Harela Festival 2024: उत्तराखंड में हरेला पर्व क्यों मनाया जाता है? इस दिन क्या करते हैं
Harela Festival In Uttarakhand: हरेला का मतलब है हरियाली। ये त्योहार सावन के आने का प्रतीक माना जाता है। मुख्य रूप से पर्व उत्तराखंड में मनाया जाता है। जानिए इस साल हरेला त्योहार कब मनाया जाएगा।
Harela 2024 Date
Harela Festival Celebrated In Which State, Harela Kyu Manaya Jata Hai: हरेला त्योहार उत्तराखंड में हरियाली पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन के साथ पौधारोपण भी किया जाता है। हरेला पर्व से नौ दिन पहले ही घर में मिट्टी या फिर बांस की टोकरी में हरेला बोया जाता है। फिर नौ दिनों तक इस पात्र को सींचा जाता है। दसवें दिन इस पात्रा में उगे पौधों को काट दिया जाता है। फिर घर के सदस्य कटे हुए हरेला को अपने शीश पर रखते हैं। मान्यता है ये रस्म निभाने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
हरेला पर्व कहां मनाया जाता है (Harela Festival Celebrated In Which State)
हरेला पर्व मुख्य रूप से उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है। ये पर्व किसानों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन लोग अपने कान पर हरेला रखते हैं।
हरेला पर्व क्यों मनाया जाता है (Harela Kyu Manaya Jata Hai)
हरेला पर्व नई ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। ये उत्तराखंड का एक प्रमुख त्योहार है और यहां सावन महीने की शुरुआत इसी पर्व से मानी जाती है। ये पर्व हरियाली का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व के करीब नौ या दस दिन पहले ही एक टोकरी में पांच या फिर सात प्रकार के अनाज बो दिए जाते हैं और फिर हरेला त्योहार के बोए गए इन अनाजों को घर का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति काटता है। कहते हैं हरेला जितना बड़ा और हरा होगा उतनी ही फसल अच्छी होगी। किसान इस दिन ईश्वर से अच्छी फसल की कामना करता है।
हरेला पर्व कैसे मनाते हैं (How To Celebrate Harela Festival)
सावन लगने से नौ दिन पहले हरेला बोने के लिए पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। फिर इस पात्र में मिट्टी डालने के बाद इसमें गेहूं, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों के बीजों को बो दिया जाता है। फिर नौ दिनों तक इस पात्र में रोजाना पानी छिड़कना होता है फिर दसवें दिन तैयार हुए हरेला को काटा जाता है। बता दें घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में ही हर साल हरेला बोया व काटा जाता है। ऐसी मान्यता है कि हरेला जितना अच्छा होगा उतनी ही फसल भी बढ़िया होगी।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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