Harela Festival Wishes 2023: हरेला पर्व क्यों मनाया जाता है, यहां देखें इस त्योहार के शुभकामना संदेश

Harela Festival 2023 Wishes In Hindi: हरेला पर्व मूल रूप से देवभूमि उत्तराखंड में सुख, समृद्धि और खुशहाली के लिए मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यहां देखिए हरेला पर्व के शुभकामना (Harela Parv Ki Shubhkamnaye 2023) संदेश और पूजा विधि।

happy harela 2023 wishes in hindi

Happy Harela 2023 Wishes In Hindi, What Is Harela

Harela Festival Uttarakhand 2023 Wishes In Hindi: वैसे तो सावन की शुरुआत 4 जुलाई से हो चुकी है लेकिन भारत के कुछ ऐसे राज्य हैं जहां सावन महीना (Sawan 2023) देरी से शुरू होता है। देवभूमि उत्तराखंड में सावन की शुरुआत (Sawan 2023 Start Date In Uttarakhand) हरेला त्योहार के साथ होती है। ये त्योहार कर्क संक्रांति के दिन मनाया जाता है। हरेले का मतलब है हरियाली। मुख्य रूप से ये त्योहार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है। साल में तीन बार हरेला पर्व आता है पहला चैत्र मास में, दूसरा सावन मास में तीसरा आश्विन मास में। लेकिन इनमें से सावन मास का हरेला पर्व सबसे विशेष माना गया है। यहां देखिए हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं (Harela Parv Ki Hardik Shubhkamnaye) संदेश और इस पर्व का महत्व, पूजा विधि।

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हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 2023 (Happy Harela Festival 2023 Wishes In Hindi)

-लाग हर्याव लाग दशैं, लाग बग्वाव,

जी ये जागिये,

स्याव जस बुद्धि है जौ,

सूर्जजस तराण ऐ जौ,

आकाश बराबर उच्च है जैए,

धरती बराबर चकाव,

दूब जम फलिये,

हिमाल में धूं छन तक,

गंग ज्यू में पानी छन तक,

सिल पिसि भात खाये जांठ टेकि झाड़ जाये,

जी रये जागिर ……

-लाग हरेला, लाग बग्वाई, जी रए, जाग रए. स्याव जस बुद्धि हैजो, सूर्ज जस तरान हैजो आकाश बराबर उच्च है जै, धरती बराबर चकाव है जै दूब जस फलिये हिमाल में ह्यूं छन तक, गंग ज्यू में पानी छन तक सिल पिसि भात खाये, जांठि टेकि झाड़ जाये।

-आप सभी लोगों को उत्तराखंड के लोकप्रिय पर्व हरेले की हार्दिक शुभकामनाएं!

-प्रकृति को समर्पित उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला की हार्दिक शुभकामनाएं।

-हरी भरी बने रहे फुलवारी सबकी हरी भरी बने रहे खुशियां सबकी हरा भरा हो हर घर मंगल काज हरियाली सा खिले हर घर परिवार। हरेला की शुभकामनाएं

-घर-घर में श्वावण सी हरियाली छाऐ, हर घर में माँ लक्षँमी-गौरा आऐ। शेर जैसा बल मिले, लोमड़ी से तर्क मिले, हिमपर्वत से उम्र मिले, दूब जैसा नाम बड़े, व्योम जैसा पद मिले, चाँद सी शीतलता मिले, माँ गंगा सी पवित्रता मिले, कंठ में माँ सरस्वती बसे, जिह्वा से मधुर बोल निकले, हृदय में प्रेम के फूल खिलें स्वच्छ-सून्दर तन-मन रहे, लोकपर्व देवभूमि उत्तराखण्ड का, "हरेला" सबका मंगल करे।

हरेला 2023 का महत्व (Harela Festival Significance)

हरेले का पर्व हरियाली का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व नई ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। उत्तराखंड में हरेला पर्व से ही सावन महीने की शुरुआत मानी जाती है। इस पर्व के नौ या दस दिन पहले एक टोकरी में पांच या फिर सात प्रकार के अनाज बोए जाते हैं और फिर हरेले पर्व के दिन बोए गए इन अनाज को घर के बुजुर्ग व्यक्ति से कटवाया जाता है। कहते हैं हरेला जितना बड़ा होगा उतना ही फसल से लाभ होगा। इस पर्व में शिव पार्वती की पूजा का विधान है। किसान इस दिन भगवान से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं।

हरेला त्योहार की पूजा-विधि (Harela Festival Puja Vidhi)

इस त्योहार के एक दिन पहले की शाम को हरकाली पूजा होती है। इस पूजा में शुद्ध मिट्टी लेकर उससे भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय जी की मूर्ति तैयार की जाती है। इसके बाद इन मूर्तियों को सजाया जाता है। फिर भगवान को फल, पूड़ी, खीर, गुड़-आटे के चीला का भोग लगाया जाता है। इसके बाद 10 दिन पहले बोए गए हरेले के सामने भगवान की प्रतिमाओं को रखकर विधि-विधान पूजा की जाती है। ये पूजा घर के बुजुर्ग सदस्य द्वारा करने की परंपरा है।

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    TNN अध्यात्म डेस्क author

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