Kabir Das Ji Ki Dohe: संत कबीर दास जी के इन दोहों के जरिए अपनों को दें नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

नव वर्ष 2025 पर दोहे, New Year Inspiring Dohe in Hindi, Images, Status, New Year Kabir Das Ke Dohe In Hindi: कबीर दास जी के हर एक दोहे से जीवन जीने की नई सीख मिलती है। ऐसे में नए साल में कबीर दास जी के कुछ प्रसिद्ध दोहों को अपने जीवन में जरूर अपनाएं। इससे पूरा साल आपका अच्छा बीतेगा। साथ ही अपनों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देने के लिए भी ये दोहे भेजें।

Happy New Year Dohe 2025

Happy New Year Dohe 2025

नव वर्ष 2025 पर दोहे, New Year Inspiring Dohe in Hindi, Images, Status, New Year Kabir Das Ke Dohe In Hindi: कबीर दास जी के दोहे आज भी लोगों की ज़ुबान पर रहते हैं। जो जीवन जीने की कई सीखें देते हैं। नव वर्ष शुरू होने जा रहा है तो ऐसे में इस शुभ अवसर पर संत कबीर दास जी के इन खास दोहों को जरूर पढ़ें जो आपको मोटिवेट तो करेंगे ही साथ ही आपके नव वर्ष को सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देगें। आप चाहें तो अपने परिजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं देने के लिए इन दोहों को भेज सकते हैं। चलिए देखते हैं नव वर्ष के दोहे।

New Year Horoscope 2025 In Hindi

नव वर्ष 2025 पर दोहे (New Yer 2025 Dohe Wishes In Hindi)

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।

जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ॥

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 2025

दोहे का अर्थ: जब मैं संसार में बुराई ढूंढ़ने निकला तो मुझे कोई बुरा नहीं मिला। लेकिन जब मैंने अपने मन में झांक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा तो कोई नहीं है।

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,

सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 2025

दोहे का अर्थ: व्यक्ति को ऐसा होना चाहिए जैसे कि अनाज को साफ करने वाला सूप। जो सार्थक तत्‍व को बचा लेता है और निरर्थक को भूसे के रूप में उड़ा देता है। यानि ज्ञानी वही है जो बात के महत्‍व को समझे और उसके आगे पीछे के विशेषणों से प्रभावित ना हो।

तिनका कबहुं ना निन्दिये, जो पांवन तर होय, कबहुँ उड़ी आंखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 2025

दोहे का अर्थ: इस दोहे में कबीर कहते हैं कि, एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है। यदि कभी वह तिनका उड़कर आंख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है।

जैसा भोजन खाइये, तैसा ही मन होय।

जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय।।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 2025

दोहे का अर्थ: कबीरदास कहते हैं जैसा भोजन खाओगे, वैसा ही मन का निर्माण होगा और जैसा जल पियोगे वैसी ही वाणी होगी। यानी शुद्ध-सात्विक आहार और पवित्र जल से मन और वाणी भी पवित्र होते हैं। इसी तरह जो जैसी संगति में रहता है वह वैसा ही बन जाता है।

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 2025

दोहे का अर्थ- कबीर मानते हैं कि किताबी ज्ञान हासिल कर के संसार में कितने लोग मृत्यु के दरवाज़े तक पहुंच गए, लेकिन उनमें से कोई विद्वान न हो सके। लेकिन अगर कोई व्यक्ति प्रेम के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह से पढ़ ले, यानि प्यार के वास्तविक रूप की पहचान कर ले, तो वही मनुष्य सच्चा ज्ञानी होता है।

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,

हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 2025

दोहे का अर्थ- सही ढंग से बोलने वाला व्यक्ति जानता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए इंसान को हमेशा अपने ह्रदय की तराजू में तोलकर ही शब्दों को मुंह से बाहर आने देना चाहिए।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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