Hariyali Amavasya Vrat Katha: हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है, जानिए इसकी व्रत कथा

Hariyali Amavasya Vrat Katha: सावन महीने की अमवास्या को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत-पूजन करती हैं। यहां आप जानेंगे हरियाली अमावस्या की कथा।

Hariyali Amavasya Vrat Katha

Hariyali Amavasya Vrat Katha (हरियाली अमावस्या कथा): हरियाली अमावस्या इस साल 4 अगस्त को मनाई जा रही है। इस अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए पिंडदान करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। कहते हैं जो कोई भी हरियाली अमावस्या का उपवास रखता है उनकी मनचाही मुराद पूरी होती हैं। चलिए जानते हैं हरियाली अमावस्या की कथा क्या है।

हरियाली अमावस्या व्रत कथा (Hariyali Amavasya Vrat Katha)

प्राचीन काल में एक प्रतापी राजा था। उसका एक बेटा और एक बहू थी। एक दिन उसकी बहू ने चोरी से मिठाई खा ली और नाम चूहे का लगा दिया। जिससे चूहा क्रोधित हो गया और उसने निश्चय किया कि वह जल्द ही असली चोर को राजा के सामने लेकर आएगा। एक दिन राजा के महल में कुछ मेहमान आए। जो राजा के कमरे में सोये हुए थे। चूहे ने रानी की साड़ी ले जाकर उस कमरे में रख दिया। जब मेहमानों की सुबह आंखें खुलीतो वह अपने सामने रानी का कपड़ा देखा तो हैरान रह गए। जब राजा को इस बात की जानकारी मिली तो उसने अपनी बहू को महल से बाहर निकाल दिया।

जिसके बाद रानी पूजा पाठ में लग गई और अब वह रोजाना शाम में दीपक जलाकर ज्वार उगाने का काम करती थी। प्रसाद के रूप में वह सभी को गुड धानी बांटा करती थी। एक दिन राजा उसी रास्ते से निकल रहे थे जहांं रानी रहती थी। तभी उनकी नजर उन दीपक पर पड़ी और उन्होंने अपने महल वापस लौटकर सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि तुम देखकर आओ कि वहां क्या चमत्कारी चीज थी। सैनिक जंगल में उस पीपल के पेड़ के नीचे जा पहुंचे। तभी उन्होंने देखा कि दीये आपस में बात कर रही थी और सभी अपनी-अपनी कहानी बता रही थीं। तब एक शांत दीये से बाकी दीपकों ने पूछा कि तुम इतने शांत क्यों हों। दीये ने अपनी कहानी सुनाते हुए कहा कि मैं रानी का दीया है। तब उसने कहा कि चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरे में रख दी थी और इसके लिए बेकसूर रानी को महल से निकाल दिया और जो पाप उसने नहीं किया वह उसकी सजा भुगत रही है। सैनिकों ने ये सारी बात तुरंत राजा को बताई। जिसके बाद राजा को पछतावा हुआ और उसने रानी को महल बुलवा लिया और इस तरह से रानी खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ मिलकर रहने लगी।

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