Mahavir Ke Updesh: अहिंसा ही परम धर्म... महावीर जयंती पर पढ़ें ये उपदेश, जीवन में आएंगी खुशियां
Mahavir Jayanti 2023 Read Mahavir Ke Updesh: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि को हर साल महावीर जयंती मनाया जाता है। इस साल यह 4 को है। दरअसल, महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक और 24वें तीर्थंकर हैं, जिन्होंने समाज में कल्याण के लिए कई उपदेश दिए हैं। आइए उन उपदेशों को जानते हैं।
Mahavir Ke Updesh In Hindi: भारतीय इतिहास में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का विशेष और सम्मान पूर्ण स्थान रहा है। समाज के सुधार और लोगों के कल्याण के लिए स्वामी ने कई उपदेश दिये हैं। महावीर ने विभिन्न विषयों पर लोगों को जो संदेश दिया है उसे महावीर के उपदेश के नाम से जाना जाता है। उन्होंने धर्म, अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह पर सबसे अधिक बल दिया है। वहीं, त्याग, संयम, प्रेम, करुणा और सदाचार भी उनके प्रवचनों का सार था। तो चलिए जानते हैं भगवान महावीर के समस्त उपदेशों के बारे में।
महावीर स्वामी के उपदेश (Lord Mahavir ke Updesh):
अहिंसा: महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म बताया है। उन्होंने अपने उपदेश में कहा है कि किसी के अस्तित्व को मिटाने की अपेक्षा करना गलत है। व्यक्ति को शांति से जीना और जीने देने में ही सभी का कल्याण है। इस संसार में जितने भी जीव हैं उन सबके प्रति दया भावना रखना बेहद जरूरी है।
धर्म: महावीर स्वामी के अनुसार, जिसके मन में सदैव धर्म रहता है और जो हमेशा धर्म के मार्ग पर चलता है उसी पर देवता भी प्रसन्न रहते हैं। मनुष्य जीवन में अहिंसा, तप और संयम ही परम धर्म है।
क्षमा: क्षमा के बारे में महावीर स्वामी ने कहा कि सभी जीवों के साथ मैत्री भाव रखना चाहिए। किसी से कोई बैर भाव नहीं रखनी चाहिए। यानी अगर आपने कोई अपराध किया है तो उसके लिए क्षमा मांगना या फिर उनके द्वारा किए गए अपराधों पर क्षमा करना दोनो ही कल्याणकारी है।
सत्य: महावीर स्वामी के अनुसार सत्य ही सच्चा तत्व है। वैसे मनुष्य जो सत्य को जान लेता है वो मृत्यु को भी तैरकर पार कर लेता है।
अपरिग्रह: इस शब्द का अर्थ है- कोई भी वस्तु संचित न करना। महावीर के अनुसार, व्यक्ति को किसी के प्रति लोभ मोह नहीं रखना चाहिए। जो व्यक्ति सजीव या निर्जीव वस्तुओं का संचय करता है, उसे कभी भी दुखों से छुटकारा प्राप्त नहीं होता।
ब्रह्मचर्य: महावीर ने अपने उपदेशों में ब्रह्मचर्य पालन करने का संदेश दिया है। वो कहते हैं, इस प्रकार की पवित्र भावना व्यक्ति को संसार में सात्विकता प्रदान करती है। इससे सामाजिक परिवेश सुंदर और सुव्यवस्थित बना रहता है। ऐसे परिवेश में जीवन बहुत ही सरलता से आगे बढ़ता है।
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