भो॥५॥
गो-पद पयोधि करि, होलिका ज्यों लाई लंक, निपट निःसंक पर पुर गल बल भो।
द्रोन सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर, कंदुक ज्यों कपि खेल बेल कैसो फल भो॥
संकट समाज असमंजस भो राम राज, काज जुग पूगनि को करतल पल भो।
साहसी समत्थ तुलसी को नाई जा की बाँह, लोक पाल पालन को फिर थिर थल भो॥६॥
कमठ की पीठि जाके गोडनि की गाड़ैं मानो, नाप के भाजन भरि जल निधि जल भो।
जातुधान दावन परावन को दुर्ग भयो, महा मीन बास तिमि तोमनि को थल भो॥
कुम्भकरन रावन पयोद नाद ईधन को, तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो।
भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान, सारिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो॥७॥
दूत राम राय को सपूत पूत पौनको तू, अंजनी को नन्दन प्रताप भूरि भानु सो।
सीय-सोच-समन, दुरित दोष दमन, सरन आये अवन लखन प्रिय प्राण सो॥
दसमुख दुसह दरिद्र दरिबे को भयो, प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो।
ज्ञान गुनवान बलवान सेवा सावधान, साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो॥८॥
दवन दुवन दल भुवन बिदित बल, बेद जस गावत बिबुध बंदी छोर को।
पाप ताप तिमिर तुहिन निघटन पटु, सेवक सरोरुह सुखद भानु भोर को॥
लोक परलोक तें बिसोक सपने न सोक, तुलसी के हिये है भरोसो एक ओर को।
राम को दुलारो दास बामदेव को निवास। नाम कलि कामतरु केसरी किसोर को॥९॥
महाबल सीम महा भीम महाबान इत, महाबीर बिदित बरायो रघुबीर को।
कुलिस कठोर तनु जोर परै रोर रन, करुना कलित मन धारमिक धीर को॥
दुर्जन को कालसो कराल पाल सज्जन को, सुमिरे हरन हार तुलसी की पीर को।
सीय-सुख-दायक दुलारो रघुनायक को, सेवक सहायक है साहसी समीर को॥१०॥
रचिबे को बिधि जैसे, पालिबे को हरि हर, मीच मारिबे को, ज्याईबे को सुधापान भो।
धरिबे को धरनि, तरनि तम दलिबे को, सोखिबे कृसानु पोषिबे को हिम भानु भो॥
खल दुःख दोषिबे को, जन परितोषिबे को, माँगिबो मलीनता को मोदक दुदान भो।
आरत की आरति निवारिबे को तिहुँ पुर, तुलसी को साहेब हठीलो हनुमान भो॥११॥
सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि, सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँक को।
देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ, बापुरे बराक कहा और राजा राँक को॥
जागत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद, ताके जो अनर्थ सो समर्थ एक आँक को।
सब दिन रुरो परै पूरो जहाँ तहाँ ताहि, जाके है भरोसो हिये हनुमान हाँक को॥१२॥
सानुग सगौरि सानुकूल सूलपानि ताहि, लोकपाल सकल लखन राम जानकी।
लोक परलोक को बिसोक सो तिलोक ताहि, तुलसी तमाइ कहा काहू बीर आनकी॥
केसरी किसोर बन्दीछोर के नेवाजे सब, कीरति बिमल कपि करुनानिधान की।
बालक ज्यों पालि हैं कृपालु मुनि सिद्धता को, जाके हिये हुलसति हाँक हनुमान की॥१३॥
करुनानिधान बलबुद्धि के निधान हौ, महिमा निधान गुनज्ञान के निधान हौ।
बाम देव रुप भूप राम के सनेही, नाम, लेत देत अर्थ धर्म काम निरबान हौ॥
आपने प्रभाव सीताराम के सुभाव सील, लोक बेद बिधि के बिदूष हनुमान हौ।
मन की बचन की करम की तिहूँ प्रकार, तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ॥१४॥
मन को अगम तन सुगम किये कपीस, काज महाराज के समाज साज साजे हैं।
देवबंदी छोर रनरोर केसरी किसोर, जुग जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं।
बीर बरजोर घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु खल गन गाजे हैं।
बिगरी सँवार अंजनी कुमार कीजे मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाजे हैं॥१५॥
॥ सवैया ॥
जान सिरोमनि हो हनुमान सदा जन के मन बास तिहारो।
ढ़ारो बिगारो मैं काको कहा केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो॥
साहेब सेवक नाते तो हातो कियो सो तहां तुलसी को न चारो।
दोष सुनाये तैं आगेहुँ को होशियार ह्वैं हों मन तो हिय हारो॥१६॥
तेरे थपै उथपै न महेस, थपै थिर को कपि जे उर घाले।
तेरे निबाजे गरीब निबाज बिराजत बैरिन के उर साले॥
संकट सोच सबै तुलसी लिये नाम फटै मकरी के से जाले।
बूढ भये बलि मेरिहिं बार, कि हारि परे बहुतै नत पाले॥१७॥
सिंधु तरे बड़े बीर दले खल, जारे हैं लंक से बंक मवासे।
तैं रनि केहरि केहरि के बिदले अरि कुंजर छैल छवासे॥
तोसो समत्थ सुसाहेब सेई सहै तुलसी दुख दोष दवा से।
बानरबाज ! बढ़े खल खेचर, लीजत क्यों न लपेटि लवासे॥१८॥
अच्छ विमर्दन कानन भानि दसानन आनन भा न निहारो।
बारिदनाद अकंपन कुंभकरन से कुञ्जर केहरि वारो॥
राम प्रताप हुतासन, कच्छ, विपच्छ, समीर समीर दुलारो।
पाप ते साप ते ताप तिहूँ तें सदा तुलसी कह सो रखवारो॥१९॥
॥ घनाक्षरी ॥
जानत जहान हनुमान को निवाज्यो जन, मन अनुमानि बलि बोल न बिसारिये।
सेवा जोग तुलसी कबहुँ कहा चूक परी, साहेब सुभाव कपि साहिबी संभारिये॥
अपराधी जानि कीजै सासति सहस भान्ति, मोदक मरै जो ताहि माहुर न मारिये।
साहसी समीर के दुलारे रघुबीर जू के, बाँह पीर महाबीर बेगि ही निवारिये॥२०॥
बालक बिलोकि, बलि बारें तें आपनो कियो, दीनबन्धु दया कीन्हीं निरुपाधि न्यारिये।
रावरो भरोसो तुलसी के, रावरोई बल, आस रावरीयै दास रावरो विचारिये॥
बड़ो बिकराल कलि काको न बिहाल कियो, माथे पगु बलि को निहारि सो निबारिये।
केसरी किसोर रनरोर बरजोर बीर, बाँह पीर राहु मातु ज्यौं पछारि मारिये॥२१॥
उथपे थपनथिर थपे उथपनहार, केसरी कुमार बल आपनो संबारिये।
राम के गुलामनि को काम तरु रामदूत, मोसे दीन दूबरे को तकिया तिहारिये॥
साहेब समर्थ तो सों तुलसी के माथे पर, सोऊ अपराध बिनु बीर, बाँधि मारिये।
पोखरी बिसाल बाँहु, बलि, बारिचर पीर, मकरी ज्यों पकरि के बदन बिदारिये॥२२॥
राम को सनेह, राम साहस लखन सिय, राम की भगति, सोच संकट निवारिये।
मुद मरकट रोग बारिनिधि हेरि हारे, जीव जामवंत को भरोसो तेरो भारिये॥
कूदिये कृपाल तुलसी सुप्रेम पब्बयतें, सुथल सुबेल भालू बैठि कै विचारिये।
महाबीर बाँकुरे बराकी बाँह पीर क्यों न, लंकिनी ज्यों लात घात ही मरोरि मारिये॥२३॥
लोक परलोकहुँ तिलोक न विलोकियत, तोसे समरथ चष चारिहूँ निहारिये।
कर्म, काल, लोकपाल, अग जग जीवजाल, नाथ हाथ सब निज महिमा बिचारिये॥
खास दास रावरो, निवास तेरो तासु उर, तुलसी सो, देव दुखी देखिअत भारिये।
बात तरुमूल बाँहूसूल कपिकच्छु बेलि, उपजी सकेलि कपि केलि ही उखारिये॥२४॥
करम कराल कंस भूमिपाल के भरोसे, बकी बक भगिनी काहू तें कहा डरैगी।
बड़ी बिकराल बाल घातिनी न जात कहि, बाँहू बल बालक छबीले छोटे छरैगी॥
आई है बनाई बेष आप ही बिचारि देख, पाप जाय सब को गुनी के पाले परैगी।
पूतना पिसाचिनी ज्यौं कपि कान्ह तुलसी की, बाँह पीर महाबीर तेरे मारे मरैगी॥२५॥
भाल की कि काल की कि रोष की त्रिदोष की है, बेदन बिषम पाप ताप छल छाँह की।
करमन कूट की कि जन्त्र मन्त्र बूट की, पराहि जाहि पापिनी मलीन मन माँह की॥
पैहहि सजाय, नत कहत बजाय तोहि, बाबरी न होहि बानि जानि कपि नाँह की।
आन हनुमान की दुहाई बलवान की, सपथ महाबीर की जो रहै पीर बाँह की॥२६॥
सिंहिका सँहारि बल सुरसा सुधारि छल, लंकिनी पछारि मारि बाटिका उजारी है।
लंक परजारि मकरी बिदारि बार बार, जातुधान धारि धूरि धानी करि डारी है॥
तोरि जमकातरि मंदोदरी कठोरि आनी, रावन की रानी मेघनाद महतारी है।
भीर बाँह पीर की निपट राखी महाबीर, कौन के सकोच तुलसी के सोच भारी है॥२७॥
तेरो बालि केलि बीर सुनि सहमत धीर, भूलत सरीर सुधि सक्र रवि राहु की।
तेरी बाँह बसत बिसोक लोक पाल सब, तेरो नाम लेत रहैं आरति न काहु की॥
साम दाम भेद विधि बेदहू लबेद सिधि, हाथ कपिनाथ ही के चोटी चोर साहु की।
आलस अनख परिहास कै सिखावन है, एते दिन रही पीर तुलसी के बाहु की॥२८॥
टूकनि को घर घर डोलत कँगाल बोलि, बाल ज्यों कृपाल नत पाल पालि पोसो है।
कीन्ही है सँभार सार अँजनी कुमार बीर, आपनो बिसारि हैं न मेरेहू भरोसो है॥
इतनो परेखो सब भान्ति समरथ आजु, कपिराज सांची कहौं को तिलोक तोसो है।
सासति सहत दास कीजे पेखि परिहास, चीरी को मरन खेल बालकनि कोसो है॥२९॥
आपने ही पाप तें त्रिपात तें कि साप तें, बढ़ी है बाँह बेदन कही न सहि जाति है।
औषध अनेक जन्त्र मन्त्र टोटकादि किये, बादि भये देवता मनाये अधीकाति है॥
करतार, भरतार, हरतार, कर्म काल, को है जगजाल जो न मानत इताति है।
चेरो तेरो तुलसी तू मेरो कह्यो राम दूत, ढील तेरी बीर मोहि पीर तें पिराति है॥३०॥
दूत राम राय को, सपूत पूत वाय को, समत्व हाथ पाय को सहाय असहाय को।
बाँकी बिरदावली बिदित बेद गाइयत, रावन सो भट भयो मुठिका के धाय को॥
एते बडे साहेब समर्थ को निवाजो आज, सीदत सुसेवक बचन मन काय को।
थोरी बाँह पीर की बड़ी गलानि तुलसी को, कौन पाप कोप, लोप प्रकट प्रभाय को॥३१॥
देवी देव दनुज मनुज मुनि सिद्ध नाग, छोटे बड़े जीव जेते चेतन अचेत हैं।
पूतना पिसाची जातुधानी जातुधान बाग, राम दूत की रजाई माथे मानि लेत हैं॥
घोर जन्त्र मन्त्र कूट कपट कुरोग जोग, हनुमान आन सुनि छाड़त निकेत हैं।
क्रोध कीजे कर्म को प्रबोध कीजे तुलसी को, सोध कीजे तिनको जो दोष दुख देत हैं॥३२॥
तेरे बल बानर जिताये रन रावन सों, तेरे घाले जातुधान भये घर घर के।
तेरे बल राम राज किये सब सुर काज, सकल समाज साज साजे रघुबर के॥
तेरो गुनगान सुनि गीरबान पुलकत, सजल बिलोचन बिरंचि हरिहर के।
तुलसी के माथे पर हाथ फेरो कीस नाथ, देखिये न दास दुखी तोसो कनिगर के॥३३॥
पालो तेरे टूक को परेहू चूक मूकिये न, कूर कौड़ी दूको हौं आपनी ओर हेरिये।
भोरानाथ भोरे ही सरोष होत थोरे दोष, पोषि तोषि थापि आपनो न अव डेरिये॥
अँबु तू हौं अँबु चूर, अँबु तू हौं डिंभ सो न, बूझिये बिलंब अवलंब मेरे तेरिये।
बालक बिकल जानि पाहि प्रेम पहिचानि, तुलसी की बाँह पर लामी लूम फेरिये॥३४॥
घेरि लियो रोगनि, कुजोगनि, कुलोगनि ज्यौं, बासर जलद घन घटा धुकि धाई है।
बरसत बारि पीर जारिये जवासे जस, रोष बिनु दोष धूम मूल मलिनाई है॥
करुनानिधान हनुमान महा बलवान, हेरि हँसि हाँकि फूंकि फौंजै ते उड़ाई है।
खाये हुतो तुलसी कुरोग राढ़ राकसनि, केसरी किसोर राखे बीर बरिआई है॥३५॥
॥ सवैया ॥
राम गुलाम तु ही हनुमान गोसाँई सुसाँई सदा अनुकूलो।
पाल्यो हौं बाल ज्यों आखर दू पितु मातु सों मंगल मोद समूलो॥
बाँह की बेदन बाँह पगार पुकारत आरत आनँद भूलो।
श्री रघुबीर निवारिये पीर रहौं दरबार परो लटि लूलो॥३६॥
॥ घनाक्षरी ॥
काल की करालता करम कठिनाई कीधौ, पाप के प्रभाव की सुभाय बाय बावरे।
बेदन कुभाँति सो सही न जाति राति दिन, सोई बाँह गही जो गही समीर डाबरे॥
लायो तरु तुलसी तिहारो सो निहारि बारि, सींचिये मलीन भो तयो है तिहुँ तावरे।
भूतनि की आपनी पराये की कृपा निधान, जानियत सबही की रीति राम रावरे॥३७॥
पाँय पीर पेट पीर बाँह पीर मुंह पीर, जर जर सकल पीर मई है।
देव भूत पितर करम खल काल ग्रह, मोहि पर दवरि दमानक सी दई है॥
हौं तो बिनु मोल के बिकानो बलि बारे हीतें, ओट राम नाम की ललाट लिखि लई है।
कुँभज के किंकर बिकल बूढ़े गोखुरनि, हाय राम राय ऐसी हाल कहूँ भई है॥३८॥
बाहुक सुबाहु नीच लीचर मरीच मिलि, मुँह पीर केतुजा कुरोग जातुधान है।
राम नाम जप जाग कियो चहों सानुराग, काल कैसे दूत भूत कहा मेरे मान है॥
सुमिरे सहाय राम लखन आखर दौऊ, जिनके समूह साके जागत जहान है।
तुलसी सँभारि ताडका सँहारि भारि भट, बेधे बरगद से बनाई बानवान है॥३९॥
बालपने सूधे मन राम सनमुख भयो, राम नाम लेत माँगि खात टूक टाक हौं।
परयो लोक रीति में पुनीत प्रीति राम राय, मोह बस बैठो तोरि तरकि तराक हौं॥
खोटे खोटे आचरन आचरत अपनायो, अंजनी कुमार सोध्यो रामपानि पाक हौं।
तुलसी गुसाँई भयो भोंडे दिन भूल गयो, ताको फल पावत निदान परिपाक हौं॥४०॥
असन बसन हीन बिषम बिषाद लीन, देखि दीन दूबरो करै न हाय हाय को।
तुलसी अनाथ सो सनाथ रघुनाथ कियो, दियो फल सील सिंधु आपने सुभाय को॥
नीच यहि बीच पति पाइ भरु हाईगो, बिहाइ प्रभु भजन बचन मन काय को।
ता तें तनु पेषियत घोर बरतोर मिस, फूटि फूटि निकसत लोन राम राय को॥४१॥
जीओ जग जानकी जीवन को कहाइ जन, मरिबे को बारानसी बारि सुर सरि को।
तुलसी के दोहूँ हाथ मोदक हैं ऐसे ठाँऊ, जाके जिये मुये सोच करिहैं न लरि को॥
मो को झूँटो साँचो लोग राम कौ कहत सब, मेरे मन मान है न हर को न हरि को।
भारी पीर दुसह सरीर तें बिहाल होत, सोऊ रघुबीर बिनु सकै दूर करि को॥४२॥
सीतापति साहेब सहाय हनुमान नित, हित उपदेश को महेस मानो गुरु कै।
मानस बचन काय सरन तिहारे पाँय, तुम्हरे भरोसे सुर मैं न जाने सुर कै॥
ब्याधि भूत जनित उपाधि काहु खल की, समाधि की जै तुलसी को जानि जन फुर कै।
कपिनाथ रघुनाथ भोलानाथ भूतनाथ, रोग सिंधु क्यों न डारियत गाय खुर कै॥४३॥
कहों हनुमान सों सुजान राम राय सों, कृपानिधान संकर सों सावधान सुनिये।
हरष विषाद राग रोष गुन दोष मई, बिरची बिरञ्ची सब देखियत दुनिये॥
माया जीव काल के करम के सुभाय के, करैया राम बेद कहें साँची मन गुनिये।
तुम्ह तें कहा न होय हा हा सो बुझैये मोहिं, हौं हूँ रहों मौनही वयो सो जानि लुनिये॥४४॥
Hanuman Ji Ki Aarti: हनुमान जी की आरती
॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
हनुमान जयंती के उपाय
हनुमान जयंती पर महाभारत के श्लोक और रामायण पढ़ने का विधान है। कहते हैं ऐसा करने से भगवान हनुमान के साथ-साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का भी आशीर्वाद मिलता है।हनुमान जयंती या जन्मोत्सव क्या कहना सही?
धर्म ग्रंथों अनुसार देवी-देवताओं को अमर माना गया है। इसलिए इनके जन्मदिवस को जन्मोत्सव या प्राकट्योत्सव कहना ज्यादा उचित होता है। लेकिन अगर बात करें भगवान हनुमान की तो इन्हें इस संसार का जीवित या जागृत देवता माना गया है। हनुमान भगवान आठ चिरंजीवी में से एक हैं। इन्हें अमर रहने का वरदान प्राप्त है। कहते हैं इस वरदान को प्राप्त करने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर अपना निवास बनाया और इसी स्थान में हनुमान जी कलयुग में धर्म के रक्षक के रूप में निवास करते हैं। बजरंगबली के अमर होने की वजह से उनके जन्मदिन की तिथि को जयंती के बजाय जन्मोत्सव कहना ज्यादा उचित माना गया है।हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाते हैं (Why We Celebrate Hanuman Jayanti Two Times In A Year)
हनुमान जंयती एक साल में दो बार मनाए जाने के पीछे पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार, एक तिथि विजय अभिनन्दन महोत्सव तो दूसरी तिथि उनके जन्मदिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। पहली कथा अनुसार, जब बाल हनुमान सूर्य को आम समझ कर उसे खाने के लिए आकाश में उड़ने लगे थे, तब राहु भी सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहते थे। लेकिन, सूर्यदेव हनुमानजी को देखकर उन्हें दूसरा राहु समझ लिया था। यह घटना चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हुआ था। तभी से इस दिन हनुमान जयंती मनाने की परंपरा शुरू हुई। अन्य कथा के अनुसार, हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को देखकर सीता माता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था। इस दिन नरक चतुर्दशी थी। इस तरह साल में दूसरी हनुमान जयंती दिवाली से एक दिन पहले भी मनाई जाती है।हनुमान जी के अर्थ सहित 108 नाम (Hanuman Ji 108 Name List with Hindi Meaning)
आंजनेया : अंजना का पुत्रमहावीर : सबसे बहादुर
हनूमत : जिसके गाल फुले हुए हैं
मारुतात्मज : पवन देव के लिए रत्न जैसे प्रिय
तत्वज्ञानप्रद : बुद्धि देने वाले
सीतादेविमुद्राप्रदायक : सीता की अंगूठी भगवान राम को देने वाले
अशोकवनकाच्छेत्रे : अशोक बाग का विनाश करने वाले
सर्वमायाविभंजन : छल के विनाशक
सर्वबन्धविमोक्त्रे : मोह को दूर करने वाले
रक्षोविध्वंसकारक : राक्षसों का वध करने वाले
परविद्या परिहार : दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाले
परशौर्य विनाशन : शत्रु के शौर्य को खंडित करने वाले
परमन्त्र निराकर्त्रे : राम नाम का जाप करने वाले
परयन्त्र प्रभेदक : दुश्मनों के उद्देश्य को नष्ट करने वाले
सर्वग्रह विनाशी : ग्रहों के बुरे प्रभावों को खत्म करने वाले
भीमसेन सहायकृथे : भीम के सहायक
सर्वदुखः हरा : दुखों को दूर करने वाले
सर्वलोकचारिणे : सभी जगह वास करने वाले
मनोजवाय : जिसकी हवा जैसी गति है
पारिजात द्रुमूलस्थ : प्राजक्ता पेड़ के नीचे वास करने वाले
सर्वमन्त्र स्वरूपवते : सभी मंत्रों के स्वामी
सर्वतन्त्र स्वरूपिणे : सभी मंत्रों और भजन का आकार जैसा
सर्वयन्त्रात्मक : सभी यंत्रों में वास करने वाले
कपीश्वर : वानरों के देवता
महाकाय : विशाल रूप वाले
सर्वरोगहरा : सभी रोगों को दूर करने वाले
प्रभवे : सबसे प्रिय
बल सिद्धिकर :
सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक : ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने वाले
कपिसेनानायक : वानर सेना के प्रमुख
भविष्यथ्चतुराननाय : भविष्य की घटनाओं के ज्ञाता
कुमार ब्रह्मचारी : युवा ब्रह्मचारी
रत्नकुण्डल दीप्तिमते : कान में मणियुक्त कुंडल धारण करने वाले
चंचलद्वाल सन्नद्धलम्बमान शिखोज्वला : जिसकी पूंछ उनके सर से भी ऊंची है
गन्धर्व विद्यातत्वज्ञ, : आकाशीय विद्या के ज्ञाता
महाबल पराक्रम : महान शक्ति के स्वामी
काराग्रह विमोक्त्रे : कैद से मुक्त करने वाले
शृन्खला बन्धमोचक: तनाव को दूर करने वाले
सागरोत्तारक : सागर को उछल कर पार करने वाले
प्राज्ञाय : विद्वान
रामदूत : भगवान राम के राजदूत
प्रतापवते : वीरता के लिए प्रसिद्ध
वानर : बंदर
केसरीसुत : केसरी के पुत्र
सीताशोक निवारक : सीता के दुख का नाश करने वाले
अन्जनागर्भसम्भूता : अंजनी के गर्भ से जन्म लेने वाले
बालार्कसद्रशानन : उगते सूरज की तरह तेजस
विभीषण प्रियकर : विभीषण के हितैषी
दशग्रीव कुलान्तक : रावण के राजवंश का नाश करने वाले
लक्ष्मणप्राणदात्रे : लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले
वज्रकाय : धातु की तरह मजबूत शरीर
महाद्युत : सबसे तेजस
चिरंजीविने : अमर रहने वाले
रामभक्त : भगवान राम के परम भक्त
दैत्यकार्य विघातक : राक्षसों की सभी गतिविधियों को नष्ट करने वाले
अक्षहन्त्रे : रावण के पुत्र अक्षय का अंत करने वाले
कांचनाभ : सुनहरे रंग का शरीर
पंचवक्त्र : पांच मुख वाले
महातपसी : महान तपस्वी
लन्किनी भंजन : लंकिनी का वध करने वाले
श्रीमते : प्रतिष्ठित
सिंहिकाप्राण भंजन : सिंहिका के प्राण लेने वाले
गन्धमादन शैलस्थ : गंधमादन पर्वत पार निवास करने वाले
लंकापुर विदायक : लंका को जलाने वाले
सुग्रीव सचिव : सुग्रीव के मंत्री
धीर : वीर
शूर : साहसी
दैत्यकुलान्तक : राक्षसों का वध करने वाले
सुरार्चित : देवताओं द्वारा पूजनीय
महातेजस : अधिकांश दीप्तिमान
रामचूडामणिप्रदायक : राम को सीता का चूड़ा देने वाले
कामरूपिणे : अनेक रूप धारण करने वाले
पिंगलाक्ष : गुलाबी आँखों वाले
वार्धिमैनाक पूजित : मैनाक पर्वत द्वारा पूजनीय
कबलीकृत मार्ताण्डमण्डलाय : सूर्य को निगलने वाले
विजितेन्द्रिय : इंद्रियों को शांत रखने वाले
रामसुग्रीव सन्धात्रे : राम और सुग्रीव के बीच मध्यस्थ
महारावण मर्धन : रावण का वध करने वाले
स्फटिकाभा : एकदम शुद्ध व पवित्र
वागधीश : प्रवक्ताओं के भगवान
नवव्याकृतपण्डित : सभी विद्याओं में निपुण
चतुर्बाहवे : चार भुजाओं वाले
दीनबन्धुरा : दुखियों के रक्षक
महात्मा : भगवान
भक्तवत्सल : भक्तों की रक्षा करने वाले
संजीवन नगाहर्त्रे : संजीवनी लाने वाले
सुचये : पवित्र
वाग्मिने : वक्ता
दृढव्रता : कठोर तपस्या करने वाले
कालनेमि प्रमथन : कालनेमि का प्राण हरने वाले
हरिमर्कट मर्कटा : वानरों के ईश्वर
दान्त : शांत
शान्त : रचना करने वाले
प्रसन्नात्मने : हंसमुख
शतकन्टमदापहते : शतकंट के अहंकार को ध्वस्त करने वाले
योगी : महात्मा
मकथा लोलाय : भगवान राम की कहानी सुनने के लिए व्याकुल
सीतान्वेषण पण्डित : सीता की खोज करने वाले
वज्रद्रनुष्ट :
वज्रनखा : वज्र की तरह मजबूत नाखून
रुद्रवीर्य समुद्भवा : भगवान शिव के अवतार
इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारक : इंद्रजीत के ब्रह्मास्त्र के प्रभाव को नष्ट करने वाले
पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने : अर्जुन के रथ पर विराजमान रहने वाले
शरपंजर भेदक : तीरों के घोंसले को नष्ट करने वाले
दशबाहवे : दस भुजाओं वाले
लोकपूज्य : ब्रह्मांड के सभी जीवों द्वारा पूजनीय
जाम्बवत्प्रीतिवर्धन : जाम्बवत के प्रिय
सीताराम पादसेवा : भगवान राम और सीता की सेवा में लीन रहने वाले
Hanuman Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi: हनुमान जी की आरती हिंदी लिरिक्स
आरती कीजै हनुमान लला की ।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
Hanuman Puja Vidhi: हनुमान जयंती पूजा विधि
इस दिन हनुमान जी की पूजा के लिए तात्कालिक तिथि अर्थात राष्ट्रव्यापिनि को लिया जाता है। व्रत से पहले वाली रात्रि को ज़मीन पर सोने से पूर्व श्रीराम और माँ सीता सहित हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए। प्रातःकाल जल्दी उठकर पुनः राम जी और माता सीता व हनुमान जी को याद करें। सुबह जल्दी उठकर स्नान व ध्यान करें। इसके पश्चात हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें। अब पूर्व की तरफ हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें। दोनों हाथ जोड़कर सहृदय महाबली हनुमान से प्रार्थना करें। अब षोडशोपाचार की विधि से भगवान हनुमान की उपासना करें।संकट मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak)
॥ हनुमानाष्टक ॥बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥
Hanuman Jayanti 2023 Shubh Muhurat (हनुमान जयंती 2023 शुभ मुहूर्त)
हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस साल इस पूर्णिमा की शुरुआत 05 अप्रैल बुधवार को सुबह 09:19 बजे से हो रही है और इसकी समाप्ति 06 अप्रैल गुरुवार को सुबह 10:04 तक होगी। हनुमान जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त 06 अप्रैल, गुरुवार सुबह 06:06 बजे से 07:40 तक रहेगा। हनुमान जयंती की पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त भी शुभ माना जाता है। 06 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:02 से 12:53 तक रहेगा।Hanuman Jayanti 2023: हनुमानजी के विविध रूप
पंचमुखी हनुमान, भक्त हनुमान, राम सेवक हनुमान, वीर हनुमान, सूर्यमुखी हनुमान, दक्षिणमुखी हनुमान तथा उत्तरामुखी हनुमान। हनुमान जी भक्ति की पराकाष्ठा हैं। वह अतुलितबलधामं हैं। ज्ञान व शक्ति के भंडार हैं। श्री राम भक्ति व कार्य हेतु अवतरित हुए हैं।जब आप बहुत संकट में आ जाएं व दिमाग काम करना बंद कर दें कि क्या करें व क्या न करें तो सबसे सरल व सुगम उपाय है हनुमान जी के प्रति शरणागत हो जाय।बजरंग बाण (Bajrang Baan)
॥श्री बजरंग बाण पाठ॥॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अंतरयामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर ह्वै दुख करहु निपाता ॥
जै हनुमान जयति बल-सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा ॥
जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकरसुवन बीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल-कुल-घालक ।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर ।
अगिन बेताल काल मारी मर ॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै ।
राम दूत धरु मारु धाइ कै ॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुख पावत जन केहि अपराधा ॥
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं ॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी सपथ बिलंब न लावौ ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं ।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं ॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ॥
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग-बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥
यह बजरंग बाण जो जापैं ।
तासों भूत-प्रेत सब कापैं ॥
धूप देय जो जपै हमेसा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥
॥ दोहा ॥
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै,
पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर,
करैं सब काम सफल हनुमान ॥
Hanuman Chalisa Lyrics: हनुमान चालीसा लिरिक्स
दोहाश्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: महिलाएं जान लें हनुमान जयंती के नियम
हनुमान जयंती पर महिलाएं हनुमान जी की पूजा तो कर सकती हैं, लेकिन उन्हें छू नहीं सकती हैं, क्योंकि श्री हनुमान एक ब्रह्मचारी हैं, जो महिलाओं के निकट आने पर क्रोधित हो जाते हैं।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जयंती के शुभ योग
हनुमान जयंती 2023 पर गजकेसरी, हंस, शंख, विमल और सत्कीर्ति नाम से पांच राजयोग बनने की आशंका है। इन राजयोगों के कारण कुछ राशि जातकों के जीवन में बहुत से सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं, वहीं उनकी किस्मत पलट सकती है।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जी का सिद्ध मंत्र
'हं पवन नन्दनाय स्वाहा' ये श्री पवनपुत्र का चमत्कारी मंत्र है जिसका नियमित रूप से जप करने पर प्राणी मात्र के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: कितनी बार करें हनुमान चालिसा का पाठ
हनुमान जयंती पर कम से कम 7 बार श्री हनुमान चालिसा का सच्चे मन से पाठ जरूर ही करें, इससे अवश्य ही संकटमोचन आपके सारे दुख, कष्टों का निवारण कर आपके जीवन को सुख और समृद्धि से भर देंगे।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान पूजा के नियम
हनुमान जयंती पर हनुमान के साथ माता अंजनी की भी पूजा अवश्य ही करें, क्योंकि इसी दिन बजरंगबलि ने अंजनीपुत्र की कोख से जन्म लिया था।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जयंती पर ऐसे होंगे बजरंगबलि खुश
हनुमान जयंती पर भगवान श्री हनुमान को खुश करने के लिए खास तुलसी के पत्ते, लाल गुलाब के फूल की माला और पान के पत्ते चढ़ाना बहुत ही ज्यादा कारगर और फलदायक माना जाता है।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जयंती पर ऐसे दूर करें बुरी शक्तियां
संकटमोचन श्री हनुमान को प्रसन्न करने एवं जीवन की सारी नकारात्मकताओं को दूर करने हेतु हनुमान जयंती पर विधि विधान के साथ सुंदर कांड और बजरंग बाण का पाठ अवश्य करें।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जयंती पर चढ़ाएं बजरंगबलि को खास भोग
विधिवत पूजा तभी सम्पन्न होगी, जब आप हनुमान जी का प्रिय भोग उनके सामने अर्पित करेंगे। हनुमान जयंती पर बजरंगी को खास मोतीचूर के लड्डू, हलवा और केला चढ़ाया जा सकता है।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जयंती के नियम, हनुमान पूजा करते वक्त नहीं करें गलती
हनुमान जयंती की पूजा करते वक्त ध्यान रखें कि भगवान बजरंगबलि को चोल सिर्फ पुरुष ही चढ़ाएं, इसी के साथ राहूकाल से लेकर सूतक काल के बीच श्री हनुमान की पूजा नहीं करनी चाहिए।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जयंती आज, देखें पूजा के लिए कितनी देर रहेगा शुभ मुहूर्त
हनुमान जयंती का पावन पर्व देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 5 अप्रैल को सुबह 9 बजकर 19 मिनट से शुरु होकर 6 अप्रैल को सुबहर 10 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगा।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान जी के चमत्कारी मंत्र
ओम ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।श्री हनुमंते नम:।ओम हं हनुमंताय नम:।ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: मंत्र जाप करने के नियम
हनुमान जी रुद्रावतार हैं। इसलिए उनके मंत्रों के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। मंत्र जाप करने के लिए आसन पर बैठने समय हमेशा ध्यान रखें कि आपका मुंह पूर्वाभिमुख यानी पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है हनुमान जयंती
हिंदू धर्म में हनुमान जी के जन्मोत्सव को हनुमान जयंती के रूप में पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये हर साल चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि पर सेलिब्रेट किया जाता है। मान्यता है कि, हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की पूजा करने से शत्रु बाधा, ग्रहों की पीड़ा, शनि दोष आदि से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में खुशहाली और धन-संपत्ति का आगमन होता है।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat:
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: चांदी का अर्क- कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को हनुमानजी को चांदी का अर्क चढ़ाना चाहिए।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: तुलसी बीज का भोग- वृष राशि
वृष राशि के जातकों को बजरंगबली हनुमानजी को तुलसी बीज का भोग लगाना चाहिए।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: अर्ज सुनो मेरी मां अंजनि के लाल
अर्ज सुनो मेरी मां अंजनि के लालकाट दो घोर दुखों का जालतुम ही हो मारुति-नंदन, दुख-भंजनकरती रहूं मैं तुमको दिन रात वन्दनहनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएंHanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat:
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान चालीसा के पाठ का है बेहद महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान चालीसा के पाठ का बेहद महत्व है। कहते हैं चालीसा के पाठ करने मात्र से ही व्यक्ति की सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है। वहीं, डर, भय और शत्रुओं का नाश होता है। इतना ही नहीं, जीवन से नकारात्मकता दूर और सकारात्मकता का संचार होने लगता है। तो आइए हनुमान चालीसा के लिरिक्स देखते हैं।Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान चालीसा के पाठ का है बेहद महत्व
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat:
Hanuman Jayanti 2023 Date, Puja Vidhi, Muhurat: हनुमान चालीसा
दोहाश्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited