'हनुमान' को संस्कृत में क्या कहते हैं? ऐसे बजरंगबली को मिला था ये चमत्कारी नाम

भगवान हनुमान को केसरी नंदन, बजरंगबली, संकटमोचन, मारुति, महावीर, वायुपुत्र इत्यादि कई नामों से जाना जाता है। लेकिन इन सभी में सबसे लोकप्रिय है हनुमान नाम। क्या है हनुमान नाम का अर्थ और कैसे केसरी नंदन बने हनुमान। इस बारे में जानेंगे इस आर्टिकल में।

हनुमान को संस्कृत में क्या कहते हैं?

Hanuman Naam Ka Arth: हनुमान नाम का संस्कृत अर्थ निकाला जाए तो इसका मतलब है एक जिसका मुख या जबड़ा बिगड़ा हुआ हो। तो वहीं इस नाम का एक मतलब ये भी है पवन देव के पुत्र, राम जी के भक्त और बंदर जनजाति के एक अग्रणी योद्धा। पौराणिक कथाओं अनुसार हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था। लेकिन बाल अवस्था में हुई एक घटना के कारण इनका नाम हनुमान पड़ गया। जानिए कैसे मारुति बन गए शक्तिशाली देवता हनुमान। इस बारे में जानते हैं।

ऐसे बजरंगबली बनें हनुमान

कहते हैं एक बार हनुमान जी बाल अवस्था में सूर्य देव को फल समझकर उन्हें खाने के लिए दौड़े। तब इंद्र देव ने हनुमान जी को रोकने की खूब कोशिश की लेकिन वो नहीं मानें। तब मारुति को रोकने के लिए इंद्र देव ने उन पर वज्र से प्रहार किया। कहते हैं इस प्रहार की वजह से उनकी ठुड्डी टेड़ी हो गई थी। क्योंकि ठुड्डी को हनु कहा जाता है तो ऐसे केसरी नंदन का नाम पड़ा हनुमान।

ब्रह्मा जी ने दिया जीवन दान

हनुमान जी की ये दशा देख वायुदेव को क्रोध आ गया और उन्होंने क्षण भर में ही संसार से वायु छीन ली। जिससे सभी प्राणी को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। कहते हैं तब सभी देव, असुर, किन्नर आदि ब्रह्मा जी के पास गए और मदद की गुहार करने लगे। ब्रह्मा जी ने वायुदेव को शांत करने के लिए हनुमान जी को जीवित कर दिया। साथ ही ब्रह्माजी ने हनुमान भगवान को ये वरदान भी दिया कि किसी भी तरह का शस्त्र उनके अंग को हानि नहीं पहुंचा सकेगा।

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